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प्रश्न :
राजनीतिक वित्तपोषण, मतदान और निष्पक्ष प्रतिनिधित्व के मुद्दों को हल करने में भारत के मौजूदा चुनाव सुधार उपायों की प्रभावशीलता का आकलन कीजिये। (250 शब्द)
14 Feb, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- चुनाव सुधारों के बारे में संक्षेप में चर्चा करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- राजनीतिक वित्तपोषण, मतदान प्रतिशत और भारत में उचित प्रतिनिधित्व से संबंधित मुद्दों और इस दिशा में की गई पहलों पर चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- चुनावी प्रक्रिया लोकतांत्रिक शासन की आधारशिला है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव से सरकार की वैधता और लोगों की सहमति वाले प्रतिनिधित्व की गारंटी मिलती है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत ने हाल के वर्षों में अपनी चुनावी प्रक्रिया में सुधार हेतु महत्त्वपूर्ण प्रयास किये हैं।
मुख्य भाग:
- राजनीतिक वित्तपोषण: राजनीतिक वित्तपोषण का मुद्दा भारतीय राजनीति में एक प्रमुख चिंता का विषय रहा है। चुनावों में पैसे के प्रभाव से भ्रष्टाचार, अनैतिक प्रथाओं को बढ़ावा मिलने के साथ हाशिए पर स्थित समुदाय राजनीति से बाहर हो गए हैं।
- इसकी प्रतिक्रिया में सरकार ने कई सुधार शुरू किये हैं जैसे:
- चुनावी बॉन्ड: राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2018 में चुनावी बॉन्ड को लाया गया था।
- यह बॉन्ड व्यक्तियों या कंपनियों द्वारा खरीदे जा सकते हैं जिससे धन केवल पंजीकृत राजनीतिक दलों को ही हस्तांतरित किया जा सकता है।
- गुप्त फंडिंग पर सीमा लगाना: सरकार ने गुप्त फंडिंग की सीमा को 2,000 रुपये तक निर्धारित किया है और राजनीतिक दलों को इस राशि से ऊपर के प्राप्त सभी दान के बारे में बताना अनिवार्य कर दिया है। राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता की दिशा में यह एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- दान की इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग: राजनीतिक दलों को 20,000 रुपये से ऊपर के प्राप्त सभी दान के बारे में चुनाव आयोग को इलेक्ट्रॉनिक रूप से बताने की आवश्यकता होती है। इससे दान को ट्रैक करने में आसानी होने के साथ पारदर्शिता को बढ़ावा मिलता है।
- चुनावी बॉन्ड: राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2018 में चुनावी बॉन्ड को लाया गया था।
- मतदान प्रतिशत: भारतीय चुनावों में कम मतदान प्रतिशत रहना एक प्रमुख समस्या रही है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र होने के बावजूद भारत में मतदान प्रतिशत लगातार कम रहा है।
- मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिये सरकार ने कई उपाय किये हैं जैसे:
- इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का उपयोग किया जाना: भारतीय चुनावों में वर्ष 2004 से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का उपयोग शुरू किया गया था। ईवीएम से वोटों की गिनती में लगने वाले समय में काफी कमी आने के साथ यह प्रक्रिया अधिक कुशल हुई है जिससे मतदान प्रतिशत में इजाफा हुआ है।
- मोबाइल वोटिंग बूथ: चुनाव आयोग ने मतदाताओं के लिये वोट डालना आसान बनाने के लिये दूर-दराज और दुर्गम क्षेत्रों में मोबाइल वोटिंग बूथ शुरू किये हैं।
- मतदाता शिक्षा कार्यक्रम: सरकार ने मतदान के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और अधिक लोगों को चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के लिये प्रोत्साहित करने हेतु कई मतदाता शिक्षा कार्यक्रम शुरू किये हैं।
- निष्पक्ष प्रतिनिधित्व: निष्पक्ष प्रतिनिधित्व का मुद्दा चुनावी प्रक्रिया का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है। यह महत्त्वपूर्ण है कि सरकार में सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व हो ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नीतियाँ और लिये गए निर्णय सभी नागरिकों के हित में हैं।
- निष्पक्ष प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिये सरकार ने कई उपाय किये हैं जैसे:
- वंचित समुदायों के लिये आरक्षण प्रदान करना: भारतीय संविधान द्वारा हाशिए पर स्थित समुदायों जैसे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षण का प्रावधान किया गया है। इससे सरकारी प्रणाली में इन समुदायों के प्रतिनिधित्व में वृद्धि हुई है।
- महिलाओं का प्रतिनिधित्व: सरकार में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिये सरकार ने कई उपाय किये हैं।
- महिला आरक्षण विधेयक, जिसमें महिलाओं के लिये लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33% सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव है, संसद में लंबित है।
- निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन: निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन, निष्पक्ष प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है। सरकार द्वरा समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने हेतु निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं को फिर से परिभाषित करने के लिये एक परिसीमन आयोग का गठन किया जाता है।
- विभिन्न पहलों के बावजूद भारत को सीमित संसाधनों, मतदाताओं की उदासीनता और अपनी चुनावी प्रणाली की जटिलता के कारण चुनावी सुधारों को लागू करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ये कारक सुधारों को बड़े पैमाने पर लागू करने और अनपेक्षित परिणामों से बचने के प्रयासों में बाधा डाल सकते हैं।
निष्कर्ष:
- भारत में राजनीतिक वित्तपोषण, मतदान प्रतिशत और निष्पक्ष प्रतिनिधित्व के मुद्दों को हल करने के लिये चुनावी प्रक्रिया में सुधार हेतु कई उपाय किये गए हैं। हालांकि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिये अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
- सरकार को राजनीतिक वित्तपोषण की पारदर्शिता में सुधार, मतदाता जागरूकता और भागीदारी बढ़ाने तथा सभी समुदायों का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की दिशा में प्रयास जारी रखने की आवश्यकता है।
- सरकार में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिये महिला आरक्षण विधेयक को लागू करना अनिवार्य है। चुनावी प्रक्रिया में सुधार के निरंतर प्रयासों से लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने के साथ देश की समग्र प्रगति में मदद मिलेगी।
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