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प्रश्न :
भारत के निर्यात क्षेत्रक की चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा करते हुए इसकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने वाली रणनीतियों का सुझाइए। (250 शब्द)
15 Feb, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत के निर्यात क्षेत्रक के समक्ष आने वाली चुनौतियों और अवसरों के बारे में संक्षेप में चर्चा करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- भारत के निर्यात क्षेत्रक की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने वाली रणनीतियों पर चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- भारत विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है और इसका निर्यात क्षेत्रक महत्त्वपूर्ण है। हाल के वर्षों में भारत देश अपने आर्थिक विकास को बढ़ाने हेतु अपनी निर्यात प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के अनुसार भारत का निर्यात वर्ष 2008 के 289 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2021 में 600 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। इस प्रभावशाली वृद्धि के बावजूद भारत का निर्यात क्षेत्रक कई चुनौतियों का सामना कर रहा है जिससे वैश्विक बाज़ार में इसकी प्रतिस्पर्धात्मकता बाधित होती है।
मुख्य भाग:
- भारत के निर्यात क्षेत्रक के समक्ष चुनौतियाँ:
- सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के बावजूद, भारत के निर्यात क्षेत्रक को पिछले कुछ वर्षों में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है जैसे:
- आधारभूत अवसंरचना: भारत के निर्यात क्षेत्रक में विश्व स्तरीय आधारभूत अवसंरचना का अभाव है, जिससे उत्पाद केंद्र से बंदरगाह तक वस्तुओं को ले जाना मुश्किल हो जाता है।
- नियामक प्रक्रियाएँ: जटिल नियामक प्रक्रियाएँ भारत में निर्यात क्षेत्रक के लिये बड़ी चुनौती रही हैं। अधिक प्रतीक्षा समय और जटिल प्रक्रियाओं के कारण अक्सर निर्यातकों को अपने माल की शिपिंग करने में समस्या होती है।
- कस्टम क्लियरेंस प्रक्रिया का जटिल होना: भारत में कस्टम क्लियरेंस प्रक्रिया जटिल होने से असुविधा होती है।
- अन्य देशों से प्रतिस्पर्धा: भारत को चीन और वियतनाम जैसी अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है, जिनके पास अच्छी तरह से स्थापित निर्यात क्षेत्रक के साथ कम लागत वाले विनिर्माण विकल्प उपलब्ध हैं।
- उच्च रसद लागत: भारत में परिवहन और भंडारण सहित उच्च रसद लागत से इसकी वैश्विक प्रतिस्पर्धा में कमी आती है।
- नवाचार की कमी: भारत के निर्यात क्षेत्रक में कपड़ा, रत्न एवं आभूषण और कृषि जैसे पारंपरिक उद्योगों का प्रभुत्व है। इन उद्योगों में नवाचार और मूल्यवर्धन की सीमित क्षमता होने से कम लाभ के साथ निम्न प्रतिस्पर्धा का जोखिम बना रहता है।
- सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के बावजूद, भारत के निर्यात क्षेत्रक को पिछले कुछ वर्षों में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है जैसे:
- भारत के निर्यात क्षेत्रक में विद्यमान अवसर:
- विभिन्न चुनौतियों के बावजूद भारत के निर्यात क्षेत्रक को वैश्विक बाज़ार में प्रतिस्पर्धी बनाने के कई अवसर हैं जैसे:
- अनुकूल सरकारी नीतियाँ: भारत सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिये कई नीतियाँ शुरू की हैं जैसे कि विदेश व्यापार नीति (FTP) और मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम (MEIS)।
- कुशल श्रमिक बल: भारत में कुशल श्रमिकों की उपलब्धता का निर्यात क्षेत्रक की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिये लाभ उठाया जा सकता है।
- उभरते हुए क्षेत्रक: भारत का सेवा क्षेत्रक तेजी से बढ़ रहा है, जिससे आईटी सेवाओं (टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में निर्यात के अवसर सृजित हो रहे हैं।
- उभरता मध्यम वर्ग: भारत में मध्यम वर्ग की वृद्धि से उच्च गुणवत्ता वाली वस्तुओं की मांग में वृद्धि हुई है जो भारतीय निर्यातकों के समक्ष एक अवसर है।
- विभिन्न चुनौतियों के बावजूद भारत के निर्यात क्षेत्रक को वैश्विक बाज़ार में प्रतिस्पर्धी बनाने के कई अवसर हैं जैसे:
- भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने की रणनीतियाँ:
- भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिये निम्नलिखित रणनीतियों को लागू किया जा सकता है:
- बुनियादी ढाँचे में सुधार करना: परिवहन लागत को कम करने और रसद में सुधार के लिये सरकार को सड़कों, रेलवे और बंदरगाहों सहित अन्य बुनियादी ढाँचे में सुधार के लिये निवेश करना चाहिये।
- नियामक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना: सरकार को नियामक प्रक्रियाओं को सरल और कारगर बनाना चाहिये ताकि निर्यातकों के लिये अपनी वस्तुओं को भेजना आसान हो सके।
- कस्टम क्लियरेंस प्रक्रिया को सुलभ बनाना: कस्टम क्लियरेंस प्रक्रियाओं में सुधार करने और इसमें होने वाली देरी को कम करने के लिये सरकार को प्रौद्योगिकी आधारित समाधान शुरू करने चाहिये।
- नवीन बाज़ारों का विकास करना: भारतीय निर्यातकों को संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप जैसे पारंपरिक बाज़ारों पर अपनी निर्भरता कम करने के साथ नए बाज़ारों की तलाश करनी चाहिये।
- नवाचार को प्रोत्साहन देना: सरकार को अनुसंधान और विकास में प्रोत्साहन देने के साथ विनिर्माण क्षेत्र में नवाचार को प्रोत्साहित करना चाहिये।
- भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिये निम्नलिखित रणनीतियों को लागू किया जा सकता है:
निष्कर्ष:
- भारत के निर्यात क्षेत्रक के विकास की काफी संभावनाएँ हैं लेकिन इसके समक्ष कई चुनौतियाँ विद्यमान हैं। सरकार और निजी क्षेत्रक को इन चुनौतियों का समाधान करने के लिये मिलकर कार्य करने के साथ भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिये विभिन्न रणनीतियों को लागू करना चाहिये।
- बुनियादी ढाँचे में सुधार करने, नियामक प्रक्रियाओं को सरल बनाने, कस्टम क्लियरेंस प्रक्रिया को सुलभ बनाने, नए बाज़ारों की खोज करने और नवाचार को प्रोत्साहित करने से भारतीय निर्यातक वैश्विक बाज़ार में विभिन्न अवसरों का लाभ उठा सकते हैं जिससे भारत की आर्थिक संवृद्धि को बढ़ावा मिल सकता है।
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