- फ़िल्टर करें :
- राजव्यवस्था
- अंतर्राष्ट्रीय संबंध
- सामाजिक न्याय
-
प्रश्न :
आवासविहीन होने जैसे मुद्दे सामाजिक न्याय को किस प्रकार प्रभावित करते हैं तथा इन मुद्दों का समाधान करने के लिये हम किस प्रकार कार्य कर सकते हैं? (150 शब्द)
28 Feb, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्यायउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत में आवासविहीनता का संक्षिप्त परिचय देते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- सामाजिक न्याय पर इसके प्रभाव की चर्चा कीजिये और इन मुद्दों से निपटने के उपाय सुझाइए।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- आवासविहीनता का मुद्दा भारत में सामाजिक न्याय का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है। आर्थिक विकास के बावजूद देश अभी भी अपने नागरिकों को पर्याप्त आवास उपलब्ध कराने में असमर्थ रहा है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आवास को एक मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है जिसमें कहा गया है कि प्रत्येक नागरिक को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार है। हालांकि इस अधिकार का कार्यान्वयन सीमित रहा है और आज भी बड़ी संख्या में लोग अनौपचारिक बस्तियों में रह रहे हैं या बेघर हैं।
मुख्य भाग:
- भारत में आवासविहीनता:
- वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 17 मिलियन से अधिक परिवारों के पास आवास नहीं है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) का अनुमान है कि भारत की 22% से अधिक शहरी आबादी अनौपचारिक बस्तियों या मलिन बस्तियों में रहती है।
- बेघर होने के कारणों में गरीबी, प्राकृतिक आपदाएँ और विकास परियोजनाओं के कारण होने वाला विस्थापन शामिल है।
- किफायती आवास विकल्पों की कमी से यह समस्या और गंभीर बनी हुई है।
- वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 17 मिलियन से अधिक परिवारों के पास आवास नहीं है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) का अनुमान है कि भारत की 22% से अधिक शहरी आबादी अनौपचारिक बस्तियों या मलिन बस्तियों में रहती है।
- सामाजिक न्याय पर प्रभाव:
- शोषण में वृद्धि: पर्याप्त आवास के अभाव से भारत में सामाजिक न्याय पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
- बेघर होने से हिंसा, शोषण के शिकार होने के साथ निम्न स्वास्थ्य सुविधाएँ मिल पाती हैं जिससे व्यक्तियों और समुदायों के लिये अपनी पूरी क्षमता हासिल करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
- सामाजिक न्याय में बाधक: यह दलितों और आदिवासियों जैसे सीमांत समुदायों को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है जिनकी अक्सर पर्याप्त आवास और बुनियादी सुविधाओं तक पहुँच सीमित होती है।
- लैंगिक समानता में बाधक: आवास का मुद्दा लैंगिक समानता जैसे सामाजिक न्याय के अन्य क्षेत्रों से भी जुड़ा हुआ है। महिलाएँ विशेष रूप से बेघर होने के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं क्योंकि ये अक्सर घरेलू हिंसा की शिकार होती हैं जिससे इन्हें अपना घर छोड़ने के लिये मजबूर किया जाता है।
- अपर्याप्त आवास से बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित होती है क्योंकि बेघर होने के कारण अक्सर बच्चे नियमित रूप से स्कूल नहीं जा पाते हैं या पूरी तरह से स्कूल छोड़ देते हैं।
- शोषण में वृद्धि: पर्याप्त आवास के अभाव से भारत में सामाजिक न्याय पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
- भारत में आवासविहीनता के मुद्दे का समाधान:
- भारत में आवासविहीनता के मुद्दे का समाधान करने के लिये सरकारी हस्तक्षेप, नागरिक समाज की भागीदारी और समुदाय आधारित समाधानों को शामिल करते हुए बहु-आयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। कुछ संभावित समाधानों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- शासन प्रणाली में सुधार करना: गरीबों और बेघरों के लिये बेहतर आवास विकल्प प्रदान करने के लिये प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) और दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (DAY-NULM) जैसी सरकारी पहलों की प्रभावशीलता को बढ़ाना आवश्यक है।
- निजी क्षेत्र को शामिल करना: किफायती आवास विकल्प प्रदान करने में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना जरूरी है।
- कानूनी प्रावधानों को प्रभावी बनाना: इससे संबंधित कानूनी ढाँचे को प्रभावी बनाना चाहिये।
- जागरूकता का प्रसार करना: आवासविहीनता के मुद्दे तथा सामाजिक न्याय पर इसके प्रभाव के संबंध में जनता की जागरूकता और संवेदनशीलता को बढ़ाना आवश्यक है।
- नवाचार पर बल देना: समाज के गरीब और सीमांत वर्गों के लिये आवास विकल्प प्रदान करने के लिये स्वयं सहायता समूहों और सहकारी आवास समितियों सहित समुदाय-आधारित समाधानों को बढ़ावा देना चाहिये।
- भारत में आवासविहीनता के मुद्दे का समाधान करने के लिये सरकारी हस्तक्षेप, नागरिक समाज की भागीदारी और समुदाय आधारित समाधानों को शामिल करते हुए बहु-आयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। कुछ संभावित समाधानों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- संबंधित सरकारी पहलें:
- भारत सरकार ने आवासविहीनता के मुद्दे को हल करने के लिये कई पहलें लागू की हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण पहलों में से एक वर्ष 2015 में शुरू की गई प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) है जिसे वर्ष 2022 तक सभी को किफायती आवास उपलब्ध कराने हेतु शुरू किया गया।
- यह योजना उन लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है जिन्हें अपने घरों का निर्माण या नवीनीकरण करने की आवश्यकता है।
- यह योजना दलितों और आदिवासियों जैसे वंचित समुदायों को भी प्राथमिकता देती है और इसमें महिलाओं के नेतृत्व वाले परिवारों के लिये विशेष प्रावधान किया गया है।
- भारत सरकार ने आवासविहीनता के मुद्दे को हल करने के लिये कई पहलें लागू की हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण पहलों में से एक वर्ष 2015 में शुरू की गई प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) है जिसे वर्ष 2022 तक सभी को किफायती आवास उपलब्ध कराने हेतु शुरू किया गया।
निष्कर्ष:
- भारत में आवासविहीनता के मुद्दे का सामाजिक न्याय पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। जिसके कारण हाशिए पर स्थित समुदायों के साथ सामाजिक न्याय के अन्य क्षेत्रों जैसे लैंगिक समानता और शिक्षा में भेदभाव देखने को मिलता है।
- भारत सरकार ने इन मुद्दों को हल करने के लिये कई पहलें की हैं लेकिन प्रत्येक नागरिक के पास पर्याप्त आवास को सुनिश्चित करने के लिये और अधिक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। समावेशी विकास हेतु सभी नागरिकों के लिये पर्याप्त आवास के अधिकार को सुनिश्चित करना आवश्यक है।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print