नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रमुख नैतिक सिद्धांत और ढाँचे क्या हैं और इनका किस प्रकार से वास्तविक विश्व की नैतिक दुविधाओं के संबंध में अनुप्रयोग किया जा सकता है? (150 शब्द)

    23 Feb, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • नैतिक सिद्धांतों का संक्षेप में परिचय देते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • वास्तविक विश्व की नैतिक दुविधाओं से संबंधित विभिन्न नैतिक सिद्धांतों और उनके अनुप्रयोगों पर चर्चा कीजिये।
    • तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    • नैतिक सिद्धांत नैतिक मुद्दों और दुविधाओं को समझने एवं उनका विश्लेषण करने के लिये एक ढाँचा प्रदान करते हैं, जिससे व्यक्तियों तथा संगठनों को उचित एवं जिम्मेदार निर्णय लेने में मदद मिलती है।

    मुख्य भाग:

    • ऐसे कई प्रमुख नैतिक सिद्धांत और ढाँचे हैं जिनका उपयोग वास्तविक विश्व में नैतिक दुविधाओं का विश्लेषण और समाधान करने के लिये किया जा सकता है। जैसे:
      • उपयोगितावाद: इस सिद्धांत के अनुसार सबसे अच्छा कार्य वह है जो समग्र सुख या कल्याण को अधिकतम करता है। उपयोगितावाद के अनुसार हमें अपने कार्यों के परिणामों का मूल्यांकन करते हुए ऐसा मार्ग चुनना चाहिये जो अधिकतम लोगों के अधिकतम कल्याण पर आधारित हो।
        • उदाहरण: एक इंजीनियर एक नया उत्पाद तैयार कर रहा है जिसका उपयोग हजारों लोग करेंगे। ऐसे में उसे यह तय करने की आवश्यकता है कि क्या एक सस्ती सामग्री का उपयोग करना है जो आसानी से टूट सकती है या अधिक महंगी सामग्री का जो अधिक समय तक चलेगी।
          • उपयोगितावाद के अनुसार इंजीनियर उस सामग्री का चयन करेगा जिसके परिणामस्वरूप अधिकांश लोगों का कल्याण हो।
      • कर्त्तव्यशास्त्र (Deontology): इस सिद्धांत के अनुसार कार्य, कर्त्तव्य या नैतिक दायित्व की भावना पर आधारित होने चाहिये। यह सार्वभौमिक नैतिक सिद्धांतों और इस विचार पर जोर देता है कि कुछ कार्य स्वाभाविक रूप से सही या गलत हैं, चाहे उनके परिणाम कुछ भी हों।
        • उदाहरण: एक डॉक्टर किसी मरीज का इलाज कर रहा है जो गंभीर रूप से बीमार है और उसे गंभीर दर्द हो रहा है। ऐसे में यदि रोगी अनुरोध करता है कि डॉक्टर जीवन को समाप्त करने वाली दवा प्रदान करे ताकि वह अपनी पीड़ा को समाप्त कर सके।
          • ऐसे में कर्त्तव्यशास्त्र के तहत डॉक्टर ऐसी दवा प्रदान नहीं करेगा क्योंकि यह जीवन को संरक्षित करने के सिद्धांत और हिप्पोक्रेटिक शपथ "कोई नुकसान नहीं करना" के खिलाफ होगा।
      • सद्गुण नैतिकता: यह सिद्धांत नैतिक चरित्र एवं ईमानदारी, करुणा तथा निष्पक्षता जैसे गुणों के विकास पर जोर देता है। इसके अनुसार नैतिक व्यवहार उन व्यक्तियों से विकसित होता है जो इन गुणों को अपने कार्यों में शामिल करने का प्रयास करते हैं।
        • उदाहरण: कोई कंपनी किसी ऐसी नई नीति को लागू करने पर विचार कर रही है जिसमें लाभ तो बढ़ रहे हों लेकिन इससे पर्यावरण को भी नुकसान हो।
          • सद्गुण नैतिकता के अनुसार यह कंपनी अपना निर्णय लेते समय जिम्मेदारी के गुणों, पर्यावरण प्रबंधन और भविष्य की पीढ़ियों के कल्याण पर विचार करेगी।
      • देखभाल की नैतिकता: यह सिद्धांत नैतिक निर्णय लेने के क्रम में व्यक्तिगत संबंधों और सहानुभूति के महत्त्व पर जोर देता है। इसके अनुसार जिन लोगों की हम देखभाल करते हैं उनके प्रति हमारे नैतिक दायित्व होते हैं जैसे कि परिवार के सदस्य, मित्र और समुदाय के सदस्य।
        • उदाहरण: एक सामाजिक कार्यकर्ता आर्थिक कठिनाई का सामना कर रहे परिवार की सहायता कर रहा है। ऐसे में परिवार को अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिये संसाधनों की आवश्यकता है, लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता इसके साथ उनकी गरिमा और स्वायत्तता को बनाए रखने के बारे में भी चिंतित है।
          • ऐसे में देखभाल की नैतिकता को लागू करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता परिवार के साथ विश्वास और सहानुभूति के संबंध बनाने को प्राथमिकता देगा एवं अपनी एजेंसी की भावना को संरक्षित करते हुए उनकी जरूरतों को पूरा करने वाले समाधान खोजने के लिये सहयोगी रूप से कार्य करेगा।
      • ये नैतिक सिद्धांतों के कुछ ऐसे उदाहरण हैं जिन्हें वास्तविक विश्व की नैतिक दुविधाओं को हल करने में लागू किया जा सकता है। अंततः सबसे अच्छा तरीका प्रत्येक स्थिति के विशिष्ट संदर्भ और परिस्थितियों के साथ-साथ शामिल व्यक्तियों के मूल्यों और विश्वासों पर निर्भर करेगा।

    निष्कर्ष:

    • वास्तविक विश्व की नैतिक दुविधाओं के संदर्भ में इन नैतिक सिद्धांतों और रूपरेखाओं को लागू करने के क्रम में, विशिष्ट स्थिति और शामिल विभिन्न नैतिक दृष्टिकोणों पर विचार करना महत्त्वपूर्ण है। यह पहचानना भी महत्त्वपूर्ण है कि विभिन्न नैतिक सिद्धांतों और दृष्टिकोणों से इस बारे में अलग-अलग निष्कर्ष निकल सकते हैं कि किसी स्थिति में नैतिक क्या है, इसीलिये नैतिक निर्णय लेने में अक्सर जटिल निर्णय एवं समझौते शामिल होते हैं।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow