1. चरित्र की सच्ची परीक्षा किसी कार्य को करने के बारे में निहित जानकारी से नहीं है बल्कि इस बात से है कि जब हम नहीं जानते हैं कि क्या करना है तो हम कैसा व्यवहार करते हैं।
2. शिक्षा का उद्देश्य बुद्धिमान बनाना है न कि करियर को उज्जवल बनाना।
प्रश्न का उत्तर जल्द ही प्रकाशित होगा।