भारत में स्टार्टअप्स के समक्ष आने वाली कुछ चुनौतियों पर चर्चा करते हुए बताइए कि उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है? (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- स्टार्ट-अप का संक्षिप्त परिचय देते हुए और भारत में इनकी वर्तमान स्थिति बताते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- भारत में स्टार्टअप्स के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
- भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम की चुनौतियों से निपटने के क्रम में आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
- स्टार्टअप ऐसी कंपनी या संगठन है जो व्यवसाय के प्रारंभिक चरण में होता है। इन कंपनियों के पास किसी समस्या को हल करने के लिये अभिनव दृष्टिकोण होता है। इसे आमतौर पर उन उद्यमियों द्वारा स्थापित किया जाता है जो अपने विचारों को सफल व्यवसायों में बदलना चाहते हैं।
- बेन एंड कंपनी (Bain and Company) द्वारा प्रकाशित इंडिया वेंचर कैपिटल/उद्यम पूंजी रिपोर्ट 2021 के अनुसार, संचयी स्टार्टअप की संख्या 2012 से 17% की CGAR से बढ़ी है और 1,12,000 के आँकड़े को पार कर गई है।
मुख्य भाग:
- भारत में स्टार्टअप्स को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- नवोन्मेष पर कम ज़ोर देना: भारत की शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक प्रशिक्षण और उद्योग के अनुभव का अभाव है जो छात्रों को नवोन्मेष करने से वंचित रखता है। नतीजतन यह भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली को अनुसंधान एवं विकास के मामले में पीछे छोड़ देता है।
- बूटस्ट्रैप्ड नेचर/प्रकृति: स्टार्ट-अप को चलाने के लिये कार्यशील पूंजी की महत्त्वपूर्ण राशि की आवश्यकता होती है। भारत में कई स्टार्टअप, विशेष रूप से शुरुआती चरणों में बूटस्ट्रैप्ड हैं, यानी संस्थापकों की अपनी बचत से स्व-वित्तपोषित हैं क्योंकि घरेलू वित्तपोषण सीमित होता है।
- स्केलेबिलिटी की चिंता: भारत में छोटे स्टार्टअप के ग्राहकों की सीमित संख्या है और वे केवल कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित हैं, जहाँ वे स्थानीय भाषा एवं स्थानीय लोगों को जानते हैं।
- अंतरिक्ष क्षेत्र में सीमांत पैठ: फिनटेक और ई-कॉमर्स में भारतीय स्टार्टअप असाधारण रूप से अच्छा कार्य कर रहे हैं, लेकिन अंतरिक्ष स्टार्टअप आउटलेयर बने हुए हैं।
- विश्व स्तर पर अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का कुल मूल्य 440 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जिसमें भारत की भागीदारी 2% से कम है।
- प्रतिभाशाली लोगों के लिये प्रतिस्पर्द्धा: भारत में प्रतिभाशाली लोगों के लिये कड़ी प्रतिस्पर्द्धा है जिससे स्टार्टअप सर्वश्रेष्ठ कर्मचारियों को आकर्षित करने और बनाए रखने के लिये संघर्ष कर सकते हैं।
- प्रतिस्पर्धा: भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम तेजी से विकसित हो रहा है जिससे नए स्टार्टअप के लिये खुद को प्रतिस्पर्धा में बनाए रखना मुश्किल हो सकता है।
- इंफ्रास्ट्रक्चर चुनौतियाँ: भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर (परिवहन और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क सहित) स्टार्टअप्स के लिये प्रभावी ढंग से काम करना चुनौतीपूर्ण बना सकता है।
- पहचान की कमी: चूंँकि लगभग 70% भारतीय आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है जो अभी भी विश्वसनीय इंटरनेट पहुंँच से वंचित है। नतीजतन कई गांँव-आधारित स्टार्टअप बिना मान्यता प्राप्त हैं और सरकारी वित्तपोषण पहल से वंचित रह जाते हैं।
- स्टार्टअप से संबंधित सरकार की प्रमुख पहलें:
- स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS): यह योजना स्टार्टअप्स को उनकी अवधारणा को प्रमाणित करने, प्रोटोटाइप विकसित करने, उत्पादों का परीक्षण करने और बाज़ार में प्रवेश हेतु मदद करने के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कार: यह कार्यक्रम नवाचार और प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देकर आर्थिक गतिशीलता में योगदान करने वाले उत्कृष्ट स्टार्टअप और पारिस्थितिक तंत्र को चिह्नित करता है और उन्हें पुरस्कृत करता है।
- SCO स्टार्टअप फोरम: शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों में स्टार्टअप पारितंत्र के विकास और सुधार के साधन के रूप में अक्तूबर 2020 में स्थापित SCO स्टार्टअप फोरम अपनी तरह का पहला प्रयास है।
- प्रारंभ: ‘प्रारंभ’ शिखर सम्मेलन का उद्देश्य विश्वभर के स्टार्टअप्स और युवा प्रतिभाओं को नए विचार, नवाचार एवं आविष्कार के साथ आने के लिये एक मंच प्रदान करना है।
आगे की राह:
इन चुनौतियों का समाधान करने के लिये कुछ संभावित उपाय:
- फंडिंग तक पहुँच में सुधार: भारत में स्टार्ट-अप्स की फंडिंग तक बेहतर पहुँच हेतु वेंचर कैपिटल और अन्य प्रकार के फाइनेंसिंग की उपलब्धता में सुधार करना शामिल है। इसे निवेशकों के लिये कर प्रोत्साहन और स्टार्ट-अप के लिये सरकारी वित्तपोषण कार्यक्रमों तक पहुँच को आसान बनाने जैसे उपायों के माध्यम से किया जा सकता है।
- नियामक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना: स्टार्ट-अप्स को अक्सर कई नियामक बाधाओं का सामना करना पड़ता है। स्टार्ट-अप्स के लिये इन चुनौतियों से निपटना आसान बनाने के लिये, सरकार नियामक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और इसके लिये आवश्यक स्वीकृतियों की संख्या को कम करने पर विचार कर सकती है।
- उद्यमशीलता को बढ़ावा देना: उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करना और उद्यमशीलता कौशल के विकास का समर्थन, भारत में स्टार्ट-अप के लिये अधिक सहायक वातावरण बनाने में मदद कर सकता है। इसे जागरूकता कार्यक्रमों और सलाह के अवसरों जैसी पहलों के माध्यम से किया जा सकता है।
- सहयोग को बढ़ावा देना: स्टार्ट-अप्स, स्थापित फर्मों और अन्य हितधारकों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करने से भारत में स्टार्ट-अप्स के लिये अधिक सहायक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में मदद मिल सकती है। इसे इन्क्यूबेटरों और सह-कार्यस्थलों जैसी पहलों के माध्यम से किया जा सकता है।
- संसाधनों और नेटवर्क तक पहुँच प्रदान करना: स्टार्ट-अप को संसाधनों और नेटवर्क तक पहुँच प्रदान करने से उन्हें चुनौतियों से उबरने और सफल होने में मदद मिल सकती है। इसमें सूचना, बाजार अनुसंधान और उद्योग विशेषज्ञ तक पहुँच शामिल हो सकती है।