प्लास्टिक के उपयोग से प्रदूषण में उल्लेखनीय वृद्धि होने के साथ समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का विनाश हुआ है। पर्यावरण पर प्लास्टिक प्रदूषण के प्रभाव पर चर्चा करने के साथ इसे कम करने तथा समुद्री जीवों की रक्षा हेतु उपाय सुझाइए। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- पर्यावरण पर प्लास्टिक प्रदूषण के प्रभाव को संक्षेप में समझाते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के उपायों पर चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
- प्लास्टिक के आविष्कार ने हमारे जीने के तरीके में क्रांति ला दी है। यह सस्ती और टिकाऊ होती है जिससे इसके विभिन्न अनुप्रयोग किये जा सकते है। प्लास्टिक के व्यापक उपयोग से प्रदूषण में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है (विशेष रूप से समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में)।
मुख्य भाग:
- पर्यावरण पर प्लास्टिक प्रदूषण का प्रभाव:
- जीवों का इसमें उलझ जाना:
- प्लास्टिक अपशिष्ट में जीव-जंतु उलझ सकते हैं जिससे इनकी मौत हो सकती है। समुद्री जंतु जैसे समुद्री कछुए, समुद्री पक्षी और समुद्री स्तनधारी, गलती से प्लास्टिक के मलबे को भोजन समझ लेते हैं या प्लास्टिक के जाल और रस्सियों में फंस जाते हैं, जिससे इन्हें क्षति होने के साथ इनकी मौत हो सकती है।
- रासायनिक प्रदूषण:
- प्लास्टिक अपशिष्ट से पर्यावरण में जहरीले रसायनों और प्रदूषकों का उत्सर्जन हो सकता है। प्लास्टिक उत्पादों में विभिन्न प्रकार के प्रदूषक रसायन होते हैं जो मृदा, जल और वायु को दूषित कर सकते हैं। ये रसायन जानवरों और मनुष्यों के लिये हानिकारक हो सकते हैं जिससे प्रजनन संबंधी समस्याएँ, जन्म दोष और कैंसर जैसे विकार हो सकते हैं।
- जंतुओं द्वारा माइक्रोप्लास्टिक का अंतर्ग्रहण करना:
- प्लास्टिक अपशिष्ट छोटे कणों में टूट सकता है जिसे माइक्रोप्लास्टिक्स के रूप में जाना जाता है। इसे जंतुओं द्वारा निगला जा सकता है और अंततः यह खाद्य श्रृंखला के माध्यम से मनुष्यों तक पहुँच सकता है।
- माइक्रोप्लास्टिक जानवरों के ऊतकों में जमा हो सकता है जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ होने के साथ उनकी प्रजनन क्षमता कम हो सकती है।
- आवास का विनाश:
- प्लास्टिक प्रदूषण आवास विनाश और पारिस्थितिक तंत्र में परिवर्तन का कारण बन सकता है। प्लास्टिक का मलबा समुद्र तल को ढक सकता है जिससे सूर्य का प्रकाश यहाँ के पौधों और जंतुओं तक नहीं पहुँच पाता है।
- यह पारिस्थितिकी तंत्र की उत्पादकता में गिरावट के साथ जैव विविधता के नुकसान का कारण बन सकता है।
- प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने और समुद्री जंतुओं की रक्षा के उपाय:
- न्यूनीकरण (reduce), पुन: उपयोग (Reuse) और पुनर्चक्रण (Recycle) करना:
- प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है प्लास्टिक उत्पादों की खपत को कम करना। हम डिस्पोजेबल के बजाय पुन: प्रयोज्य बैग, बोतलों और कंटेनरों का उपयोग करके ऐसा कर सकते हैं।
- लैंडफिल और महासागरों में जाने वाले अपशिष्ट की मात्रा को कम करने के लिये हम प्लास्टिक उत्पादों का पुनर्चक्रण कर सकते हैं।
- प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगाना:
- प्लास्टिक बैग प्लास्टिक प्रदूषण का प्रमुख स्रोत है। कई देशों और शहरों ने सिंगल यूज प्लास्टिक बैग पर बैन लागू कर दिया है। उदाहरण के लिये हाल ही में भारत ने सिंगल-यूज प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगाया और कई अन्य देशों ने भी इसका अनुसरण किया है। इस तरह के प्रतिबंध इन क्षेत्रों में प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने में प्रभावी रहे हैं।
- सतत् प्रथाओं को अपनाना:
- प्लास्टिक उत्पादों का उत्पादन और उपयोग करने वाले उद्योग प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के लिये सतत् प्रथाओं को अपना सकते हैं।
- उदाहरण के लिये ये ऐसे उत्पादों को डिज़ाइन कर सकते हैं जिनका पुनर्चक्रण करना आसान हो।
- ये अपशिष्ट कम करने के कार्यक्रमों को लागू करने के साथ प्लास्टिक के अधिक टिकाऊ विकल्प विकसित करने के लिये अनुसंधान में निवेश कर सकते हैं।
- प्लास्टिक अपशिष्ट की सफाई करना:
- इन प्रयासों से समुद्र और अन्य समुद्री पारिस्थितिक तंत्रों से प्लास्टिक अपशिष्ट को हटाने में मदद मिल सकती है।
- उदाहरण के लिये द ओशन क्लीनअप एक ऐसा संगठन है जो समुद्र से प्लास्टिक अपशिष्ट को साफ करने के लिये उन्नत तकनीकों का विकास कर रहा है।
निष्कर्ष:
प्लास्टिक प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है जो समुद्री जीवन और पारिस्थितिक तंत्र के लिये एक प्रमुख खतरा है। प्लास्टिक के कई लाभ होने के बावजूद हमें इसकी खपत को कम करने और इसकी स्थिरता में सुधार के लिये कदम उठाने चाहिये। सतत् प्रथाओं को अपनाने, एकल उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने और इसकी सफाई के प्रयासों में निवेश करके, हम प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के साथ महासागरों और समुद्री जीवों की रक्षा कर सकते हैं।