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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    सार्वजनिक नीति के संदर्भ में नैतिक निर्णय निर्धारण से उपयोगितावाद का सिद्धांत किस प्रकार संबंधित है? एक उदाहरण की सहायता से चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    16 Feb, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • उपयोगितावाद का संक्षिप्त परिचय देते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • सार्वजनिक नीति में नीतिशास्त्रीय (नैतिक) निर्णय लेने में उपयोगितावाद की भूमिका पर चर्चा कीजिये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    • उपयोगितावाद एक नैतिक सिद्धांत है जो बड़ी संख्या में लोगों की अधिकतम भलाई को बढ़ावा देता है। यह एक परिणामवादी सिद्धांत है, जिसका अर्थ है कि किसी कार्य के सही या गलत होने का निर्धारण उसके परिणामों से होता है।
    • उपयोगितावाद के अनुसार उत्कृष्ट नीतिशास्त्रीय कृत्य वह होता है जो बड़ी संख्या में लोगों के हित से संबंधित होता है। इसके विपरीत, सबसे निकृष्ट नीतिशास्त्रीय कृत्य वह होता है जो बड़ी संख्या में लोगों को पीड़ा पहुँचाता है या पीड़ा पहुँचाने का कारण बनता है।

    मुख्य भाग:

    • सार्वजनिक नीति में उपयोगितावाद और नीतिशास्त्रीय निर्णयन:
      • समग्र कल्याण: सार्वजनिक नीति निर्णयन उपयोगितावाद एक महत्त्वपूर्ण सिद्धांत है क्योंकि यह समग्र रूप से समाज के कल्याण को ध्यान में रखता है। नीति निर्माता अपने निर्णयों के संभावित परिणामों का मूल्यांकन करने और कार्रवाई का सर्वोत्तम तरीका निर्धारित करने के लिये इस सिद्धांत का उपयोग करते हैं।
      • नीतियों के मूल्यांकन में मदद: यह सार्वजनिक नीति निर्णयन में विशेष रूप से उपयोगी है क्योंकि यह विभिन्न नीति विकल्पों के बीच समंजन के मूल्यांकन के लिये एक ढाँचा प्रदान करता है।
      • दीर्घकालिक प्रभाव का विश्लेषण: उपयोगितावाद के लिये भी नीति निर्माताओं को अपने निर्णयों के दीर्घकालिक प्रभाव पर विचार करने की आवश्यकता होती है। ऐसा इसलिये है क्योंकि सिद्धांत न केवल अल्पावधि में बल्कि दीर्घावधि में भी सबसे बड़ी संख्या में लोगों की अधिकतम भलाई की वकालत करता है। इसलिये, नीति निर्माता भविष्य की पीढ़ियों पर नीतिगत निर्णय के संभावित प्रभाव पर विचार करेंगे।
        • उदाहरण के लिये, भारतीय संदर्भ में, एक सार्वजनिक नीति का मुद्दा जिसका उपयोगितावाद की दृष्टि से विश्लेषण किया जा सकता है, 2017 में वस्तु एवं सेवा कर (GST) का कार्यान्वयन है।
        • GST को एक सामान्य बाज़ार बनाने, कर अनुपालन को सरल बनाने और उपभोक्ताओं पर समग्र कर के बोझ को कम करने के लिये अभिकल्पित किया गया था। GST के कार्यान्वयन से कर राजस्व में वृद्धि एवं वस्तुओं और सेवाओं पर कई करों के व्यापक प्रभाव को कम करने की उम्मीद थी।
        • उपयोगितावादी दृष्टिकोण से, GST के कार्यान्वयन को एक नैतिक निर्णय माना जा सकता है क्योंकि यह अधिक कुशल और न्यायसंगत कर प्रणाली बनाकर भारत में अधिकांश लोगों को लाभान्वित करता है।
        • GST कर प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करके और समग्र कर के बोझ को कम करके व्यवसायों को लाभान्वित करता है, जो आर्थिक विकास को प्रोत्साहित कर सकता है और रोज़गार सृजित कर सकता है। यह वस्तुओं और सेवाओं की लागत को कम करके और छिपे हुए करों को समाप्त करके उपभोक्ताओं को भी लाभान्वित करता है।
        • हालाँकि, GST के कार्यान्वयन ने कुछ नकारात्मक परिणाम भी उत्पन्न किये, जैसे व्यवसायों के लिये प्रारंभिक व्यवधान और कुछ राज्यों के लिये राजस्व की संभावित हानि। कुछ आलोचकों ने तर्क दिया कि GST ने छोटे व्यवसायों और कम आय वाले व्यक्तियों को असमान रूप से प्रभावित किया है।
        • उपयोगितावादी दृष्टिकोण से, GST को लागू करने का नैतिक निर्णय अंततः लाभ और हानि के समग्र संतुलन पर निर्भर करता है। नीति को भारत में अधिकांश लोगों को लाभान्वित करने के लिये अभिकल्पित किया गया था, लेकिन यह भी संभव है कि कुछ व्यक्तियों या समूहों को इसके नकारात्मक परिणामों का अनुभव हुआ हो।
        • उपयोगितावाद का लक्ष्य अधिकतम लोगों का अधिकतम हित है, लेकिन यह सिद्धांत कभी-कभी व्यक्तिगत या अल्पसंख्यक अधिकारों के साथ संघर्ष कर सकता है।

    निष्कर्ष:

    • उपयोगितावाद का सिद्धांत कार्यों के परिणामों पर ध्यान केंद्रित करके सार्वजनिक नीति में नैतिक निर्णयन हेतु एक रूपरेखा प्रदान करता है। इसके लिये निर्णय लेने वालों को जनता के कल्याण पर उनके निर्णयों के प्रभाव पर विचार करने और उस विकल्प को चुनने की आवश्यकता होती है जो अधिकतम लोगों का अधिकतम हित कर सके और न्यूनतम पीड़ा करें।
      • जबकि व्यवहार में इसे लागू करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, उपयोगितावाद नीति निर्माताओं को नीतिशास्त्रीय और नैतिक निर्णय लेने के लिये एक मूल्यवान उपकरण प्रदान करता है जो जनता के हित को बढ़ावा देता है।

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