विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने में सरकार की मेक इन इंडिया पहल की प्रभावशीलता का मूल्यांकन कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- मेक इन इंडिया और संबंधित पहलों का संक्षिप्त परिचय देते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने में इसकी प्रभावशीलता का मूल्यांकन कीजिये।
- इसकी प्रभावशीलता में सुधार के उपायों का सुझाव देते हुए निष्कर्ष लिखिये।
|
परिचय:
- भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। यह सर्वविदित तथ्य है कि विनिर्माण क्षेत्र किसी भी देश की संवृद्धि और विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसे ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिये वर्ष 2014 में "मेक इन इंडिया" पहल शुरू की थी।
मुख्य भाग:
- मेक इन इंडिया पहल:
- यह पहल ऑटोमोबाइल, विमानन, जैव प्रौद्योगिकी, रसायन, विनिर्माण, रक्षा विनिर्माण, इलेक्ट्रॉनिक्स, खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और फार्मास्यूटिकल्स सहित 25 क्षेत्रों पर केंद्रित है। सरकार ने वर्ष 2023 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण की हिस्सेदारी को 16% से बढ़ाकर 25% करने का लक्ष्य रखा है।
- सरकार ने इस पहल को बढ़ावा देने के लिये कई उपायों की भी घोषणा की है जैसे:
- विदेशी निवेश मानदंडों को सुलभ बनाना: सरकार ने विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिये विभिन्न क्षेत्रों में विदेशी निवेश मानदंडों को सुलभ बनाया है।
- सरकार ने रक्षा, रेलवे और विनिर्माण सहित कई क्षेत्रों में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दी है।
- अवसंरचनात्मक विकास: सरकार ने विनिर्माण क्षेत्र के विकास को सुविधाजनक बनाने के लिये सड़कों, बंदरगाहों और हवाई अड्डों जैसे बुनियादी ढाँचे में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया है।
- सरकार ने अत्याधुनिक बुनियादी ढाँचे के साथ आधुनिक और कुशल शहरों के निर्माण के लिये स्मार्ट सिटी पहल की भी घोषणा की है।
- कौशल विकास: सरकार ने विनिर्माण क्षेत्र के लिये कुशल जनशक्ति को प्रशिक्षित करने के लिये स्किल इंडिया पहल की शुरुआत की है। इस पहल का उद्देश्य वर्ष 2023 तक 400 मिलियन लोगों को विभिन्न कौशलों में प्रशिक्षित करना है।
- बौद्धिक संपदा अधिकार: सरकार ने विनिर्माण क्षेत्र में नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिये बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) की रक्षा हेतु विभिन्न उपायों की घोषणा की है।
- मेक इन इंडिया पहल की प्रभावशीलता का मूल्यांकन:
- मेक इन इंडिया पहल की प्रभावशीलता:
- मेक इन इंडिया पहल भारत में विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने में काफी हद तक सफल रही है। इसकी कुछ प्रमुख उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं जैसे:
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में वृद्धि होना: इस पहल से विनिर्माण क्षेत्र में एफडीआई प्रवाह में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र में FDI प्रवाह वर्ष 2013-14 के 17.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 80 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- जीडीपी में विनिर्माण क्षेत्र की भागीदारी में वृद्धि होना: मेक इन इंडिया पहल की शुरुआत के बाद से विनिर्माण क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी वर्ष 2014 के 16% से बढ़कर वर्ष 2019 में 17.4% हो गई।
- घरेलू विनिर्माण में वृद्धि होना: इस पहल से भारत के घरेलू विनिर्माण क्षेत्र में भी वृद्धि हुई है।
- पूर्व में आयात किये जाने वाले विभिन्न उत्पादों का उत्पादन भारत में ही शुरू हुआ है। उदाहरण के लिये सैमसंग ने मेक इन इंडिया पहल के तहत भारत में स्मार्टफोन का निर्माण करना शुरू किया है।
- रोज़गार में वृद्धि होना: इस पहल से विनिर्माण क्षेत्र में रोज़गार के अवसरों में वृद्धि हुई है।
- वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण (एएसआई) के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र में रोज़गार वर्ष 2012-13 के 51.1 मिलियन से बढ़कर वर्ष 2019-20 में 55.2 मिलियन हो गए हैं।
- हालांकि मेक इन इंडिया पहल को अधिक प्रभावी बनाने के लिये कुछ चुनौतियाँ विद्यमान हैं जिनका समाधान किये जाने की आवश्यकता है जैसे:
- आधारभूत ढाँचा: पर्याप्त अवसंरचना की कमी (जैसे सड़क, बंदरगाह और बिजली आपूर्ति) भारत में विनिर्माण क्षेत्रक के समक्ष प्रमुख चुनौतियों में से एक है।
- विनिर्माण क्षेत्र को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिये बुनियादी ढाँचे के विकास में और अधिक निवेश करने की आवश्यकता है।
- जटिल विनियामक वातावरण: विनियामक वातावरण को सरल बनाने के सरकार के प्रयासों के बावजूद, अभी भी बहुत सारे जटिल नियम और प्रक्रियाएँ हैं जिनका भारत में व्यवसाय शुरू करने के लिये पालन करने की आवश्यकता होती है।
- सरकार को विनिर्माण क्षेत्र में अधिक निवेश आकर्षित करने के लिये विनियामक वातावरण को और सरल बनाने की आवश्यकता है।
- कुशल कार्यबल: हालांकि सरकार ने विभिन्न कौशल विकास योजनाएँ शुरू की हैं फिर भी विनिर्माण क्षेत्र में कुशल श्रमिकों की कमी है।
- सरकार को श्रमिकों के कौशल को बढ़ाने के लिये और अधिक पहल करने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष:
मेक इन इंडिया पहल की प्रभावशीलता में सुधार के लिये निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं:
- बुनियादी ढाँचे के विकास पर बल देना: सरकार को बुनियादी ढाँचे के विकास में और अधिक निवेश करना चाहिये जैसे अधिक बंदरगाह, हवाई अड्डों का निर्माण करने के साथ सड़क नेटवर्क में सुधार करना।
- उदाहरण के लिये सरकार सागरमाला परियोजना जैसी बड़े पैमाने की परियोजनाएँ शुरू कर सकती है, जिसका उद्देश्य देश के बंदरगाहों का आधुनिकीकरण करना और उनकी दक्षता में वृद्धि करना है।
- नियमों को सुलभ करना: भारत में व्यवसायों के संचालन को आसान बनाने के लिये सरकार को नियामक वातावरण को और सरल बनाने की आवश्यकता है।
- उदाहरण के लिये सरकार व्यवसाय शुरू करने हेतु आवश्यक सभी विनियामक अनुमोदनों के लिये एकल विंडो प्रणाली शुरू कर सकती है।
- कौशल विकास में वृद्धि करना: सरकार को विनिर्माण क्षेत्र की मांगों को पूरा करने के लिये श्रमिकों के कौशल को बढ़ाने पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
- श्रमिकों को नौकरी के साथ प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु सरकार उद्योगों के साथ सहयोग कर सकती है।
- अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना: विनिर्माण क्षेत्रक में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये सरकार को अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना चाहिये।
- उदाहरण के लिये सरकार विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जैसे अधिक अनुसंधान और विकास केंद्र स्थापित कर सकती है।