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प्रश्न :
भारतीय संविधान की ऐसी प्रमुख विशेषताएँ और महत्वपूर्ण प्रावधान क्या हैं जिनसे भारतीय समाज में विविधता में एकता को प्रोत्साहन मिलता है? चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
28 Feb, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत की समृद्ध विविधता का संक्षिप्त परिचय देते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- संविधान की ऐसी प्रमुख विशेषताओं पर चर्चा कीजिये जिनका उद्देश्य भारतीय समाज में विविधता में एकता को प्रोत्साहित करना है।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- भारत समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, कई भाषाओं और विभिन्न धार्मिक मान्यताओं के साथ अपनी विविधता के लिये जाना जाने वाला देश है। भारतीय संविधान (जो 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ) देश की एकता और विविधता को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। संविधान का उद्देश्य सभी नागरिकों को उनकी जाति, धर्म या लिंग के इतर सामान अधिकार प्रदान कराना है।
मुख्य भाग:
भारतीय संविधान भारत की विविधता और एकता को दर्शाता है। इसकी कई विशेषताएँ और प्रावधान हैं जिनका उद्देश्य भारतीय समाज में विविधता में एकता को प्रोत्साहित करना है जैसे:
- एकल संविधान: पूरा देश एक ही संविधान द्वारा शासित होता है जो सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों पर लागू होता है।
- इससे सभी नागरिकों के लिये कानून, अधिकारों और कर्तव्यों का एक सामान्य ढाँचा सुनिश्चित होता है। इसका एक उदाहरण अनुच्छेद 1 है जो इंडिया यानी भारत को राज्यों का संघ घोषित करता है।
- मौलिक अधिकार: संविधान सभी नागरिकों को कुछ बुनियादी अधिकारों की गारंटी देता है जैसे समानता, स्वतंत्रता, धार्मिक, अभिव्यक्ति की आजादी आदि।
- ये अधिकार व्यक्तियों और समूहों के हितों और सम्मान की रक्षा करते हैं और समाज के विभिन्न वर्गों के बीच सहिष्णुता और सद्भाव को बढ़ावा देते हैं।
- इसका एक उदाहरण अनुच्छेद 14 है जो विधि के समक्ष समता और विधियों का समान संरक्षण सुनिश्चित करता है।
- इसके अलावा अनुच्छेद 15 धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव पर रोक लगाता है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी नागरिकों के साथ कानून के तहत समान रूप से व्यवहार किया जाए जिससे विभिन्न समूहों के बीच एकता को बढ़ावा मिलता है।
- ये अधिकार व्यक्तियों और समूहों के हितों और सम्मान की रक्षा करते हैं और समाज के विभिन्न वर्गों के बीच सहिष्णुता और सद्भाव को बढ़ावा देते हैं।
- राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत (DPSP): संविधान द्वारा सामाजिक न्याय, आर्थिक कल्याण, पर्यावरण संरक्षण आदि प्राप्त करने के क्रम में राज्य के लिये कुछ दिशानिर्देशों का निर्धारण किया गया है।
- ये सिद्धांत भारत के लोगों की आकांक्षाओं और मूल्यों को दर्शाते हैं और सामान्य कल्याण एवं राष्ट्रीय एकता की भावना को बढ़ावा देते हैं।
- इसका एक उदाहरण अनुच्छेद 39A है जो सभी के लिये न्याय सुनिश्चित करने हेतु राज्य को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने का निर्देश देता है।
- संघवाद: संविधान में सरकार की संघीय प्रणाली का प्रावधान किया गया है जहाँ शक्तियाँ केंद्र और राज्यों के बीच विभाजित होती हैं।
- इससे एकीकृत ढाँचे के तहत क्षेत्रीय स्वायत्तता और विविधता सुनिश्चित होती है। संविधान में सरकार के विभिन्न स्तरों जैसे अंतर्राज्यीय परिषदों, वित्त आयोगों आदि के बीच विवादों को हल करने के लिये तंत्र प्रदान किया गया है।
- शक्तियों का हस्तांतरण: भारतीय संविधान में स्थानीय शासन के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए पंचायतों और नगर पालिकाओं जैसे स्थानीय स्वशासी निकायों की स्थापना का प्रावधान किया गया है।
- इस प्रावधान ने स्थानीय प्रशासन और निर्णय लेने में विविध पृष्ठभूमि के लोगों की भागीदारी को बढ़ावा देने में मदद की है।
- धर्मनिरपेक्षता: संविधान भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित करता है जहाँ राज्य द्वारा किसी भी धर्म के साथ भेदभाव नहीं किया जाता है। राज्य सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान करता है और उनकी स्वतंत्रता की रक्षा करता है।
- संविधान विभिन्न समुदायों के लिये कई व्यक्तिगत कानूनों की अनुमति देकर धार्मिक सह-अस्तित्व को भी बढ़ावा देता है।
- इसका एक उदाहरण अनुच्छेद 25 है जो अंतःकरण की स्वतंत्रता और धर्म के प्रचार तथा प्रसार की स्वतंत्रता देता है।
- भाषाई विविधता: संविधान 22 भाषाओं को भारत की आधिकारिक भाषाओं के रूप में मान्यता देता है जबकि राज्यों द्वारा अन्य भाषाओं को मान्यता देने की अनुमति दी गई है।
- संविधान भाषाई अल्पसंख्यकों को अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने का भी प्रावधान करता है।
- इसका एक उदाहरण अनुच्छेद 350A है जो भाषाई अल्पसंख्यकों को अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान करता है।
- सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार: संविधान सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकारों के संरक्षण के महत्त्व को स्वीकार करता है। संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 में भारत में अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा का प्रावधान किया गया है। यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक समुदाय को अपनी संस्कृति, भाषा और लिपि के संरक्षण का अधिकार है। संविधान अल्पसंख्यकों के हितों को बढ़ावा देने के लिये शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना का भी प्रावधान करता है।
- इसके अलावा संविधान का अनुच्छेद 371 पूर्वोत्तर राज्यों और आदिवासी क्षेत्रों के विकास के लिये विशेष प्रावधान प्रदान करता है।
- यह प्रावधान इन क्षेत्रों की अद्वितीय सांस्कृतिक और भाषाई विविधता को मान्यता देता है और इनकी सांस्कृतिक पहचान की रक्षा करते हुए इनके विकास का पर बल देता है।
- इसके अलावा संविधान का अनुच्छेद 371 पूर्वोत्तर राज्यों और आदिवासी क्षेत्रों के विकास के लिये विशेष प्रावधान प्रदान करता है।
निष्कर्ष:
भारतीय संविधान एक अनूठा दस्तावेज है जो भारत की विविधता और एकता को दर्शाता है। मौलिक अधिकारों, राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों, संघवाद, स्थानीय शासन, धर्मनिरपेक्षता, भाषाई विविधता और सांस्कृतिक तथा शैक्षिक अधिकारों के संबंध में इसके प्रावधान भारतीय समाज में विविधता में एकता को बढ़ावा देते हैं। संविधान ने देश के सद्भाव और एकता को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है और भारत को एक लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष एवं विविधतापूर्ण राष्ट्र के रूप में विकसित होने में मदद की है।
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