अपने सभी नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के क्रम में भारत की शिक्षा प्रणाली के समक्ष विद्यमान चुनौतियों का परीक्षण कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत में शिक्षा से संबंधित वर्तमान तथ्यों को संक्षेप में बताते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- भारत की शिक्षा प्रणाली के समक्ष विद्यमान विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
- भारत की शिक्षा प्रणाली में सुधार हेतु उपाय सुझाइए।
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परिचय:
- शिक्षा किसी देश की वृद्धि और विकास के लिये आवश्यक उपकरण है। यह एक मजबूत और समृद्ध समाज के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालाँकि विकासशील देश होने के नाते भारत को अपने सभी नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- यूनेस्को के अनुसार, भारत में स्कूल न जाने वाले बच्चों की संख्या विश्व स्तर पर सबसे अधिक है (अनुमानतः 6-14 वर्ष की आयु के बीच के 17 मिलियन बच्चे अभी भी स्कूल से बंचित हैं)।
मुख्य भाग:
भारत की शिक्षा प्रणाली के समक्ष विद्यमान चुनौतियाँ:
- अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा: भारत की शिक्षा प्रणाली के समक्ष प्रमुख चुनौतियों में से एक अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा का होना है। ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश विद्यालयों में उचित कक्षाओं, फर्नीचर और स्वच्छ पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव रहता है। इससे छात्रों की सीखने की क्षमता प्रभावित होती है।
- मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) द्वारा वर्ष 2016 में किये गए सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में लगभग 30% स्कूलों में लड़कियों के लिये अलग शौचालय नहीं है।
- प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी होना: एक अन्य महत्त्वपूर्ण चुनौती भारत में प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी है। ग्रामीण क्षेत्रों के कई स्कूलों में विज्ञान और गणित जैसे विषयों को पढ़ाने के लिये पर्याप्त योग्य शिक्षक नहीं हैं।
- शिक्षा की गुणवत्ता: भारत ने शिक्षा की पहुँच में सुधार हेतु महत्त्वपूर्ण प्रगति की है लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता अभी भी एक महत्त्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है। भारत के कई स्कूलों के पाठ्यक्रम में जीवन कौशल और व्यावहारिक ज्ञान शामिल नहीं है।
- राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) द्वारा किये गए एक सर्वेक्षण में यह पाया गया कि भारत के ग्रामीण क्षेत्र में लगभग 43% छात्र और शहरी क्षेत्र में 34% छात्र अपनी भाषा में सरल वाक्य पढ़ और लिख नहीं सकते हैं।
- नामांकन दर कम होना: शिक्षा तक पहुँच में सुधार के सरकार के प्रयासों के बावजूद, भारत में स्कूलों में नामांकन दर अभी भी कम है (खासकर लड़कियों के संदर्भ में)।
- MHRD की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (GER) केवल 26.3% है, जो विकासशील देशों के औसत GER (36%) से कम है।
- शिक्षा में असमानता होना: शिक्षा में असमानता भारत की शिक्षा प्रणाली के समक्ष एक और महत्त्वपूर्ण चुनौती है।
- वंचित समुदायों जैसे दलित और आदिवासी समुदायों के छात्रों को भेदभाव का सामना करना पड़ता है और उन्हें विशेषाधिकार प्राप्त पृष्ठभूमि के छात्रों के समान अवसर प्राप्त नहीं हो पाते हैं।
- राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार, शिक्षा में वंचित समुदायों के छात्रों को भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
- तकनीकी अंतराल: डिजिटल अंतराल भारत की शिक्षा प्रणाली के समक्ष एक और चुनौती है। प्रौद्योगिकी के उपयोग से शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि हो सकती है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में कई छात्रों की कंप्यूटर और इंटरनेट तक पहुँच नहीं होती है।
निष्कर्ष:
भारत की शिक्षा प्रणाली में सुधार के उपाय:
- शिक्षा पर सरकारी खर्च को बढ़ाना: सभी बच्चों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिये सरकार को शिक्षा पर अपना खर्च बढ़ाने की ज़रूरत है।
- इसमें शिक्षा के लिये बजट आवंटन में वृद्धि करने के साथ यह सुनिश्चित करना शामिल होगा कि धन का उपयोग शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिये प्रभावी ढंग से किया जा रहा है।
- शिक्षकों के प्रशिक्षण और वेतन में सुधार करना: योग्य शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिये सरकार को शिक्षकों को बेहतर प्रशिक्षण प्रदान करने की आवश्यकता है।
- इसके अतिरिक्त योग्य शिक्षकों को प्रेरित करने के लिये शिक्षकों के वेतन में वृद्धि की जानी चाहिये।
- शिक्षा तक पहुँच का विस्तार करना: शिक्षा तक पहुँच का विस्तार करने के लिये, सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे में सुधार करने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि सभी बच्चों की स्कूलों तक पहुँच हो।
- ऐसा अधिक स्कूलों के निर्माण के साथ परिवहन से संबंधित बुनियादी ढाँचे में सुधार करके प्राप्त किया जा सकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बच्चे सुरक्षित तरीके से स्कूल जा सकें।
- शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान देना: शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिये सरकार को अपना ध्यान रटने वाली शिक्षा से हटाकर तार्किक शिक्षा में लगाने के साथ छात्रों के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
- ऐसा पाठ्यक्रम को अधिक व्यावहारिक बनाकर किया जा सकता है।
- लैंगिक असमानता को समाप्त करना: शिक्षा में लैंगिक असमानता को दूर करने के लिये सरकार द्वरा लोगों को अपनी बेटियों को स्कूल भेजने के लिये प्रोत्साहन प्रदान करने की आवश्यकता है।
- इसके अतिरिक्त सरकार को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि स्कूलों में लड़कियों के लिये अलग शौचालय और चेंजिंग रूम जैसी पर्याप्त सुविधाएँ हों।
- प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देना: शिक्षा में तकनीकी अंतराल को कम करने के लिये सरकार को स्कूलों में प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
- ऐसा ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में कंप्यूटर और इंटरनेट तक पहुँच प्रदान करके और शिक्षकों को पाठ्यक्रम में प्रौद्योगिकी को शामिल करने के तरीके पर प्रशिक्षण देकर किया जा सकता है।