इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    सामाजिक न्याय के संदर्भ में LGBTQ+ समुदाय के समक्ष मुख्य चुनौतियाँ क्या हैं और इनका समाधान कैसे किया जा सकता है? (250 शब्द)

    31 Jan, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भारत में LGBTQ+ समुदाय के समक्ष चुनौतियों पर चर्चा करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • इन चुनौतियों से निपटने के कुछ उपाय सुझाइये।
    • तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    • LGBTQ+ एक व्यापक शब्द है जिसका इस्तेमाल लेस्बियन, गे, बाइसेक्शुअल, ट्रांसजेंडर, समलैंगिक और इंटरसेक्स के लिये किया जाता है। LGBTQ+ लोग, लैंगिक दृष्टिकोण से विविध लोगों के उपसमूह का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन समुदायों में यौन रुझान, लैंगिक पहचान और अभिव्यक्ति के स्तर पर विविधता देखने को मिलती है।

    मुख्य भाग:

    • भारत में LGBTQ+ समुदाय ने सामाजिक न्याय और समान अधिकार को पाने के क्रम में लंबी और कठिन यात्रा का सामना किया है। भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विविधता के बावजूद यह समुदाय अभी भी अपने दैनिक जीवन में कई चुनौतियों और बाधाओं का सामना करते हैं। सामाजिक न्याय के संदर्भ में भारत में LGBTQ+ समुदाय के समक्ष मुख्य चुनौतियों को कुछ प्रमुख क्षेत्रों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
    • भेदभावपूर्ण सामाजिक दृष्टिकोण: यह अक्सर सांस्कृतिक मानदंडों, मूल्यों और धार्मिक विश्वासों के कारण भेदभाव का सामना करते हैं। इससे LGBTQ+ समुदाय की स्वीकृति में कमी आने के साथ उनकी चुनौतियाँ और जटिल हो जाती हैं।
    • स्वास्थ्य क्षेत्र की असमानताएँ: इनके बीच स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच में असमानताएँ देखने को मिलती हैं। यौन रुझान और लिंग पहचान से जुड़े कलंक और भेदभाव से अक्सर इन्हें आवश्यक चिकित्सा उपचार में बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
    • रोज़गार के अवसरों की कमी: भारत में LGBTQ+ समुदाय को रोज़गार के अवसरों में बाधाओं का सामना करना पड़ता है क्योंकि उनके यौन रुझान और लैंगिक पहचान के कारण अक्सर कार्यस्थल पर इनके साथ भेदभाव किया जाता है। जिससे इनकी वित्तीय और सामाजिक असमानताओं को और बढ़ावा मिलता है।
    • शिक्षा की कमी: LGBTQ+ समुदाय को पर्याप्त शैक्षिक संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ता है, जिससे अक्सर शिक्षा तक सीमित पहुँच के साथ इनके कौशल विकास के अवसर सीमित हो जाते हैं।
    • इन चुनौतियों का समाधान करने के लिये संभावित समाधान:
      • शैक्षिक कार्यक्रम: LGBTQ+ समुदाय की स्वीकृति को बढ़ावा देने वाले शैक्षिक कार्यक्रम हेतु सरकार और नागरिक समाज संगठनों को मिलकर काम करना चाहिये। इन कार्यक्रमों को LGBTQ+ समुदाय के समक्ष चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और लोगों को उनके अधिकारों और सम्मान का समर्थन करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिये डिज़ाइन किया जाना चाहिये।
      • स्वास्थ्य सेवाएँ: सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिये कार्य करना चाहिये कि LGBTQ+ समुदाय के लिये स्वास्थ्य सेवाएँ सुलभ और समावेशी हों। इसमें LGBTQ+ समुदाय के साथ सम्मानजनक व्यवहार करने के तरीके पर ध्यान रखने के साथ स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को प्रशिक्षण देना शामिल है।
      • रोज़गार के अवसर प्रदान करना: सरकार को LGBTQ+ समुदाय के लिये रोज़गार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिये नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करना चाहिये। इसमें कार्यस्थल पर इनसे होने वाले भेदभाव को समाप्त करने की पहल करना शामिल है।
      • सहायक सेवाएँ: सरकार और नागरिक समाज संगठनों को परामर्श और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं सहित LGBTQ+ समुदाय के लिये सहायक सेवाएँ स्थापित करने के लिये काम करना चाहिये।
        • ये सेवाएँ LGBTQ+ समुदाय से होने वाले भेदभाव को समाप्त करने में मदद कर सकती हैं तथा इनके समक्ष आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिये आवश्यक सहायता प्रदान कर सकती हैं।
    • संबंधित सरकारी पहल:
      • राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017: इस नीति में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं पर प्रकाश डाला गया है और उनके लिये व्यापक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के प्रावधान का समर्थन किया है।
      • ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये राष्ट्रीय परिषद: यह परिषद ट्रांसजेंडर व्यक्तियों से संबंधित विधायी और प्रशासनिक मामलों पर केंद्र और राज्य सरकारों को सलाह देने के लिये स्थापित की गई थी।
      • स्वाभिमान योजना: यह योजना वर्ष 2015 में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा शिक्षा, आजीविका, स्वास्थ्य तथा सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्रों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को सहायता प्रदान करने के लिये शुरू की गई थी।

    निष्कर्ष:

    भारत में LGBTQ+ समुदाय को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इस संदर्भ में सरकार तथा नागरिक समाज संगठनों द्वारा शैक्षिक कार्यक्रमों, सुलभ स्वास्थ्य सेवाओं, रोज़गार के अवसरों एवं सहायक सेवाओं के माध्यम से इन चुनौतियों का समाधान करने के लिये मिलकर कार्य किया जा सकता है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2