भारतीय मानसून पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और कृषि तथा जल संसाधनों पर इसके परिणामों का विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- भारतीय मानसून पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की चर्चा करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- कृषि और जल संसाधनों पर इसके परिणामों की चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय
जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक मुद्दा है जो प्राकृतिक पर्यावरण और मानव जीवन को तेजी से प्रभावित कर रहा है। जलवायु परिवर्तन के प्रमुख प्रभावों में से एक भारतीय मानसून प्रणाली में परिवर्तन है, जिसके भारत में कृषि क्षेत्र और जल संसाधनों के लिये गंभीर परिणाम हैं।
भारतीय मानसून देश की जलवायु प्रणाली का एक महत्वपूर्ण घटक है और लाखों लोगों की अर्थव्यवस्था और आजीविका में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है
मुख्य भाग
भारतीय मानसून प्रणाली: भारतीय मानसून प्रणाली एक मौसमी पवन प्रणाली है जो भारतीय उपमहाद्वीप और आसपास के क्षेत्रों को प्रभावित करती है।
- दक्षिण पश्चिम मानसून सालाना जून से सितंबर तक होता है, जिससे इस क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में वर्षा होती है। मानसून इंटरट्रॉपिकल कन्वर्जेंस ज़ोन (ITCZ) की गति के कारण होता है, जो भूमध्य रेखा के पास स्थित कम दबाव का क्षेत्र है।
- यह भारत में कृषि के लिये महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह फसल के विकास के लिये आवश्यक नमी प्रदान करता है और देश के जल संसाधनों को बनाए रखता है।
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव:
- मानसून के समय और तीव्रता में परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून के समय और तीव्रता में बदलाव हो रहा है, जिससे वर्षा की मात्रा और वितरण में परिवर्तन हो रहा है।
- इसके परिणामस्वरूप कुछ क्षेत्रों में सूखा और अन्य में बाढ़ आ सकती है, जिससे फसल की पैदावार और जल की उपलब्धता प्रभावित हो सकती है।
- कृषि प्रभाव: मानसून के समय और तीव्रता में परिवर्तन से फसल की पैदावार कम हो सकती है और फसल की क्षति में वृद्धि हो सकती है, साथ ही कीट और रोग का प्रकोप भी बढ़ सकता है।
- इसके परिणामस्वरूप खाद्य सुरक्षा कम हो सकती है और गरीबी बढ़ सकती है, खासकर ग्रामीण समुदायों के लिये जो अपनी आजीविका के लिये कृषि पर निर्भर हैं।
- जल संसाधन पर प्रभाव: जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में जल संसाधनों की उपलब्धता और वितरण में परिवर्तन हो रहा है, कुछ क्षेत्रों में जल की कमी का अनुभव हो रहा है जबकि अन्य बाढ़ का अनुभव कर रहे हैं।
- यह कृषि और अन्य उपयोगों के लिये जल की उपलब्धता को प्रभावित कर सकता है, जिससे खाद्य उत्पादन कम हो सकता है और जल जनित रोग बढ़ सकते हैं।
- उदाहरण: भारतीय मानसून पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का एक उदाहरण महाराष्ट्र राज्य में देखा जा सकता है, जहाँ हाल के वर्षों में सूखे के कारण फसल की पैदावार कम हुई है और जल की कमी बढ़ी है, जिससे किसानों और ग्रामीण समुदायों की आजीविका प्रभावित हुई है।
- केरल राज्य में, बढ़ी हुई वर्षा और मानसून से जुड़ी बाढ़ ने बुनियादी ढाँचे और फसलों को काफी नुकसान पहुँचाया है, जिससे आर्थिक नुकसान और स्वास्थ्य जोखिम में वृद्धि हुई है।
उपरोक्त परिदृश्य में सुधार के सुझाव:
- जल के तनाव को कम करने के लिये कृषि में जल-बचत तकनीकों को लागू करना।
- चरम मौसम की घटनाओं के प्रभावों को कम करने के लिये पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित करना।
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और कृषि भूमि के लचीलेपन में सुधार के लिये स्थायी भूमि उपयोग प्रथाओं को बढ़ावा देना।
- मानसून प्रणाली पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की समझ में सुधार के लिये अनुसंधान और विकास में निवेश बढ़ाना।
- जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न जोखिमों को कम करने के लिये जलवायु-लचीली कृषि पद्धतियों और प्रौद्योगिकियों को अपनाने हेतु प्रोत्साहित करना।
निष्कर्ष
भारतीय मानसून प्रणाली देश की जलवायु प्रणाली का एक महत्वपूर्ण घटक है और जलवायु परिवर्तन के कारण इसके परिवर्तन के कृषि और जल संसाधनों के लिये गंभीर परिणाम हैं।
जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून अधिक अप्रत्याशित हो रहा है, जिससे वर्षा कम हो रही है, जल की कमी बढ़ रही है और फसल की पैदावार कम हो रही है। भारत में कृषि और जल संसाधनों की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये भारतीय मानसून प्रणाली पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को संबोधित करना महत्वपूर्ण है।