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प्रश्न :
नैसर्गिक न्याय का सिद्धांत (principles of natural justice) क्या है? प्रशासनिक निर्णय लेने में इसका अनुप्रयोग किस प्रकार से होता है? उदाहरणों सहित चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
02 Mar, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- नैसर्गिक न्याय (प्राकृतिक न्याय) के सिद्धांतों का संक्षिप्त परिचय देते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- प्रशासनिक निर्णय लेने में इसकी भूमिका की चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उद्देश्य प्रशासनिक और कानूनी कार्यवाही में निष्पक्ष और न्यायपूर्ण निर्णय लेना सुनिश्चित करना है। इन्हें दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है: मूल (पर्याप्त) और प्रक्रियात्मक निष्पक्षता।
- पर्याप्त निष्पक्षता का तात्पर्य उस आवश्यकता से है जिससे प्रशासनिक निर्णय वस्तुनिष्ठ मानदंडों पर आधारित हों और निर्णय लेने वाले निर्णय लेने से पहले सभी प्रासंगिक कारकों पर विचार करें।
- दूसरी ओर प्रक्रियात्मक निष्पक्षता, इस आवश्यकता को संदर्भित करती है कि पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रियाओं का उपयोग करके प्रशासनिक निर्णय लिये जाने चाहिये।
मुख्य भाग:
- नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत निम्नलिखित हैं:
- सुने जाने का अधिकार: इस सिद्धांत का अर्थ है कि किसी भी व्यक्ति को उनके हितों को प्रभावित करने वाले निर्णय लेने से पहले सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिये।
- यह सिद्धांत सुनिश्चित करता है कि निर्णय लेने वाला निर्णय लेने से पहले सभी प्रासंगिक सबूतों और तर्कों पर विचार करे।
- कोई भी अपने स्वयं के मामले में पक्षपाती नहीं होना चाहिये: इस सिद्धांत का अर्थ है कि निर्णय लेने वाले को निष्पक्ष होना चाहिये और निर्णय के परिणाम में व्यक्तिगत स्वार्थ पर बल नहीं देना चाहिये।
- यह सिद्धांत सुनिश्चित करता है कि निर्णय लेने में ऐसे पूर्वाग्रह या हितों का टकराव नहीं हो, जो उनके निर्णय को प्रभावित कर सकते हैं।
- पक्षपात के विरुद्ध रहना: इस सिद्धांत का अर्थ है कि निर्णय लेने वाले को निर्णय लेने वाले पक्ष के प्रति या उसके विरुद्ध पक्षपाती नहीं होना चाहिये। यह सिद्धांत सुनिश्चित करता है कि निर्णय लेने वाला निष्पक्ष तरीके से सभी प्रासंगिक कारकों पर विचार करे।
- नैसर्गिक न्याय ही एकमात्र आवश्यकता नहीं है: इस सिद्धांत का अर्थ है कि प्रशासनिक निर्णय लेने के लिये नैसर्गिक न्याय ही एकमात्र आवश्यकता नहीं है। प्रशासनिक निर्णय लेने में अन्य वैधानिक आवश्यकताओं पर भी विचार किया जाना चाहिये।
- सुने जाने का अधिकार: इस सिद्धांत का अर्थ है कि किसी भी व्यक्ति को उनके हितों को प्रभावित करने वाले निर्णय लेने से पहले सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिये।
- प्रशासनिक निर्णय लेने में नैसर्गिक न्याय का अनुप्रयोग:
- प्रशासनिक निर्णय का व्यक्तियों और संगठनों के हितों पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। इसलिये यह सुनिश्चित करने के लिये प्रशासनिक निर्णय लेने में नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों को लागू करना महत्त्वपूर्ण है कि निर्णय निष्पक्ष, न्यायसंगत और उचित हो।
- प्रशासनिक निर्णय लेने में नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों को कैसे लागू किया जाता है, इसके उदाहरण निम्नलिखित हैं:
- अनुशासनात्मक कार्यवाही: अनुशासनात्मक कार्यवाहियों में सुनिश्चित हो कि कर्मचारी को उनके खिलाफ कोई भी अनुशासनात्मक कार्रवाई करने से पहले सुनवाई का अवसर दिया जाए।
- यह सिद्धांत सुनिश्चित करता है कि कोई भी कार्रवाई करने से पहले पक्षकारों को सुने जाने के साथ निर्णयकर्ता द्वारा निर्णय लेने से पहले सभी प्रासंगिक सबूतों और तर्कों पर विचार किया जाना चाहिये।
- निर्णय में पारदर्शिता: यह आवश्यक है कि निर्णय लेने वाला निष्पक्ष हो और निर्णय के परिणाम में उसका कोई व्यक्तिगत हित न हो।
- यह सिद्धांत सुनिश्चित करता है कि निर्णय लेने वाला निष्पक्ष और पारदर्शिता से सभी प्रासंगिक कारकों पर विचार करता है।
- कराधान निर्णय: कराधान निर्णयों में नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों को यह सुनिश्चित करने के लिये लागू किया जाता है कि निर्णय निष्पक्ष और न्यायपूर्ण हो।
- नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के तहत करदाताओं को कर निर्धारण को चुनौती देने और सबूत मांगने का अवसर प्रदान किया जाना चाहिये।
- निर्णयकर्ताओं को अपने निर्णय के लिये कारण भी बताना चाहिये, जो प्रासंगिक साक्ष्यों और तर्कों पर आधारित होना चाहिये।
- अनुशासनात्मक कार्यवाही: अनुशासनात्मक कार्यवाहियों में सुनिश्चित हो कि कर्मचारी को उनके खिलाफ कोई भी अनुशासनात्मक कार्रवाई करने से पहले सुनवाई का अवसर दिया जाए।
निष्कर्ष:
- नैसर्गिक न्याय का सिद्धांत निष्पक्ष और न्यायपूर्ण प्रशासनिक निर्णय लेने को सुनिश्चित करता है। नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत से यह सुनिश्चित किया जाता है कि प्रशासनिक निर्णय वस्तुपरक मानदंडों पर आधारित हों तथा निर्णयकर्ता निर्णय लेने से पहले सभी प्रासंगिक कारकों पर विचार करने के साथ निष्पक्ष प्रक्रियाओं का उपयोग करे।
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