भारत की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने में सौर ऊर्जा अग्रणी भूमिका निभा सकती है। भारत में उपलब्ध भौगोलिक दशाओं के संदर्भ में इस कथन की व्याख्या कीजिए।
31 Jan, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल
उत्तर की रूपरेखा:
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ऊर्जा सुरक्षा के दृष्टिकोण से सौर ऊर्जा सभी स्रोतों में सबसे सुरक्षित स्रोत है। यह प्रचुरता में उपलब्ध है। सैद्धांतिक दृष्टि से, कुल आपतित सौर ऊर्जा का छोटा सा अंश भी समूचे देश की ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है।
यद्यपि, आज की स्थिति में कोयला आधारित विद्युत उत्पादन बिजली का सबसे सस्ता स्रोत है। भविष्य का परिदृश्य बताता है कि यह स्थिति बदल सकती है क्योंकि ऊर्जा की मांग में वृद्धि के कारण देश अब आयातित कोयले की ओर बढ़ रहा है। बिजली की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कोयले की उपलब्धता और आयात संबंधी संरचना के विकास की लागत पर भी निर्भर करेगी। साथ ही पर्यावरणीय क्षरण की लागत कोयले के खनन को भी प्रभावित करती है और इससे कच्चे माल के मूल्य में वृद्धि होगी। जहाँ तक डीजल आधारित विद्युत उपयोग का प्रश्न है, उसकी कीमत 15 रुपये प्रति यूनिट तक है और प्रदूषणकारी भी है।
इस परिस्थिति में सौर ऊर्जा का उपयोग आवश्यक भी है और व्यावहारिक रूप से संभव भी। भारत एक ऊष्णकटिबंधीय देश है, जहां सूर्य का प्रकाश प्रतिदिन अधिक समय तक और ज्यादा तीव्रता के साथ उपलब्ध रहता है। अतः भावी ऊर्जा स्रोत के रूप में सौर ऊर्जा की व्यापक संभावनाएँ हैं। प्रतिवर्ष करीब 5000 ट्रिलियन के.डब्ल्यू.एच. (किलोवाट प्रति घंटा) सौर ऊर्जा भारत के भू-क्षेत्र को प्राप्त होती है। भारत में सौर ऊर्जा की क्षमता वाले राज्य- आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु हैं। भारत के अधिकांश भाग में एक वर्ष में 250-300 धूप निकलने वाले दिनों सहित प्रतिदिन प्रति वर्गमीटर 4-7 किलोवाट/घंटे का सौर विकिरण प्राप्त होता है। देश में 30-50 मेगावाट/ प्रतिवर्ग किलोमीटर छायारहित खुला क्षेत्र होने के बावजूद उपलब्ध क्षमता की तुलना में देश में सौर ऊर्जा का दोहन काफी कम (31-5-2014 की स्थिति के अनुसार 2647 मेगावाट) है।
अतः जैविक ईंधनों के प्रदूषणकारी चरित्र एवं स्वच्छ ऊर्जा तकनीक के प्रोत्साहन की वैश्विक पहल के संदर्भ में सरकार ने 2022 तक एक लाख मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके अलावा भारत की पहल पर सौर उर्जा की दृष्टि से अनुकूल कर्क रेखा तथा मकर रेखा के मध्य के देशों के द्वारा सौर उर्जा के क्षेत्र में अनुसंधान के लिये अंतराष्ट्रीय सौर गठबंधन का निर्माण भी किया गया है।
स्पष्ट है कि भारत की भगौलिक स्थिति सौर उर्जा के अत्यंत अनुकूल है और भारत की उर्जा संबंधी जरूरतों को पूरा करने में सौर उर्जा महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर सकती है।