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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    आधुनिक विश्व के विकास पर द्वितीय विश्व युद्ध के प्रभाव का परीक्षण कीजिये, जिसमें वैश्विक शक्ति संतुलन में स्थानांतरण और नई विचारधाराओं का उदय शामिल है। (250 शब्द)

    09 Jan, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • द्वितीय विश्व युद्ध की संक्षेप में व्याख्या करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • द्वितीय विश्व युद्ध के प्रमुख प्रभावों की विवेचना कीजिये।
    • तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    • द्वितीय विश्व युद्ध वर्ष 1939 और 1945 के बीच हुआ एक वैश्विक संघर्ष था। इसमें धुरी शक्तियाँ-जर्मनी, इटली और जापान के साथ मित्र राष्ट्र-फ्रांस, ग्रेट ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ एवं कुछ हद तक चीन शामिल थे।
    • इस संघर्ष के परिणामस्वरूप लगभग 100 मिलियन लोगों का सैन्यीकरण किया गया था और 50 मिलियन लोग मारे गए थे (विश्व की जनसंख्या का लगभग 3%)।

    Axis

    मुख्य भाग:

    • द्वितीय विश्व युद्ध का आधुनिक विश्व के विकास पर गहरा और स्थायी प्रभाव पड़ा था। इसके अलावा इसने युद्ध के बाद की अवधि में वैश्विक शक्ति संतुलन, राजनीतिक विचारधाराओं और सामाजिक और सांस्कृतिक विकास को प्रभावित किया था।
    • आधुनिक विश्व पर द्वितीय विश्व युद्ध का प्रभाव:
      • वैश्विक शक्ति संतुलन में स्थानांतरण:
        • द्वितीय विश्व युद्ध के सबसे महत्त्वपूर्ण प्रभावों में से एक वैश्विक शक्ति संतुलन में बदलाव होना था। इस युद्ध से पहले यूरोप प्रमुख वैश्विक शक्ति था। जिसमें ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे देश अंतर्राष्ट्रीय मामलों में अग्रणी भूमिका निभाते थे। हालाँकि युद्ध से हुई तबाही (विशेष रूप से यूरोप में) से शक्ति संतुलन में महत्त्वपूर्ण बदलाव आया था।
        • शीत युद्ध:
          • इस दौरान वैश्विक मंच पर संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ प्रमुख वैश्विक महाशक्तियों के रूप में उभरे थे।
          • इससे साम्यवाद का प्रसार हुआ और सोवियत संघ ने पूर्वी यूरोप के राजनीतिक परिदृश्य को आकार देने में प्रमुख भूमिका निभाई थी।
            • वैचारिक बदलाव के कारण शीत युद्ध का उदय हुआ था। जिसमें सोवियत संघ एकमात्र विचारधारा के रूप में साम्यवाद को बढ़ावा दे रहा था जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका उदारवाद, पूँजीवाद और मुक्त व्यापार का पक्षधर था।
            • जिससे आगे चलकर दो विरोधी सैन्य गठबंधनों, पश्चिमी नेतृत्व वाले उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) और सोवियत संघ के नेतृत्व वाले वारसॉ पैक्ट का गठन किया गया था।
        • उपनिवेशवाद का अंत:
          • युद्ध के बाद ब्रिटेन और फ्रांस को विभिन्न घरेलू और बाहरी समस्याओं का सामना करना पड़ा था। यह दोनों अपने-अपने उपनिवेशों पर प्रभाव रखने में असमर्थ हुए थे जिससे युद्ध के बाद के विश्व में अफ्रीका और एशिया में उपनिवेशवाद का अंत देखा गया था।
        • संयुक्त राष्ट्र की स्थापना:
          • युद्ध के महत्त्वपूर्ण परिणामों में से एक, संयुक्त राष्ट्र संगठन का गठन होना था।
          • संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा लोगों की आशाओं और आदर्शों को स्थापित किया गया जिसके आधार पर देश स्थायी शांति बनाए रखने के लिये मिलकर काम करने हेतु सहमत हुए थे।
          • हालांकि अटलांटिक चार्टर के तहत द्वितीय विश्व युद्ध के अंत से बहुत पहले ही संयुक्त राष्ट्र की स्थापना पर सहमति व्यक्त हुई थी।
      • सामाजिक और सांस्कृतिक विकास:
        • इस युद्ध से महिलाओं की भूमिकाओं और अपेक्षाओं में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए थे क्योंकि इसमें कई महिलाएँ परंपरागत रूप से पुरुष भूमिका वाले सैन्य बल में शामिल हुईं थीं जबकि कुछ पुरुष युद्ध से दूर रहे थे।
        • कई देशों में कल्याणकारी राज्य के उदय के साथ-साथ सरकार और राज्य की भूमिका के बारे में लोगों के सोचने के तरीके पर भी युद्ध का बड़ा प्रभाव पड़ा था क्योंकि सरकारों ने अपने नागरिकों की जरूरतों को पूरा करने पर बल दिया था।
      • आर्थिक प्रभाव:
        • द्वितीय विश्व युद्ध के आर्थिक प्रभाव भी अल्पावधिक और दीर्घावधिक दोनों संदर्भ में महत्त्वपूर्ण थे। अल्पावधि में युद्ध ने वैश्विक व्यापार को बाधित कर दिया जिससे प्रमुख संसाधनों की कमी हो गई थी। इससे कई देशों में आर्थिक कठिनाई पैदा हो गई थी।
        • दीर्घावधि में इस युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान दिया था क्योंकि इससे नई आर्थिक विश्व व्यवस्था का उदय हुआ था जैसे:
          • उदाहरण के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका की मार्शल योजना द्वारा युद्ध के बाद यूरोपीय देशों को महत्त्वपूर्ण आर्थिक सहायता प्रदान की गई थी। जिसने उनकी अर्थव्यवस्थाओं के पुनर्निर्माण में मदद की थी और भविष्य के आर्थिक विकास की नींव रखी थी।
          • ब्रेटन वुड्स सम्मेलन द्वारा विदेशी सहायता की आवश्यकता वाले देशों को दीर्घकालिक पूंजी उपलब्ध कराने के लिये पुनर्निर्माण और विकास हेतु अंतर्राष्ट्रीय बैंक (जिसे अब विश्व बैंक के रूप में जाना जाता है) और मुद्रा विनिमय दरों को स्थिर करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की स्थापना की गई थी। प्रशुल्क और व्यापार पर सामान्य समझौता (GATT) ने भी व्यापार बाधाओं को कम करने के साथ आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में भूमिका निभाई थी।
          • साथ ही अमेरिकी डॉलर को विश्व व्यापार हेतु आरक्षित मुद्रा के रूप में मान्यता प्राप्त हुई थी।

    निष्कर्ष:

    द्वितीय विश्व युद्ध का आधुनिक विश्व के विकास पर गहरा और स्थायी प्रभाव पड़ा था। इसने वैश्विक शक्ति संतुलन के स्थानांतरण के साथ नई राजनीतिक विचारधाराओं के उदय एवं युद्ध के बाद की अवधि के सामाजिक और सांस्कृतिक विकास को आकार दिया था। महत्त्वपूर्ण आर्थिक प्रभावों के साथ विश्व पर इस युद्ध के प्रभाव अनवरत जारी रहे।

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