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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    "नैतिक सापेक्षवाद (Ethical relativism)" की अवधारणा पर चर्चा करते हुए नैतिक निर्णय लेने के आधार के रूप में इसके गुणों और दोषों का मूल्यांकन कीजिये। (150 शब्द)

    16 Feb, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • नीतिशास्त्रीय सापेक्षवाद के बारे में संक्षिप्त परिचय देते हुए अपना उत्तर शुरू कीजिये।
    • नैतिक निर्णय लेने में नीतिशास्त्रीय सापेक्षवाद के गुण और दोषों पर चर्चा कीजिये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    • नीतिशास्त्रीय सापेक्षवाद की अवधारणा नैतिक सिद्धांत और मूल्यों को संस्कृति और समाज के सापेक्ष में देखे जाने का विचार है। इसका अर्थ है कि नैतिक मानदंड और मूल्य एक संस्कृति से दूसरी संस्कृति में भिन्न होते हैं और एक संस्कृति में जो नैतिक रूप से स्वीकार्य माना जाता है वह दूसरी संस्कृति में समान नहीं हो सकता है।
    • नैतिकता के क्षेत्र में नीतिशास्त्रीय सापेक्षवाद एक महत्त्वपूर्ण विषय है और इस पत्र में नैतिक निर्णयन के आधार के रूप में इसके गुण और दोषों का मूल्यांकन करने का प्रयास है।

    मुख्य भाग:

    • नीतिशास्त्रीय सापेक्षवाद के गुण:
      • सांस्कृतिक सहिष्णुता: नीतिशास्त्रीय सापेक्षवाद का एक मुख्य गुण यह है कि यह सांस्कृतिक विविधता और अन्य संस्कृतियों के प्रति सम्मान की अनुमति देता है। नैतिक सापेक्षवाद स्वीकार करता है कि विभिन्न संस्कृतियों की अलग-अलग नैतिक मान्यताएँ होती हैं और कोई भी संस्कृति दूसरे से श्रेष्ठ नहीं है।
        • यह पहचानना आवश्यक है कि प्रत्येक संस्कृति के मूल्यों और रीति-रिवाजों का अपना विशिष्ट सम्मुच्य होता है और इस विविधता का आंकलन करने के स्थान पर हमें इस पर गर्व करना चाहिये।
        • नीतिशास्त्रीय सापेक्षवाद सांस्कृतिक सहिष्णुता और आपसी सम्मान को बढ़ावा देता है, जिससे विभिन्न संस्कृतियों के बीच बेहतर समझ और सद्भाव उत्पन्न हो सकता है।
      • संदर्भ का महत्त्व: नीतिशास्त्रीय सापेक्षवाद का एक अन्य गुण यह है कि यह नैतिक निर्णय लेने में संदर्भ और परिप्रेक्ष्य की भूमिका की पहचान करता है। नैतिक निर्णय निर्वात में नहीं लिये जाते हैं, बल्कि विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक कारकों से प्रभावित होते हैं।
        • नीतिशास्त्रीय सापेक्षवाद स्वीकार करता है कि ये कारक नैतिक विश्वासों और प्रथाओं को आकार देते हैं और इस प्रकार, नैतिक निर्णय संदर्भ और परिप्रेक्ष्य के बिना नहीं लिये जाते हैं।
          • उदाहरण के लिये, कुछ संस्कृतियों में, यूथनेशिया/इच्छा मृत्यु को एक नैतिक कृत्य माना जा सकता है, जबकि अन्य इसे अनैतिक कृत्य रूप में देखते हैं।
    • नीतिशास्त्रीय सापेक्षवाद के दोष:
      • नीतिशास्त्रीय सापेक्षवाद: नीतिशास्त्रीय सापेक्षवाद का एक मुख्य दोष यह है कि यह नैतिक सापेक्षवाद को जन्म दे सकता है। नीतिशास्त्रीय सापेक्षवाद विचार के तहत कोई वस्तुनिष्ठ नैतिक सत्य नहीं होता हैं और सभी नैतिक विश्वास समान रूप से मान्य हैं।
        • इससे यह विश्वास उत्पन्न हो सकता है कि जो कुछ भी होता है वह नैतिक रूप से निरपेक्ष नहीं हो सकता। यह खतरनाक हो सकता है, क्योंकि यह उन कार्यों के औचित्य का कारण बन सकता है जिन्हें सार्वभौमिक रूप से अनैतिक माना जाता है, जैसे नरसंहार, यातना या गुलामी।
      • सांस्कृतिक साम्राज्यवाद: नीतिशास्त्रीय सापेक्षवाद का एक और दोष यह है कि यह सांस्कृतिक साम्राज्यवाद को जन्म दे सकता है। सांस्कृतिक साम्राज्यवाद की अवधारणा के तहत एक संस्कृति को दूसरों से श्रेष्ठ समझा जाता है एवं इसके मूल्यों और प्रथाओं को अन्य संस्कृतियों पर लागू किया जाना चाहिये।
        • इससे अन्य संस्कृतियों और उनकी प्रथाओं को खारिज़ किया जा सकता है, जिससे सांस्कृतिक विलोपन और सांस्कृतिक विविधता का नुकसान हो सकता है।
          • उदाहरण के लिये, औपनिवेशिक काल के दौरान, यूरोपीय शक्तियों ने अपने मूल्यों और प्रथाओं को अन्य संस्कृतियों पर थोप दिया, जिसके परिणामस्वरूप कई स्वदेशी संस्कृतियों और प्रथाओं का ह्रास हुआ।
    • नीतिशास्त्रीय सापेक्षवाद का मूल्यांकन:
      • नीतिशास्त्रीय सापेक्षवाद का मूल्यांकन करते हुए इसके गुण और दोषों को पहचानना महत्त्वपूर्ण है। नीतिशास्त्रीय सापेक्षवाद सांस्कृतिक विविधता और अन्य संस्कृतियों के लिये सम्मान की अनुमति देता है, जो एक वैश्वीकृत दुनिया का एक अनिवार्य पहलू है।
        • यह नैतिक निर्णय लेने में संदर्भ की भूमिका को स्वीकार करता है और नैतिक निर्णय लेने में विभिन्न कारकों पर विचार करने की अनुमति देता है। हालाँकि, नीतिशास्त्रीय सापेक्षवाद नैतिक सापेक्षवाद और सांस्कृतिक साम्राज्यवाद को जन्म दे सकता है, जिससे अन्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

    निष्कर्ष:

    • नीतिशास्त्र के क्षेत्र में नीतिशास्त्रीय सापेक्षवाद एक महत्त्वपूर्ण अवधारणा है। यह विभिन्न संस्कृतियों के बीच नीतिशास्त्रीय विश्वासों और प्रथाओं की विविधता को स्वीकार करता है एवं सांस्कृतिक सहिष्णुता और सम्मान की अनुमति देता है। हालाँकि, नीतिशास्त्रीय सापेक्षवाद, नैतिक सापेक्षवाद और सांस्कृतिक साम्राज्यवाद को जन्म दे सकता है, जिससे अन्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती है।
      • इसलिये, नीतिशास्त्रीय सापेक्षवाद के गुण और दोषों को पहचानना और इसे अनैतिक कार्यों या सांस्कृतिक साम्राज्यवाद को औचित्य ठहराने के बजाय सांस्कृतिक विविधता और पारस्परिक सम्मान को बढ़ावा देने के लिये एक उपकरण के रूप में उपयोग करना आवश्यक है।

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