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प्रश्न :
अपने पड़ोसियों के प्रति भारत की विदेश नीति का मूल्यांकन करते हुए बताइये कि यह समय के साथ किस प्रकार विकसित हुई है। (250 शब्द)
07 Mar, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंधउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत की विदेश नीति की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को संक्षेप में बताते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- अपने पड़ोसियों के प्रति भारत की विदेश नीति के विकास की चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- भारत की विदेश नीति 75 वर्षों में कई चरणों के माध्यम से विकसित हुई है इसके पड़ोसी देश इसकी विदेश नीति को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, चीन और बांग्लादेश सहित कई देशों के साथ अपनी स्थल सीमा साझा करता है। यह श्रीलंका और मालदीव के साथ समुद्री सीमाएँ भी साझा करता है। अपने पड़ोसियों के प्रति भारत की विदेश नीति पिछले कुछ वर्षों में महत्त्वपूर्ण रूप से विकसित हुई है।
मुख्य भाग:
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: अपने पड़ोसियों के प्रति भारत की विदेश नीति इसकी ऐतिहासिक विरासत से प्रभावित रही है। भारत लंबे समय से दक्षिण एशिया में एक क्षेत्रीय शक्ति रहा है जिसका सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव इसकी सीमाओं से परे है।
- इन क्षेत्रों में भारत के प्रभाव का पता मौर्य साम्राज्य से लगाया जा सकता है जिसने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में दक्षिण एशिया के एक बड़े क्षेत्र पर शासन किया था।
- अपने पड़ोसियों के साथ भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध इसकी विदेश नीति को आकार देने में महत्त्वपूर्ण कारक रहे हैं।
- इन क्षेत्रों में भारत के प्रभाव का पता मौर्य साम्राज्य से लगाया जा सकता है जिसने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में दक्षिण एशिया के एक बड़े क्षेत्र पर शासन किया था।
- स्वतंत्रता के बाद की अवधि: वर्ष 1947 में भारत को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता मिलने के बाद, इसे अपने पड़ोसियों के प्रति अपनी विदेश नीति में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था।
- पाकिस्तान के साथ भारत का संबंध, संघर्ष और प्रतिद्वंद्विता वाला रहा है। दोनों देशों के बीच कई युद्ध हुए हैं जिनमें वर्ष 1965 का युद्ध, वर्ष 1971 का युद्ध और वर्ष 1999 का कारगिल युद्ध शामिल है।
- वर्ष 1962 में चीन और भारत के बीच भी युद्ध हुआ था।
- अपने अन्य पड़ोसियों जैसे नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के साथ भारत के संबंध अपेक्षाकृत स्थिर रहे हैं।
- भारत ने नेपाल के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखे हैं जो भारत के साथ एक लंबी सीमा साझा करता है। भारत ने भूटान को आर्थिक और सैन्य सहायता भी प्रदान की है जो भारत की सुरक्षा के लिये रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण है।
- भारत ने वर्ष 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और तब से बांग्लादेश के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखा है।
- अपने पड़ोसियों के प्रति भारत की विदेश नीति का विकास: शीत युद्ध के बाद की अवधि में अपने पड़ोसियों के प्रति भारत की विदेश नीति में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं।
- आर्थिक एकीकरण: भारत ने अपना ध्यान आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय एकीकरण की ओर स्थानांतरित कर दिया है। भारत ने अपने पड़ोसियों के साथ कई मुक्त व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं जिसमें दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार समझौता (SAFTA) शामिल है।
- नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी: भारत ने अपने पड़ोसियों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिये भी कई पहल की हैं। वर्ष 2014 में भारत सरकार द्वारा शुरू की गई नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी द्वारा भारत ने अपने पड़ोसियों को अधिक प्राथमिकता देना शुरू किया है।
- इस नीति का उद्देश्य अपने पड़ोसियों के साथ कनेक्टिविटी एवं व्यापार बढ़ाने के साथ लोगों से लोगों के बीच संपर्क बढ़ाना है। भारत ने अपने पड़ोसी देशों में सड़कों, रेलवे और बिजली संयंत्रों के निर्माण सहित कई विकास परियोजनाएँ भी शुरू की हैं।
- रक्षा सहयोग: भारत के अपने पड़ोसियों के साथ संबंध बाहरी कारकों से भी प्रभावित हुए हैं जैसे कि इस क्षेत्र में चीन का उदय। भारत ने अपने पड़ोसियों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करके इस क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करने का कार्य किया है।
- भारत ने अपने पड़ोसियों के साथ कई रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं जिनमें भारत-नेपाल शांति तथा मैत्री संधि और भारत-भूटान मैत्री संधि शामिल हैं।
- भारत ने बांग्लादेश और मालदीव सहित अपने पड़ोसियों की क्षमताओं को बढ़ाने के लिये सैन्य सहायता भी प्रदान की है।
निष्कर्ष:
- अपने पड़ोसियों के प्रति भारत की विदेश नीति समय के साथ विकसित हुई है। शीत युद्ध के बाद की अवधि में भारत ने अपना ध्यान आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय एकीकरण की ओर स्थानांतरित कर दिया है। भारत ने रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर करके और अपने पड़ोसियों को सैन्य सहायता प्रदान करके इस क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करने का प्रयास किया है।
- कुल मिलाकर अपने पड़ोसियों के प्रति भारत की विदेश नीति व्यवहार और सिद्धांत का मिश्रण रही है जिसमें क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। अपने पड़ोसियों के साथ भारत के संबंध इसकी विदेश नीति का एक महत्त्वपूर्ण पहलू बने रहेंगे और भारत को अपनी सुरक्षा एवं समृद्धि सुनिश्चित करने के लिये इस क्षेत्र में जटिल भू-राजनीतिक गतिशीलता पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी।
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