वैश्विक अर्थव्यवस्था और श्रम बाज़ार पर चौथी औद्योगिक क्रांति के प्रभावों को बताते हुए भविष्य की नीतियों एवं कार्यबल के विकास पर इसके निहितार्थों की चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- चौथी औद्योगिक क्रांति का संक्षेप में परिचय देते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- वैश्विक अर्थव्यवस्था और श्रम बाज़ार पर इसके प्रभावों को बताते हुए भविष्य की नीतियों एवं कार्यबल के विकास पर इसके निहितार्थों की चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
- चौथी औद्योगिक क्रांति (4IR) विनिर्माण और अन्य उद्योगों में स्वचालन और डेटा विनिमय की वर्तमान प्रवृत्ति को संदर्भित करती है। यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसी डिजिटल तकनीकों के बढ़ते उपयोग की विशेषता है।
मुख्य भाग:
- वैश्विक अर्थव्यवस्था और श्रम बाज़ार पर इसका प्रभाव:
- उत्पादकता और प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि: नई तकनीकों के एकीकरण से कई उद्योगों की दक्षता में सुधार हो रहा है, जिससे उत्पादकता और प्रतिस्पर्धा में वृद्धि हो सकती है।
- पारंपरिक नौकरियों का समाप्त होना: स्वचालन और रोबोट के उपयोग से पारंपरिक नौकरियों का नुकसान हो रहा है जिससे कुछ श्रमिकों के लिये नौकरी का संकट आ रहा है।
- नई नौकरियों का सृजन: इससे डेटा एनालिटिक्स, साइबर सुरक्षा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में नौकरी के नए अवसर भी सृजित हो रहे हैं।
- कौशल अंतराल: बदलते श्रम बाज़ार के अनुकूल होने और 4IR द्वारा निर्मित कौशल अंतराल को भरने के लिये कर्मचारियों को नए कौशल विकसित करने की आवश्यकता बढ़ रही है।
- लाभों का असमान वितरण: 4IR के लाभों का वैश्विक अर्थव्यवस्था में समान रूप से वितरण नहीं हो पा रहा है इसमें कुछ देशों और क्षेत्रों को दूसरों की तुलना में अधिक लाभ मिल रहा है।
- बढ़ती आय असमानता: श्रमिकों का विस्थापन तथा कुछ उद्योगों और क्षेत्रों में उच्च-कुशल नौकरियों की उपलब्धता से आय असमानता को बढ़ावा मिल रहा है।
- पुनर्प्रशिक्षण की आवश्यकता: कई पारंपरिक नौकरियों में परिवर्तन होने के कारण श्रमिकों को नई नौकरियों हेतु सक्षम बनाने के लिये पुनर्प्रशिक्षण कार्यक्रमों की आवश्यकता बढ़ रही है।
- भारत में चौथी औद्योगिक क्रांति का प्रभाव विनिर्माण, कृषि और सेवा जैसे क्षेत्रों में देखा जा सकता है। उदाहरण के लिये ड्रोन के उपयोग से कृषि उत्पादकता में सुधार हो रहा है जबकि आईटी सेवा क्षेत्र की वृद्धि से डेटा एनालिटिक्स और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में रोज़गार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं।
भविष्य की नीतियों और कार्यबल के विकास में इसके निहितार्थ:
- भविष्य की नीतियों और कार्यबल के विकास के संदर्भ में सरकारों के लिये शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश करना महत्त्वपूर्ण है ताकि कर्मचारियों को 4IR के संदर्भ में आवश्यक कौशल हासिल करने में मदद मिल सके। इसके अतिरिक्त, स्वचालन के कारण नौकरी खोने वाले श्रमिकों के लिये रोज़गार सृजन और पुनर्प्रशिक्षण वाली नीतियाँ, नवीन अर्थव्यवस्था में निष्पक्ष और समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- चौथी औद्योगिक क्रांति (4IR) के भविष्य की नीतियों और कार्यबल के विकास में कुछ प्रमुख निहितार्थ हैं जैसे:
- कौशल विकास और पुनर्प्रशिक्षण: विभिन्न उद्योगों में नई तकनीकों के उपयोग से नवीन कौशल की मांग और श्रमिकों के पुनर्प्रशिक्षण की आवश्यकता को बल मिल रहा है।
- शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों वाली नीतियों के विकास से यह सुनिश्चित होगा कि कर्मचारी, 4IR में सफल होने के लिये आवश्यक कौशल प्राप्त करने में सक्षम हैं।
- नौकरी सृजन के साथ विस्थापित श्रमिकों के कल्याण पर ध्यान देना: 4IR नौकरी के विस्थापन का कारण बन सकता है क्योंकि ऑटोमेशन से पारंपरिक नौकरियों का नुकसान होगा।
- इस प्रकार ऐसी नीतियों की आवश्यकता है जो नई अर्थव्यवस्था में निष्पक्ष और समावेशी परिवर्तन सुनिश्चित करने हेतु ऑटोमेशन द्वारा विस्थापित श्रमिकों के लिये रोज़गार सृजन और पुनर्प्रशिक्षण पर बल देती हों।
- प्रौद्योगिकी अवसंरचना में निवेश: 4IR में नई तकनीकों को व्यापक रूप से अपनाने के लिये प्रौद्योगिकी अवसंरचना में निवेश की आवश्यकता है, जिसमें उच्च गति का इंटरनेट और डेटा भंडारण शामिल है।
- सरकारों को 4IR से संबंधित उद्योगों के विकास का समर्थन करने और यह सुनिश्चित करने के लिये इन क्षेत्रों में निवेश करने की आवश्यकता है कि नवीन अर्थव्यवस्था में सफल होने के लिये सभी नागरिकों के पास आवश्यक उपकरणों तक पहुँच हो।
- डेटा गोपनीयता और सुरक्षा: 4IR में डेटा-गहन उद्योगों के विकास से डेटा गोपनीयता और सुरक्षा के बारे में चिंताएँ पैदा हुई हैं।
- नागरिकों की गोपनीयता की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के लिये विनियमों की आवश्यकता है कि उनके डेटा का जिम्मेदारी से उपयोग किया जाए।
- समावेशिता: 4IR से कम कुशल श्रमिक और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग पिछड़ सकते हैं।
- इसलिये सरकार को समावेशिता पर बल देने के साथ यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि 4IR के लाभ व्यापक रूप से सभी को प्राप्त हों।
निष्कर्ष:
- चौथी औद्योगिक क्रांति से वैश्विक अर्थव्यवस्था और श्रम बाज़ार में महत्त्वपूर्ण बदलाव आ रहे हैं जिसमें उत्पादकता में वृद्धि, पारंपरिक नौकरियों की हानि, नई नौकरियों का सृजन और कौशल अंतराल होना शामिल हैं।
- भारत में इसका प्रभाव विनिर्माण, कृषि और सेवा जैसे क्षेत्रों पर पड़ रहा है। नवीन अर्थव्यवस्था के आलोक में निष्पक्षता और समावेशिता सुनिश्चित करने हेतु भविष्य की नीतियों द्वारा कौशल विकास और पुनर्प्रशिक्षण, रोज़गार सृजन,विस्थापित श्रमिकों के कल्याण, प्रौद्योगिकी के बुनियादी ढाँचे में निवेश, डेटा गोपनीयता और सुरक्षा नियमों तथा समावेशिता पर बल देना चाहिये।