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प्रश्न :
भारत में किन तरीकों से लिंग आधारित हिंसा के मुद्दों का समाधान होने के साथ महिलाओं की सुरक्षा को बढ़ावा मिल सकता है? (150 शब्द)
14 Mar, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्यायउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत में लिंग आधारित हिंसा का संक्षिप्त परिचय देते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- लिंग आधारित हिंसा को दूर करने के लिये विभिन्न चुनौतियों और उपायों पर चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
भारत में लिंग आधारित हिंसा:
- लिंग आधारित हिंसा (GBV) भारत में एक व्यापक और गंभीर मुद्दा है जिसमें महिलाओं और लड़कियों को निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की हिंसा, उत्पीड़न और भेदभाव का सामना करना पड़ता है। विभिन्न कानूनों और नीतियों के लागू होने के बावजूद, देश में अभी भी लिंग आधारित हिंसा की प्रवृत्ति बनी हुई है।
- भारत में विश्व स्तर पर महिलाओं के खिलाफ हिंसा की तुलना में उच्चतम दर देखने को मिलती है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCEB) के अनुसार वर्ष 2021 में भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के कुल 4,05,861 मामले दर्ज किये गए, जिनमें से 32,033 मामले बलात्कार के थे।
- हालाँकि विशेषज्ञों का सुझाव है कि ये संख्या वास्तविक मामलों से काफी कम है क्योंकि लिंग आधारित हिंसा के कई मामले सामाजिक कलंक, भय और कानूनी व्यवस्था में विश्वास की कमी के कारण दर्ज नहीं किये जाते हैं।
मुख्य भाग:
- लिंग आधारित हिंसा को हल करने में विद्यमान चुनौतियाँ:
- भारत में लिंग आधारित हिंसा को हल करने की चुनौतियाँ बहुआयामी हैं।
- पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण: पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण और लैंगिक रूढ़िवादिता से महिलाओं के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा मिलता है।
- महिलाओं को अक्सर पुरुषों से हीन और अधीनस्थ समझा जाता है जिससे कन्या भ्रूण हत्या, दहेज हत्या और ऑनर किलिंग जैसी समस्याएँ देखने को मिलती हैं।
- जागरूकता की कमी: आम जनता और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच लिंग आधारित हिंसा के बारे में जागरूकता और समझ की कमी है।
- पुलिस और न्यायपालिका की लिंग आधारित हिंसा के मामलों से असंवेदनशील तरीके से निपटने के लिये आलोचना की जाती है, जिससे पीड़ितों के बीच इनके प्रति विश्वास की कमी रहती है।
- पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण: पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण और लैंगिक रूढ़िवादिता से महिलाओं के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा मिलता है।
- भारत में लिंग आधारित हिंसा को हल करने की चुनौतियाँ बहुआयामी हैं।
- लिंग आधारित हिंसा को हल करना:
- ऐसे कई तरीके हैं जिनसे भारत लिंग आधारित हिंसा को हल कर सकता है और महिलाओं की सुरक्षा को बढ़ावा दे सकता है जैसे:
- जागरूकता और शिक्षा को बढ़ावा देना: लिंग आधारित हिंसा के मुद्दे के बारे में जनता को संवेदनशील बनाने के लिये शिक्षा और जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिये।
- इसमें स्कूल-आधारित शिक्षा कार्यक्रम, समुदाय-स्तरीय अभियान और विभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से जन जागरूकता का प्रसार करना शामिल हो सकता है।
- कानूनी ढाँचे को मजबूत बनाना: लिंग आधारित हिंसा के लिये कानूनी ढाँचे को मजबूत बनाने की जरूरत है जिसमें मौजूदा कानूनों और नीतियों को सख्ती से लागू करना शामिल है।
- महिलाओं के खिलाफ हिंसा के विभिन्न रूपों जैसे यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा को लिंग आधारित हिंसा की परिभाषा में शामिल करने की आवश्यकता है।
- न्याय तक पहुँच में सुधार करना: न्यायिक प्रणाली को महिलाओं के प्रति अधिक सुलभ और अनुकूल बनाया जाना चाहिये।
- इसमें फास्ट-ट्रैक कोर्ट स्थापित करना, महिला न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि करना और महिलाओं को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करना शामिल हो सकता है।
- महिला सशक्तिकरण: शिक्षा, आर्थिक अवसरों और राजनीतिक भागीदारी के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने से लिंग आधारित हिंसा की घटनाओं को कम करने में मदद मिल सकती है।
- महिलाओं को हिंसा के मामलों की रिपोर्ट करने और सभी स्तरों पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लेने के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
- जागरूकता और शिक्षा को बढ़ावा देना: लिंग आधारित हिंसा के मुद्दे के बारे में जनता को संवेदनशील बनाने के लिये शिक्षा और जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिये।
- ऐसे कई तरीके हैं जिनसे भारत लिंग आधारित हिंसा को हल कर सकता है और महिलाओं की सुरक्षा को बढ़ावा दे सकता है जैसे:
- इसमें सफल हस्तक्षेप के उदाहरण:
- लिंग आधारित हिंसा को दूर करने के लिये भारत में कुछ सफल प्रयास किये गए हैं जैसे:
- वन-स्टॉप सेंटर (OSC): OSC एक ऐसी सुविधा है जिससे लिंग आधारित हिंसा से पीड़ित महिलाओं को विभिन्न सेवाएँ (जिनमें चिकित्सा, कानूनी और परामर्श सेवाएँ शामिल हैं) प्राप्त होती हैं।
- ये केंद्र देश भर में स्थापित किये गए हैं और इनकी सफलता को इसमें दर्ज मामलों की बढ़ती संख्या और महिलाओं के लिये न्याय तक बेहतर पहुँच प्रदान करने के रूप में देखा जा सकता है।
- निर्भया फंड: निर्भया फंड को वर्ष 2013 में महिलाओं की सुरक्षा को बेहतर करने के उद्देश्य से बनाया गया था।
- इस फंड से विभिन्न परियोजनाओं का समर्थन किया गया है जिसमें महिला हेल्पलाइन की स्थापना एवं सार्वजनिक परिवहन में जीपीएस-सक्षम पैनिक बटन को शामिल करने जैसी पहल शामिल हैं।
- वन-स्टॉप सेंटर (OSC): OSC एक ऐसी सुविधा है जिससे लिंग आधारित हिंसा से पीड़ित महिलाओं को विभिन्न सेवाएँ (जिनमें चिकित्सा, कानूनी और परामर्श सेवाएँ शामिल हैं) प्राप्त होती हैं।
- लिंग आधारित हिंसा को दूर करने के लिये भारत में कुछ सफल प्रयास किये गए हैं जैसे:
निष्कर्ष:
- लिंग आधारित हिंसा भारत में एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है। भारत को लिंग आधारित हिंसा के मुद्दे को प्राथमिकता देने और महिलाओं के लिये सुरक्षित वातावरण बनाने की दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है।
- सामूहिक कार्रवाई और निरंतर प्रयासों के माध्यम से ही भारत में लिंग आधारित हिंसा के मुद्दे को प्रभावी ढंग से हल करने के साथ महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित किया जा सकता है।
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