19वीं शताब्दी तक मराठा साम्राज्य के पतन के कारणों की चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
06 Feb, 2023
सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
मराठा साम्राज्य का संक्षिप्त परिचय देकर अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
उनके पतन के कारणों की विवेचना कीजिये।
तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
परिचय
मराठा साम्राज्य 17वीं शताब्दी के अंत से 19वीं शताब्दी के मध्य तक भारत में एक प्रमुख शक्ति था। यह 17वीं शताब्दी में मराठा शासक शिवाजी द्वारा स्थापित किया गया था और 18वीं शताब्दी की शुरुआत में पेशवा बाजी राव प्रथम के शासन में अपने चरम पर पहुँच गया था।
हालाँकि, 19वीं शताब्दी के मध्य तक, मराठा साम्राज्य में काफी गिरावट आई थी, जिससे भारत के अधिकांश हिस्सों में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की स्थापना हुई।
मुख्य भाग
मराठा साम्राज्य के पतन के कारण:
आंतरिक कारक:
केंद्रीकरण का अभाव: मराठा साम्राज्य के पतन का एक प्रमुख कारण इसके प्रशासन में केंद्रीकरण का अभाव था।
मराठा शासकों ने अपने अधिकांश अधिकार स्थानीय नेताओं को सौंप दिये, जो अक्सर स्वतंत्र रूप से और अपने हित में काम करते थे।
इससे साम्राज्य के भीतर सामंजस्य की कमी हुई और क्षेत्रीय गुटों का उदय हुआ जिन्हें नियंत्रित करना मुश्किल था।
कमज़ोर नेतृत्व: मराठा साम्राज्य भी कमज़ोर नेतृत्व से त्रस्त था, क्योंकि इसके कई शासक अपने क्षेत्रों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने या अपने अधिकार को लागू करने में असमर्थ थे।
शिवाजी और बाजीराव प्रथम जैसे मज़बूत शासकों की मृत्यु और बाद में सक्षम नेतृत्व की कमी ने साम्राज्य के पतन में योगदान दिया।
आंतरिक विवाद: मराठा साम्राज्य स्वतंत्र राज्यों के एक संघ से बना था जिसमें प्रत्येक संघ का अपना शासक था।
ये शासक अक्सर एक-दूसरे के विरोधी होते थे और सत्ता संघर्ष में लगे रहते थे, जिससे साम्राज्य बाह्य आक्रमणों के लिये सुभेद्य हो जाता था।
उदाहरण के लिये, 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में पेशवा और गायकवाड़ शासकों के बीच संघर्ष ने मराठा साम्राज्य को कमज़ोर कर दिया और इसे अंग्रेज़ों के हमले के लिये कमज़ोर बना दिया।
प्रौद्योगिक प्रगति का अभाव और खराब युद्ध रणनीति: मराठा साम्राज्य में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की तुलना में प्रौद्योगिक प्रगति का अभाव था, जिसकी पहुँच बेहतर हथियारों तक थी और अधिक प्रभावी सैन्य रणनीति का इस्तेमाल करती थी। इन कारकों ने अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ाई में मराठा साम्राज्य की पराजय में भूमिका निभाई।
आर्थिक अस्थिरता: मराठा साम्राज्य को कृषि और व्यापार से घटते राजस्व और सैन्य खर्चों में वृद्धि के साथ महत्त्वपूर्ण आर्थिक अस्थिरता का सामना करना पड़ा।
यह आंशिक रूप से आंतरिक गुटों और क्षेत्रीय शक्तियों के उदय के कारण निरंतर युद्ध और अस्थिरता के कारण था।
आर्थिक अस्थिरता ने मराठा शासकों के लिये अपनी सैन्य शक्ति को बनाए रखना मुश्किल बना दिया, जिससे उनके राजनीतिक प्रभाव में गिरावट आई।
बाह्य कारक:
ब्रिटिश औपनिवेशिक शक्ति का उदय: ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी, जिसे 1600 में भारत में स्थापित किया गया था, ने धीरे-धीरे व्यापार और सैन्य विस्तार के माध्यम से भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश हिस्से पर नियंत्रण कर लिया।
मराठा साम्राज्य ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का विरोध करने वाली अंतिम प्रमुख भारतीय शक्तियों में से एक था, लेकिन इसके पतन ने अंग्रेज़ों के लिये नियंत्रण प्राप्त करना आसान बना दिया।
तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध (1817-1818) ने मराठा प्रतिरोध के अंत और अधिकांश भारत पर ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की शुरुआत को चिह्नित किया।
मुगल साम्राज्य का पतन: मराठा साम्राज्य भी मुगल साम्राज्य के पतन से प्रभावित था, जो सदियों से भारत में प्रमुख शक्ति था।
मुगल साम्राज्य के पतन के कारण मराठों जैसी क्षेत्रीय शक्तियों का उदय हुआ, लेकिन इसने उपमहाद्वीप में व्याप्त अस्थिरता और परस्पर फूट में भी योगदान दिया।
मराठा साम्राज्य मुगलों द्वारा निर्वातित शक्ति क्षेत्र की पूर्ति में असमर्थ था और धीरे-धीरे ब्रिटिश औपनिवेशिक शक्ति के उदय से पतन की ओर अग्रसर हो गया।
निष्कर्ष
मराठा साम्राज्य का पतन आंतरिक और बाह्य कारकों के संयोजन का परिणाम था। 19वीं शताब्दी तक केंद्रीय सत्ता का अभाव, कमज़ोर नेतृत्व और आर्थिक अस्थिरता, ब्रिटिश औपनिवेशिक शक्ति के उदय तथा मुगल साम्राज्य का पतन, मराठा साम्राज्य के पतन के कारण थें।
मराठा साम्राज्य का पतन भारतीय इतिहास की एक महत्त्वपूर्ण घटना थी और इसने भारत के अधिकांश हिस्सों पर ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया।