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प्रश्न :
हाल ही में पश्चिमी दिल्ली में घटी एक दुखद घटना में एक 20 वर्षीय युवती नग्न और मृत पाई गई। उसे 12 किलोमीटर तक कार के नीचे घसीटा गया है। खबरों के अनुसार कार में सवार लोगों को यह पता था कि युवती कार के नीचे फंसी हुई है लेकिन पकड़े जाने से बचने के लिये इन लोगों ने कार चलाते रहना जारी रखा। इसके अतिरिक्त सत्तारूढ़ राजनीतिक दल द्वारा पुलिस पर मामले को जल्द से जल्द हल करने और अभियुक्तों को बचाने के लिये दबाव बनाने की भी सूचना है।
एक आईपीएस अधिकारी के रूप में आपको इस मामले को हल करने की जिम्मेदारी दिये जाने के आलोक में इस परिदृश्य में आप क्या करेंगे ?
20 Jan, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- इस मामले में शामिल विभिन्न हितधारकों के बारे में संक्षिप्त परिचय देते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- इस मामले में शामिल नैतिक मुद्दे और नैतिक दुविधाओं पर चर्चा कीजिये।
- इस संबंध में आईपीएस अधिकारी द्वारा की जाने वाली कार्रवाई के बारे में चर्चा कीजिये।
- इस प्रकार की घटनाओं पर अंकुश लगाने का सुझाव देते हुए निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- शामिल हितधारक:
- वाहन में सवार सभी आरोपी
- स्थानीय पुलिस
- स्थानीय प्रशासन
- सत्तारूढ़ दल
- पीड़िता के परिवार के सदस्य
- सभी आरोपियों का परिवार
- समाज
- इसमें शामिल नैतिक मुद्दे:
- सहानुभूति: आईपीएस अधिकारी और समाज की पीड़िता के प्रति सहानुभूति।
- निष्पक्षता: IPS अधिकारी द्वारा बिना किसी भय या पक्षपात के अपना कर्त्तव्य निभाते हुए दबाव का सामना करने के बावजूद किसी का पक्ष न लेना।
- मानव जीवन के प्रति असंवेदनशीलता: महिला को 12 किलोमीटर तक कार के नीचे घसीटना (कार सवार लोगों को उसके बारे में पता था) तथा गाड़ी चलाना जारी रखना, मानव जीवन के प्रति उनकी उपेक्षा का स्पष्ट संकेतक है।
- लिंग आधारित हिंसा: यह अपराध महिलाओं को नियंत्रित करने और अधीन करने की इच्छा से प्रेरित हो सकता है।
- अन्याय: सत्तारूढ़ दल द्वारा आरोपी को छुड़ाने का दबाव बनाना, विशेषाधिकार और शक्ति के प्रयोग पर सवाल उठाता है।
- यदि अभियुक्त दोषी पाया जाता है तो इसमें यह संभावना है कि उसे अपने संबंधों के कारण विशेष उपचार और उदारता प्राप्त होगी, जो अन्यायपूर्ण है और यह कानून के समक्ष समानता के सिद्धांत को कमजोर करता है।
- मीडिया का संवेदीकरण: इसके अतिरिक्त यह मामला ऐसी घटनाओं की रिपोर्टिंग में मीडिया की भूमिका पर सवाल उठाता है। यदि मीडिया मामले की रिपोर्ट करने के तरीके में तत्पर नहीं है तो यह रूढ़िवादिता को कायम रखने के साथ अन्यायपूर्ण है।
- इस मामले में शामिल नैतिक मुद्दे:
- कानून का शासन बनाम राजनीतिक दबाव: अभियुक्तों की रक्षा करने या मामले को जल्दी से हल करने के लिये राजनीतिक हस्तियों या अन्य प्रभावशाली दलों का संभावित दबाव बनाम नियम पुस्तिका का पालन करने एवं मामले की उचित जाँच करना ।
- निजी जीवन बनाम व्यावसायिक जीवन: किसी भी पूर्वाग्रह की संभावना से जाँच प्रभावित होने की संभावना है।
- इसमें पीड़ित या अभियुक्त के बारे में कोई भी पूर्वकल्पित धारणा या अधिकारी और शामिल पक्षों के बीच कुछ व्यक्तिगत या व्यावसायिक संबंध शामिल हो सकते हैं।
मुख्य भाग:
- IPS ऑफिसर के समक्ष उपलब्ध विकल्प:
- एक IPS अधिकारी के रूप में मेरी प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी राजनीतिक दबाव के बावजूद इस मामले में न्याय हो। मेरी कार्रवाई का निम्न क्रम होगा:
- यह सुनिश्चित करके निष्पक्ष जाँच करना कि यह किसी बाहरी दबाव से प्रभावित नहीं है और इसमें आईपीएस अधिकारी के रूप में आचार संहिता का पालन सुनिश्चित करना।
- गुण: इस कदम से न्याय मिल सकता है और लोगों के बीच पुलिस विभाग की विश्वसनीयता को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
- दोष: IPS अधिकारी को अपने व्यावसायिक जीवन में विपरीत नतीजों का सामना करना पड़ सकता है जैसे कि पदोन्नति से वंचित होना या अन्य नतीजों का सामना करना।
- यह सुनिश्चित करके निष्पक्ष जाँच करना कि यह किसी बाहरी दबाव से प्रभावित नहीं है और इसमें आईपीएस अधिकारी के रूप में आचार संहिता का पालन सुनिश्चित करना।
- एक आईपीएस अधिकारी के रूप में मेरा दूसरा विकल्प मामले को दबा देना और सत्ता पक्ष द्वारा बनाए गए राजनीतिक दबाव के सामने झुकना शामिल हो सकता है। इससे:
- सबूतों से छेड़छाड़ करने के साथ समाज और पीड़ित के प्रति सहानुभूति का अभाव प्रदर्शित होगा।
- वास्तविक दोषियों को बचाने के लिये तथ्यों से हेरफेर कर समाज के दबाव को शांत करने का प्रयास किया जाना शामिल होगा।
- गुण: इस कार्रवाई से आईपीएस अधिकारी के रूप में मुझे व्यक्तिगत रूप से लाभ हो सकता है क्योंकि इससे सत्ता पक्ष से लाभ मिल सकता है साथ ही आसानी से पदोन्नति प्राप्त हो सकती है।
- दोष: इस कार्रवाई से न्याय प्रणाली को नुकसान होगा और लोगों का सरकार से विश्वास उठ जाएगा, क्योंकि इसमें नियमों और विनियमों में हेरफेर के माध्यम से पीड़ित को न्याय से वंचित किया जाना शामिल है। इसके अतिरिक्त यह IPS अधिकारी की आचार संहिता और नैतिक सिद्धांतों के विरुद्ध है।
- मेरा तीसरा विकल्प यह होगा कि मैं अपने वरिष्ठों से इस मामले को किसी और को स्थानांतरित करने के लिये कहूँ या सेवा में स्थानांतरण के लिये कहूँ, ताकि मुझे अत्यधिक विवादास्पद मामले से राहत मिल सके।
- दोष: चूंकि आईपीएस अधिकारी के रूप में चुनौतीपूर्ण स्थितियों से भागना अनैतिक होगा और इससे न्याय प्रक्रिया को नुकसान पहुँच सकता है। इसके अलावा इस स्थिति से भागना मेरी निर्णय लेने की क्षमता को नुकसान पहुँचा सकता है।
- एक IPS अधिकारी के रूप में मेरी प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी राजनीतिक दबाव के बावजूद इस मामले में न्याय हो। मेरी कार्रवाई का निम्न क्रम होगा:
निष्कर्ष:
- एक IPS अधिकारी के रूप में किसी मामले की जाँच में न्याय और सत्यनिष्ठा को प्राथमिकता देना महत्त्वपूर्ण है। यह अंततः न्याय प्रणाली की अखंडता को बनाए रखने के साथ पीड़ित और समाज के सर्वोत्तम हित में होता है।
- दूसरी ओर राजनीतिक दबाव के आगे झुकना और आरोपी को बचाने के लिये सबूतों से छेड़छाड़ करना अंततः न्याय प्रणाली की विश्वसनीयता को नुकसान पहुँचाने के साथ अधिकारी पद की आचार संहिता और नैतिक दायित्वों के खिलाफ होगा।
- इसलिये इस मामले में एक IPS अधिकारी के रूप में मेरे लिये सबसे अच्छा विकल्प यह होगा कि न्याय सुनिश्चित करने के लिये पूरी तरह से निष्पक्ष जाँच की जाए।
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