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प्रश्न :
मानव अधिकारों, संघर्ष समाधान और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में बल प्रयोग जैसे मुद्दों के संबंध में निर्णय, कौन से नैतिक सिद्धांतों से निर्देशित होने चाहिये? (150 शब्द)
23 Feb, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- नैतिक सिद्धांतों और इनकी भूमिका का संक्षिप्त परिचय देते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- विभिन्न नैतिक सिद्धांतों पर चर्चा कीजिये जो अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में निर्णय निर्धारण में मार्गदर्शक होते हैं।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- नैतिक सिद्धांत आधारभूत मूल्यों और विश्वासों के एक ऐसे समूह को संदर्भित करते हैं जो नैतिक निर्णय लेने में व्यक्तिगत और सामूहिक व्यवहार का मार्गदर्शन करते हैं।
- ये मानव अधिकारों, संघर्ष समाधान और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में बल प्रयोग के संबंध में निर्णय लेने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- ये सिद्धांत यह सुनिश्चित करने के लिये एक ढाँचा प्रदान करते हैं कि व्यक्तियों और समूहों के साथ सम्मान, निष्पक्षता और गरिमा के साथ व्यवहार किया जाता है। इसके अलावा इन सिद्धांतों को अंतर्राष्ट्रीय संधियों और समझौतों में शामिल करने से राष्ट्रों के बीच अधिक सहयोग और समझ को बढ़ावा देने में सहायता मिली है।
मुख्य भाग:
- ऐसे कई नैतिक सिद्धांत हैं जो मानव अधिकारों, संघर्ष समाधान और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में बल प्रयोग के संबंध में निर्णयों का मार्गदर्शन करते हैं। जैसे:
- मानवीय गरिमा का सम्मान करना: यह सिद्धांत इस बात पर जोर देता है कि सभी व्यक्तियों में गरिमा का मूल्य निहित है तथा इनके साथ सम्मान एवं निष्पक्षता के साथ व्यवहार किया जाना चाहिये। यह मानवाधिकारों का आधार है और इसके लिये आवश्यक है कि सरकारें एवं व्यक्ति दूसरों के साथ अपने स्वयं के साधन के रूप में व्यवहार न करें।
- व्यवहार में इस सिद्धांत का एक उदाहरण मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा है जो सभी लोगों की गरिमा और अधिकारों की रक्षा के लिये एक रूपरेखा निर्धारित करता है।
- क्षति न पहुँचाना: इस सिद्धांत के अनुसार हमारे कार्यों के द्वारा दूसरों को नुकसान न होने के साथ उन्हें अनावश्यक पीड़ा नहीं होनी चाहिये। यह संघर्ष समाधान और बल प्रयोग जैसे मुद्दों में विशेष रूप से प्रासंगिक है, जहाँ निर्दोष नागरिकों को नुकसान का खतरा होता है।
- व्यवहार में इस सिद्धांत का एक उदाहरण जिनेवा कन्वेंशन है, जिसके तहत युद्ध बंदियों और संघर्ष के दौरान नागरिकों के मानवीय उपचार के लिये नियम निर्धारित किये गए हैं।
- कल्याणकारी दृष्टिकोण: इस सिद्धांत के अनुसार हमें दूसरों के सर्वोत्तम हित में कार्य करने के साथ उनके कल्याण को बढ़ावा देना चाहिये। यह मानव अधिकारों जैसे मुद्दों में विशेष रूप से प्रासंगिक है, जहाँ लक्ष्य व्यक्तियों की भलाई और स्वतंत्रता को बढ़ावा देना होता है।
- व्यवहार में इस सिद्धांत का एक उदाहरण संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य हैं, जिनका उद्देश्य मानवाधिकारों की रक्षा करते हुए आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देना है।
- न्याय: इस सिद्धांत के अनुसार हमें लोगों के साथ उचित और समान व्यवहार करने पर बल देना चाहिये।
- यह मानवाधिकार जैसे मुद्दों में विशेष रूप से प्रासंगिक है, जहाँ लक्ष्य यह सुनिश्चित करना होता है कि कानून के तहत सभी व्यक्तियों के साथ समान व्यवहार किया जाए।
- व्यवहार में इस सिद्धांत का एक उदाहरण अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय है जो युद्ध अपराधों, नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों के लिये व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने के लिये जिम्मेदार है।
- यह मानवाधिकार जैसे मुद्दों में विशेष रूप से प्रासंगिक है, जहाँ लक्ष्य यह सुनिश्चित करना होता है कि कानून के तहत सभी व्यक्तियों के साथ समान व्यवहार किया जाए।
- स्वायत्तता का सम्मान: इस सिद्धांत के अनुसार हमें व्यक्तियों के निर्णय लेने और उनके स्वयं के जीवन पर नियंत्रण रखने के अधिकारों का सम्मान करना चाहिये। यह मानव अधिकारों जैसे मुद्दों में विशेष रूप से प्रासंगिक है, जिसका लक्ष्य व्यक्तियों को उत्पीड़न से बचाना होता है।
- व्यवहार में इस सिद्धांत का एक उदाहरण अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, जो व्यक्तियों को अपनी राय और विचार व्यक्त करने की अनुमति देता है।
- मानवीय गरिमा का सम्मान करना: यह सिद्धांत इस बात पर जोर देता है कि सभी व्यक्तियों में गरिमा का मूल्य निहित है तथा इनके साथ सम्मान एवं निष्पक्षता के साथ व्यवहार किया जाना चाहिये। यह मानवाधिकारों का आधार है और इसके लिये आवश्यक है कि सरकारें एवं व्यक्ति दूसरों के साथ अपने स्वयं के साधन के रूप में व्यवहार न करें।
निष्कर्ष:
कुल मिलाकर मानव अधिकारों, संघर्ष समाधान और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में बल प्रयोग के संबंध में निर्णय उपर्युक्त नैतिक सिद्धांतों से निर्देशित होने चाहिये। इन सिद्धांतों का पालन करके हम अधिक न्यायपूर्ण, शांतिपूर्ण और न्यायसंगत विश्व बनाने की दिशा में कार्य कर सकते हैं।
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