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प्रश्न :
भारत के पर्यटन उद्योग पर जलवायु परिवर्तन के संभावित प्रभावों की चर्चा करते हुए इसके अनुकूलन हेतु सुझाव दीजिये। (150 शब्द)
11 Jan, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरणउत्तर :
दृष्टिकोण:
- भारत के पर्यटन क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की चर्चा करते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- पर्यटन उद्योग पर जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को कम करने के उपाए बताइये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- भारत का पर्यटन उद्योग घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करने के साथ विकास के पथ पर है। यदि हम हाल के कुछ आँकड़ों को देखें तो पता चलता है कि वर्ष 2021 के दौरान भारत में विदेशी पर्यटकों की संख्या वर्ष 2019 के 10.04 मिलियन की तुलना में बढ़कर 10.56 मिलियन हो गई है।
- इसके अलावा वर्ष 2021 में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन में भारत का हिस्सा 1.2% था। भारत की वर्ष 2021 में एशिया प्रशांत क्षेत्र में आने वाले अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों में 5.0% की भागीदारी रही और इस संदर्भ में यह 7वें स्थान पर रहा था।
- जलवायु परिवर्तन का पर्यटन उद्योग पर कुछ नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि पर्यटकों द्वारा उन स्थलों की यात्रा करने की संभावना कम हो सकती है जहाँ आकर्षक मौसम नहीं है।
मुख्य भाग:
जलवायु परिवर्तन का भारत के पर्यटन क्षेत्र पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ने का अनुमान है क्योंकि यह असमान मौसम की घटनाओं जैसे बढ़ते तापमान, वर्षा के पैटर्न में बदलाव, जल की उपलब्धता और मानसून में परिवर्तन से संभावित रूप से प्रभावित हो सकता है। इन परिवर्तनों से भारत में पर्यटन पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है जैसे:
- जल की उपलब्धता में कमी आना: लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में जल संसाधन की अनुपलब्धता से होटलों और अन्य पर्यटन सुविधाओं के लिये जल की कमी हो सकती है। इसके साथ ही पर्यटकों के लिये तैरने या अन्य जल-आधारित गतिविधियों में शामिल होने के लिये स्थानों को खोजना मुश्किल हो सकता है।
- असमान मौसमी घटनाएँ: मानसून के समय में परिवर्तन, कुछ क्षेत्रों में पर्यटन को प्रभावित करने के साथ पर्यटकों के लिये अपनी यात्राओं की योजना बनाना अधिक कठिन बना सकता है।
- चरम मौसमी घटनाएँ: हीट वेव और अन्य चरम मौसमी घटनाओं की आवृत्ति में वृद्धि, कुछ क्षेत्रों को पर्यटकों के लिये प्रतिकूल बना सकती है। इससे पर्यटकों में बीमारी और चोट का जोखिम बढ़ सकता है।
- बुनियादी ढाँचे को नुकसान: समुद्र के स्तर में वृद्धि और तूफान की गतिविधि में वृद्धि के कारण बुनियादी ढाँचे के साथ अन्य पर्यटक आकर्षणों जैसे समुद्र तटों और प्रवाल भित्तियों को नुकसान होता है।
- वनस्पतियों और जीवों पर प्रभाव: इससे पौधों और जानवरों की प्रजातियों के वितरण में होने वाले परिवर्तन से पारिस्थितिकी पर्यटन और वन्यजीव आधारित पर्यटन के अवसरों की उपलब्धता प्रभावित हो सकती है।
- प्राकृतिक खतरों की आवृत्ति में वृद्धि: उत्तराखंड जैसी आपदा, जिसमें दशकों में हुई अवैज्ञानिक विकासात्मक गतिविधियों के कारण जन धन की व्यापक हानि हुई थी। इससे भी पर्यटन प्रभावित होता है।
इसलिये भारत के पर्यटन उद्योग पर जलवायु परिवर्तन के संभावित प्रभावों के अनुकूलन हेतु कई संभावित रणनीतियों पर विचार किया जा सकता है जैसे:
- सतत पर्यटन: सतत पर्यटन प्रथाओं का विकास करने से कार्बन फुटप्रिंट में कमी आने के साथ पर्यावरण पर पर्यटन गतिविधियों के प्रभाव में कमी आती है।
- नए पर्यटन स्थलों को शामिल करना: भारत में पर्यटन के प्रकारों में विविधता लाना, जैसे कि इको-टूरिज्म, सांस्कृतिक पर्यटन और टिकाऊ पर्यटन के अन्य रूपों को बढ़ावा देना।
- अनुसंधान और विकास: भारत के पर्यटन उद्योग पर जलवायु परिवर्तन के संभावित प्रभावों को बेहतर ढंग से समझने और इस संदर्भ में निर्णय लेने हेतु अनुसंधान एवं डेटा संग्रह में निवेश करना चाहिये।
- अभिनव रणनीतियों को बढ़ावा देना: विशिष्ट पर्यटन स्थलों और क्षेत्रों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने वाली नई और अभिनव अनुकूलन एवं शमन रणनीतियों का विकास तथा कार्यान्वयन करना चाहिये।
- निर्णय लेने में हितधारक के रूप में स्थानीय समुदाय को शामिल करना: जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में स्थानीय समुदायों को शामिल करना चाहिये।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों में सुधार करना: इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचे के रूप में स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने और पर्यटन को हतोत्साहित करने वाली बीमारियों के प्रकोप के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।
इसके अलावा जलवायु परिवर्तन के अनुमानित प्रभावों की सटीक भविष्यवाणी करने और इसमें प्रभावी हस्तक्षेपों हेतु इस क्षेत्र में और अधिक शोध की आवश्यकता है (विशेष रूप से भारत जैसे विकासशील देशों में)।
निष्कर्ष:
भारत में पर्यटन उद्योग के लिये जलवायु परिवर्तन एक महत्त्वपूर्ण खतरा है इस कारण से इस खतरे के अनुकूलन हेतु अभिनव तरीकों पर विचार करना महत्त्वपूर्ण है। सतत पर्यटन प्रथाओं को बढ़ावा देना और पर्यटन स्थलों में विविधता लाना दो ऐसे संभावित दृष्टिकोण हैं जो भारत के पर्यटन उद्योग पर जलवायु परिवर्तन के संभावित प्रभावों को कम करने में मदद कर सकते हैं।
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