भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में भारतीय महिलाओं की भूमिका का मूल्यांकन कीजिये। (150 शब्द)
13 Feb, 2023
सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का संक्षेप में वर्णन करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
राष्ट्रीय आंदोलन में महिलाओं की भूमिका और उनके समक्ष आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता हासिल करने के उद्देश्य से शुरू किया गया भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन एक राजनीतिक और सामाजिक संघर्ष था। यह आंदोलन एक लंबा और जटिल संघर्ष था जो 19वीं शताब्दी के अंत से लेकर 1947 तक जारी रहा था।
भारतीय महिलाओं ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके योगदान ने इस आंदोलन को आकार देने और भारत के लिये स्वतंत्रता हासिल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
मुख्य भाग:
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में भारतीय महिलाओं की भूमिका:
अहिंसक प्रतिरोध आंदोलन: भारतीय महिलाओं ने नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे अहिंसक प्रतिरोध आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया था।
उदाहरण के लिये अरुणा आसफ अली और सुचेता कृपलानी जैसी महिलाएँ भारत छोड़ो आंदोलन की प्रमुख नेता थीं और उन्होंने बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों और हड़तालों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
बड़े पैमाने पर प्रदर्शन और हड़तालें: भारतीय महिलाएँ बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों और हड़तालों में शामिल हुई थीं और इन्होंने औपनिवेशिक शासन के खिलाफ विरोध के रूप में ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार किया था।
उदाहरण के लिये महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी ने नमक सत्याग्रह में भाग लिया था जिसके कारण उन्हें कैद कर लिया गया था।
भूमिगत गतिविधियाँ: भारतीय महिलाएँ विभिन्न भूमिगत गतिविधियों में शामिल हुई थीं। इसमें उपनिवेश विरोधी लेखन और इसका प्रसार शामिल है जिसने स्वतंत्रता आंदोलन के बारे में जागरूकता फैलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
उदाहरण के लिये आजाद हिंद फौज का हिस्सा रही कैप्टन लक्ष्मी सहगल जैसी महिलाओं ने भूमिगत आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
राजनीतिक कैदियों का समर्थन करना: भारतीय महिलाओं ने राजनीतिक कैदियों को सहायता प्रदान करने के साथ स्वतंत्रता आंदोलन हेतु धन संग्रह करने वाली गतिविधियों में भाग लिया था।
उदाहरण के लिये कमलादेवी चट्टोपाध्याय जैसी महिलाओं ने राजनीतिक कैदियों और उनके परिवारों के लिये राहत प्रयासों की दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
सामाजिक सुधार आंदोलन: स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय महिलाओं ने सामाजिक सुधार आंदोलनों में शामिल होने के साथ महिलाओं के अधिकार, शिक्षा और गरीबी उन्मूलन जैसे मुद्दों के समाधान की दिशा में काम किया था।
उदाहरण के लिये सरोजिनी नायडू और एनी बेसेंट जैसी महिलाएँ महिला अधिकार आंदोलन की प्रमुख नेता थीं और उन्होंने महिला सशक्तिकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका अतुलनीय और महत्त्वपूर्ण थी लेकिन उनके समक्ष कुछ चुनौतियाँ भी थीं जैसे:
पितृसत्ता और सांस्कृतिक मानदंड: इससे उन भारतीय महिलाओं के समक्ष एक बड़ी चुनौती बनी हुई थी जो राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेना चाहती थीं।
महिलाओं को अक्सर दोयम दर्जे के नागरिक के रूप में देखा जाता था।
सांस्कृतिक और सामाजिक बाधाओं ने महिलाओं की गतिशीलता और सार्वजनिक जीवन में इनकी भागीदारी को सीमित कर दिया था।
शिक्षा और राजनीतिक स्तर पर इनकी कम भागीदारी थी।
आर्थिक और सामाजिक बाधाएँ: आर्थिक और सामाजिक बाधाओं जैसे- गरीबी, सामाजिक कलंक और भेदभाव एवं शारीरिक हिंसा तथा दुर्व्यवहार से राष्ट्रीय आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी सीमित हुई थी।
निष्कर्ष:
कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, भारतीय महिलाओं ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था।
उनके प्रयासों और बलिदानों ने भारत के लिये स्वतंत्रता हासिल करने और आंदोलन को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
राष्ट्रीय आंदोलन में भारतीय महिलाओं की भूमिका, विपरीत परिस्थितियों में महिलाओं की क्षमता और साहस के रूप में प्रेरणा का परिचायक है।