भारतीय कला और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में संग्रहालयों तथा संस्थानों की भूमिका पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
दृष्टिकोण:
- भारतीय कला और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की आवश्यकता के बारे में संक्षेप में वर्णन करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- कला और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने एवं बढ़ावा देने में संग्रहालयों तथा संस्थानों की भूमिका पर चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
भारत समृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाला देश है और इसकी कला तथा वास्तुकला सदियों के इतिहास और परंपरा से विकसित हुई है। हालाँकि यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि इन सांस्कृतिक विरासत को भावी पीढ़ियों तक पहुँचाने के लिये संरक्षित करना महत्त्वपूर्ण है।
इसके अलावा भारतीय कला और सांस्कृतिक विरासत के पतन के मुद्दे को हल करने की आवश्यकता है क्योंकि सांस्कृतिक स्मारकों पर ध्यान न देने से यह असामाजिक गतिविधियों का स्थान बन जाते हैं।
मुख्य भाग:
- प्राचीन गुफा चित्रों और मूर्तियों से लेकर मध्ययुगीन मंदिरों एवं महलों के रुप में भारतीय कला और वास्तुकला समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का उदाहरण है। इसलिये इस समृद्ध विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने को प्राथमिकता दी जानी चाहिये। इसमें संग्रहालय और अन्य संबंधित संस्थान अपनी भूमिका निभाते हैं जैसे कि:
- भारतीय कला और सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण:
- भारतीय कला और सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें कलाकृतियों, पांडुलिपियों और अन्य सांस्कृतिक वस्तुओं का संरक्षण शामिल है।
- संग्रहालय और संस्थान यह सुनिश्चित करने के लिये जिम्मेदार हैं कि इन कलाकृतियों को इस तरह से संरक्षित किया जाए जो उनके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ के अनुरूप हो।
- जनता के लिये सुलभ विरासत: भारतीय कला और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में संग्रहालयों और संस्थानों की मुख्य भूमिकाओं में से एक यह है कि इन कलाकृतियों और वस्तुओं तक लोगों की सुलभ पहुँच हो जाती है।
- इनके द्वारा शैक्षिक कार्यक्रम और प्रदर्शनियों के माध्यम से लोगों को भारतीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत के इतिहास तथा महत्त्व के बारे में शिक्षित करने में मदद मिलती है।
- यह वैश्विक दर्शकों के लिये भारतीय कला और सांस्कृतिक विरासत को सुलभ बनाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के लिये कई संग्रहालय और संस्थान विदेशों में भारतीय कला और सांस्कृतिक विरासत की प्रदर्शनियों का आयोजन करते हैं, जो वैश्विक दर्शकों के लिये भारतीय कला और संस्कृति को सुलभ बनाने में मदद करते हैं।
- अतीत का व्यापक शोध: भारतीय कला और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में संग्रहालयों और संस्थानों की एक और महत्त्वपूर्ण भूमिका विद्वानों और शोधकर्ताओं के लिये अनुसंधान के अवसर प्रदान करना है।
- कई संग्रहालयों और संस्थानों में शोध पुस्तकालय और अभिलेखागार ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जानकारी तक पहुँच प्रदान करते हैं।
- भारतीय कला और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना:
- सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के अलावा संग्रहालय और संस्थान भारतीय कला और संस्कृति को बढ़ावा देने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- दर्शकों के बीच जिज्ञासा बढ़ाना: ये दर्शकों के लिये देश की कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करके भारतीय कला और संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु एक मंच के रूप में कार्य करते हैं।
- ये लोगों को देश की समृद्ध विरासत के बारे में जानने और उसकी सराहना करने का अवसर प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिये नई दिल्ली में राष्ट्रीय संग्रहालय में भारतीय कला को समर्पित एक खंड है। यहाँ आगंतुक मूर्तियों, चित्रों और पांडुलिपियों सहित भारतीय कला की विस्तृत श्रृंखला देख सकते हैं। यह संग्रहालय देश की कलात्मक विरासत को प्रदर्शित करने के लिये नियमित प्रदर्शनियों और कार्यक्रमों का भी आयोजन करता है।
- भारतीय कला और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली संस्था का एक उदाहरण भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) है।
- यह भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित संस्थान है जो प्रदर्शनियों, व्याख्यानों और अन्य शैक्षिक कार्यक्रमों सहित विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से भारतीय कला और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देता है।
- यह सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम भी आयोजित करता है जो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के बीच भारतीय कला और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने में मदद करता है।
- देश के संग्रहालयों के उदाहरण- इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH), भारतीय संग्रहालय कोलकाता, छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय, मुंबई, राष्ट्रीय हस्तशिल्प और हथकरघा संग्रहालय, नई दिल्ली।
- भारतीय कला और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और इसे बढ़ावा देने के लिये प्रमुख सरकारी पहल:
- शताब्दी एवं वर्षगांठ योजना और कला संस्कृति विकास योजना: इन योजनाओं को संस्कृति मंत्रालय द्वारा प्रशासित किया जाता है और इसके द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों, त्योहारों और प्रदर्शनियों के लिये धन उपलब्ध कराया जाता है जो भारत एवं विदेश दोनों में भारतीय कला और संस्कृति को बढ़ावा देते हैं।
- संग्रहालयों एवं पुस्तकालयों और अभिलेखागार का विकास: सरकार यह सुनिश्चित करने के लिये संग्रहालयों एवं पुस्तकालयों और अभिलेखागार के विकास पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है कि भारतीय कला और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखा जाए और इसे जनता के लिये सुलभ बनाया जाए।
निष्कर्ष:
संग्रहालय एवं संस्थान भारतीय कला और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने एवं बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये शैक्षिक कार्यक्रमों, प्रदर्शनियों और अनुसंधान के अवसरों के माध्यम से भारतीय कला और सांस्कृतिक विरासत को जनता के लिये सुलभ बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारतीय कला और सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण और संवर्धन देश की अनूठी पहचान को बनाए रखने एवं भावी पीढ़ियों को इसके समृद्ध इतिहास के बारे में शिक्षित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।