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प्रश्न :
प्रश्न. भारत की विदेश नीति को आकार देने में दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) और दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन (ASEAN) जैसे क्षेत्रीय संगठनों की भूमिका का मूल्यांकन कीजिये। (250 शब्द)
07 Feb, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंधउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- क्षेत्रीय संगठनों के बारे में संक्षेप में वर्णन करते हुए अपना उत्तर शुरू कीजिये।
- भारत पर दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) और दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) के प्रभाव की चर्चा कीजिये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
भूमिका
- क्षेत्रीय संगठन राष्ट्रों की विदेश नीतियों को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे राष्ट्रों को संवाद में शामिल होने, संबंध बनाने और सामान्य लक्ष्यों की दिशा में एक साथ काम करने के लिये मंच प्रदान करते हैं।
मुख्य भाग
- दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) एक क्षेत्रीय संगठन है जिसमें भारत सहित आठ दक्षिण एशियाई देश शामिल हैं। इसकी स्थापना 1985 में आर्थिक और सामाजिक विकास के साथ-साथ दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग और शांति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी।
- बेहतर क्षेत्रीय सहयोग: सार्क ने क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने और दक्षिण एशियाई देशों के बीच बेहतर संबंधों को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- इसने भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ रचनात्मक संवाद स्थापित करने एवं आपसी सम्मान और विश्वास पर आधारित संबंध बनाने में सक्षम बनाया है।
- क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा: सार्क ने क्षेत्रीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिये एक मंच प्रदान किया है।
- इसने नए बाज़ार खोलकर और दक्षिण एशियाई देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के प्रवाह को बढ़ाकर भारत की अर्थव्यवस्था को लाभ पहुँचाया है।
- संघर्ष समाधान: सार्क ने संघर्षों को हल करने और दक्षिण एशिया में शांति को बढ़ावा देने में भूमिका निभाई है।
- उदाहरण के लिये, भारत और पाकिस्तान ने सार्क को संवाद स्थापित करने और अपने मतभेदों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिये एक मंच के रूप में इस्तेमाल किया है।
- राजनीतिक बाधाएँ नए पक्षों के उदय का कारण है: भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव जैसी राजनीतिक बाधाओं ने सार्क की प्रगति को बाधित किया है।
- इसलिये, क्षेत्रीय आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिये भारत की नीति ने बिम्सटेक (बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल समूह एक बहुपक्षीय क्षेत्रीय संगठन है, जिसका उद्देश्य बंगाल की खाड़ी में तटवर्ती और निकटवर्ती देशों के बीच साझा विकास और सहयोग को गति देना है) जैसे नए पक्षों पर ध्यान केंद्रित करना शुरू किया।
- बेहतर क्षेत्रीय सहयोग: सार्क ने क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने और दक्षिण एशियाई देशों के बीच बेहतर संबंधों को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) एक क्षेत्रीय संगठन है जिसमें 10 दक्षिण पूर्व एशियाई देश शामिल हैं। इसकी स्थापना 1967 में दक्षिण पूर्व एशिया में आर्थिक और राजनीतिक सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी।
- सामरिक साझेदारी: आसियान और भारत एक सामरिक साझेदारी साझा करते हैं तथा क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर संवाद और सहयोग में संलग्न रहे हैं।
- यह संबंध इस क्षेत्र में एक नई गतिशीलता बनाकर भारत की विदेश नीति को आकार दे रहा है जो एक प्रमुख भूमिका अदाकर्त्ता के रूप में भारत की भूमिका पर बल देता है।
- आर्थिक एकीकरण: आसियान भारत की आर्थिक कूटनीति का एक प्रमुख केंद्र रहा है और इसने भारत की विदेश नीति को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- भारत आसियान देशों के साथ विभिन्न व्यापार समझौतों में सक्रिय रूप से भाग लेता रहा है, जिससे आर्थिक संबंधों और सहयोग को बढ़ावा देने में मदद मिली है।
- आतंकवाद का मुकाबला: आसियान देश और भारत के संदर्भ में आतंकवाद एक साझा चिंता का विषय है और इस समस्या के समाधान के लिये दोनों एक साथ कार्य कर रहे हैं।
- भारत आसियान देशों के साथ सहयोग और सहभागिता के माध्यम से अपनी आतंकवाद विरोधी क्षमताओं को मज़बूत कर रहा है।
- सुरक्षा सहयोग: आसियान और भारत विशेष रूप से समुद्री सुरक्षा और साइबर सुरक्षा के क्षेत्रों में अपने सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिये मिलकर कार्य कर रहे हैं।
- इससे भारत को इस क्षेत्र में अपनी भूमिका का विस्तार करने में मदद मिली है और इसने भारत की विदेश नीति को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान: आसियान और भारत के पास एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है एवं वे सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सहयोग बढ़ाने के लिये कार्य कर रहे हैं।
- इस प्रकार, यह दो क्षेत्रों के बीच अधिक समझ और सहयोग को बढ़ावा देकर भारत की विदेश नीति को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है।
- सामरिक साझेदारी: आसियान और भारत एक सामरिक साझेदारी साझा करते हैं तथा क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर संवाद और सहयोग में संलग्न रहे हैं।
निष्कर्ष
- सार्क और आसियान दोनों का भारत की विदेश नीति पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव पड़ा है। सार्क ने दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग, व्यापार और शांति को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन धीमी प्रगति और राजनीतिक बाधाओं से बाधित है।
- आसियान ने दक्षिण पूर्व एशिया में आर्थिक सहयोग, राजनीतिक स्थिरता और क्षेत्रीय सुरक्षा में सुधार किया है, लेकिन संगठन में भारत का प्रभाव इसकी परिधीय स्थिति और राजनीतिक चुनौतियों के कारण सीमित है।
- भारत की विदेश नीति के लिये इन क्षेत्रीय संगठनों के अधिकतम लाभ अर्जित करने के लिये, भारत को सार्क और आसियान दोनों में सक्रिय और रचनात्मक रूप से संलग्न रहना चाहिये, साथ ही क्षेत्रीय सहयोग और एकीकरण के लिये अन्य अवसरों की खोज भी करनी चाहिये।
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