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प्रश्न :
भारत में श्रम बाज़ार से संबंधित चुनौतियों पर चर्चा करते हुए रोज़गार सृजन एवं श्रम बल भागीदारी में सुधार हेतु उपाय सुझाइए। (250 शब्द)
15 Mar, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत में श्रम बाज़ार की चुनौतियों पर संक्षेप में चर्चा करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- रोज़गार सृजन और श्रम बल भागीदारी में सुधार के कुछ उपायों पर चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
भारत के श्रम बाज़ार में दशकों से विभिन्न चुनौतियाँ बनी हुई हैं और कोविड-19 महामारी से यह स्थिति और गंभीर हुई है। रोज़गार के अवसरों की कमी, श्रम बल की कम भागीदारी और अपर्याप्त रोज़गार सृजन लगातार ऐसे मुद्दे रहे हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
मुख्य भाग:
- भारत के श्रम बाज़ार के समक्ष विद्यमान चुनौतियाँ:
- कौशल अंतराल: भारत की शिक्षा प्रणाली पर्याप्त रूप से छात्रों को नौकरी बाज़ार हेतु प्रशिक्षित करने में असमर्थ है जिससे श्रम बल और रोज़गार के बीच अंतराल विकसित हो रहा है।
- इंडिया स्किल्स रिपोर्ट, 2021 के अनुसार केवल 45.9% युवाओं को ही रोज़गार योग्य माना गया है।
- औपचारिक नौकरियों की कमी: भारत में अधिकांश कार्यबल अनौपचारिक क्षेत्र में संलग्न है जिसमें नौकरी की सुरक्षा एवं अन्य लाभ प्राप्त नहीं होते हैं।
- हाल की महामारी ने इस स्थिति को और गंभीर बना दिया है। कई श्रमिकों को अपनी नौकरी खोनी पड़ी है या यह अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने के लिये मजबूर हुए हैं।
- निम्न श्रम बल भागीदारी: भारत में विश्व स्तर पर सबसे कम श्रम बल भागीदारी दर है, जिसमें कार्यबल में केवल 40% लोग ही शामिल हैं।
- यह समस्या आंशिक रूप से सांस्कृतिक और सामाजिक कारकों (जैसे लिंग और जाति आधारित भेदभाव) के साथ नौकरी के अवसरों की कमी और कौशल अंतराल के कारण बनी हुई है।
- विनियामक और टैरिफ नीतियाँ: गैर-पारदर्शी या अप्रत्याशित नियामक और टैरिफ नीतियों के कारण भारत में व्यवसाय करना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।
- भारत में किसी भी G20 देश की तुलना में औसत टैरिफ अधिक है जिससे यू.एस. की कुछ वस्तुओं और सेवाओं तक बाज़ार पहुँच सीमित बनी रहती है।
- प्रौद्योगिकी तक सीमित पहुँच: प्रौद्योगिकी तक सीमित पहुँच और डिजिटल बुनियादी ढाँचे की कमी के कारण भारत के श्रम बाज़ार में नई तकनीकों को अपनाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
- इससे नौकरी के अवसर सीमित होने के साथ श्रमिकों के लिये नौकरी खोजना कठिन हो जाता है।
- कौशल अंतराल: भारत की शिक्षा प्रणाली पर्याप्त रूप से छात्रों को नौकरी बाज़ार हेतु प्रशिक्षित करने में असमर्थ है जिससे श्रम बल और रोज़गार के बीच अंतराल विकसित हो रहा है।
- रोज़गार सृजन और श्रम बल भागीदारी में सुधार के उपाय:
- कौशल विकास: श्रम बल और नौकरी के बीच अंतराल को पाटने के लिये भारत को कौशल विकास कार्यक्रमों में निवेश करने की आवश्यकता है।
- सरकार की स्किल इंडिया पहल इसी दिशा में एक कदम है लेकिन इसे रोज़गार बाज़ार की मांगों को पूरा करने के लिये बेहतर बनाने की जरूरत है।
- औपचारिक रोज़गार सृजन को प्रोत्साहित करना: सरकार को ऐसी नीतियाँ बनानी चाहिये जो औपचारिक रोज़गार सृजन को प्रोत्साहित करें और अनौपचारिक रोज़गार को हतोत्साहित करें।
- इसमें उन नियोक्ताओं के लिये कर प्रोत्साहन शामिल हो सकते हैं जो औपचारिक कर्मचारियों को काम पर रखते हैं और जो ऐसा नहीं करते हैं उनके लिये दंड देना शामिल हो सकता है।
- श्रम बल भागीदारी में सुधार: सरकार को ऐसी नीतियाँ बनानी चाहिये जो श्रम बल भागीदारी को प्रोत्साहित करें, जैसे कि बाल देखभाल सुविधाएँ प्रदान करना, शिक्षा तक पहुँच बढ़ाना और सामाजिक तथा सांस्कृतिक बाधाओं को दूर करना आदि।
- नियामक और टैरिफ नीतियों में सुधार करना: सरकार को विदेशी निवेश को आकर्षित करने और नौकरी के अवसरों को बढ़ाने के लिये नियामक एवं टैरिफ नीतियों को और अधिक पारदर्शी बनाने की दिशा में कार्य करना चाहिये।
- प्रौद्योगिकी तक पहुँच को बढ़ाना: सरकार को डिजिटल बुनियादी ढाँचे में निवेश करना चाहिये तथा प्रौद्योगिकी तक पहुँच में सुधार एवं नौकरी के अवसरों को बढ़ाने के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने चाहिये।
- उद्यमिता और नवाचार को बढ़ावा देना: भारत सरकार को उद्यमिता एवं नवाचार के लिये अधिक अवसर सृजित करने चाहिये। इससे अधिक रोज़गार सृजन और अधिक गतिशील रोज़गार बाज़ार को बढ़ावा मिलेगा।
- कौशल विकास: श्रम बल और नौकरी के बीच अंतराल को पाटने के लिये भारत को कौशल विकास कार्यक्रमों में निवेश करने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष:
- भारत के श्रम बाज़ार को महत्त्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और कोविड-19 महामारी से यह स्थिति और गंभीर हुई हैं। हालाँकि रोज़गार सृजन और श्रम बल भागीदारी में सुधार हेतु कुछ प्रयास किये जा सकते हैं जैसे
- कौशल विकास, औपचारिक रोज़गार सृजन, श्रम बल भागीदारी में वृद्धि, नियामक और टैरिफ नीतियों के साथ डिजिटल बुनियादी ढाँचे में निवेश करके भारत में श्रम बाज़ार में सुधार होने के साथ श्रमिकों के लिये अधिक अवसर प्राप्त हो सकते हैं।
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