प्रश्न. वैश्विक न्यूनतम कर (Global Minimum Tax) से आप क्या समझते हैं? यह भारत की अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करता है? चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
दृष्टिकोण:
- वैश्विक न्यूनतम कर के बारे में संक्षेप में बताते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभावों की विवेचना कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
- वैश्विक न्यूनतम कर (GMT) का तात्पर्य विश्व में कॉर्पोरेट आय पर मानक न्यूनतम कर दर को लागू करना है।
- OECD ने बड़े बहुराष्ट्रीय निगमों के विदेशी मुनाफे पर 15% कॉर्पोरेट न्यूनतम कर का प्रस्ताव रखा है जिससे देशों को 150 बिलियन अमेरिकी डॉलर का अतिरेक वार्षिक कर राजस्व प्राप्त होगा।
- GMT का उद्देश्य कम कर दरों के माध्यम से राष्ट्रों द्वारा कर प्रतिस्पर्द्धा में प्राप्त की जाने वाली बढ़त को हतोत्साहित किया जाना अपेक्षित है क्योंकि इसकी वजह से देशों को कर राजस्व के रुप में नुकसान उठाना पड़ता है।
मुख्य भाग:
- इस मुद्दे को हल करने और वैश्विक प्रतिमान स्थापित करने हेतु, OECD/G20 समावेशी ढाँचा प्रस्तुत किया गया है। जून 2021 में G7 देशों ने इस रूपरेखा पर सहमति जताते हुए एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। 1 जुलाई 2021 को भारत समेत करीब 130 देशों ने इस समझौते पर सहमति जताई थी। इस कर ढाँचे के निम्नलिखित दो स्तंभ हैं:
- पहला स्तंभ: इसके तहत 'सबसे बड़ी और सबसे अधिक लाभ' कमाने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों को करों का भुगतान करने की आवश्यकता होती है।
- दूसरा स्तंभ: किसी भी कटौती से बचने के लिये वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर की दर 15% निर्धारित की गई है।
- जिन कंपनियों पर कर लगाया जाएगा, उनका वार्षिक राजस्व कम से कम 10 यूरो बिलियन होने के साथ उनका कर पूर्व लाभ मार्जिन 10% होना चाहिये।
- वैश्विक न्यूनतम कर की आवश्यकता:
- कर का न्यूनतम क्षेत्राधिकार: बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ ऐसी जगह अपने मुख्यालय स्थापित करती हैं जहाँ ‘कर’ सबसे कम होता है ताकि कंपनी बहुत कम दर पर कर का भुगतान कर सके इसलिये आयरलैंड जैसे छोटे देश लाभ की स्थिति में थे लेकिन बड़े देश कर राजस्व प्राप्त करने में काफी पीछे थे।
- G7 देशों ने सभी बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर न्यूनतम 15% कर लगाने की घोषणा की है चाहे वे किसी भी स्थान पर स्थित हों, ताकि देश के लाभांश को संतुलित किया जा सके।
- देशों द्वारा कर की दर में की जाने वाली कमी को रोकने हेतु GMT का निर्धारण करना आवश्यक है।
- कर में एकरूपता: ‘वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर दर’ से दशकों से चली आ रही प्रतिस्पर्द्धा समाप्त होगी, जिसके तहत विभिन्न देशों द्वारा बड़ी कॉर्पोरेट कंपनियों को कर दरों में छूट देकर आकर्षित करने की प्रतिस्पर्द्धा की जा रही है और इससे वैश्विक स्तर पर कॉर्पोरेट कराधान में एकरूपता आएगी।
- बहुस्तरों पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा मुनाफे प्राप्त करना: बड़ी कंपनियाँ प्रायः अपने लाभ को बढ़ाने के लिये, कम कर वाले देशों जैसे आयरलैंड या कैरेबियाई देशों अथवा मध्य अमेरिकी देश पनामा में सहायक कंपनियों के जटिल वेब पर निर्भर रहती हैं।
- वैश्विक कर दुरुपयोग के कारण भारत को प्रतिवर्ष 10.32 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान होता है, जो 4.23 मिलियन नर्सों के वार्षिक वेतन और स्वास्थ्य व्यय के 44.7% के बराबर है। एक अध्ययन के अनुसार ऋण स्थानांतरण, अमूर्त संपत्ति (कॉपीराइट और ट्रेडमार्क) दर्ज कराने और रणनीतिक हस्तांतरण मूल्य, कुछ ऐसे तरीके हैं जिनसे बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ टैक्स हेवन देशों का सहारा लेकर कर चोरी करती हैं।
- भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
- समानता लाना: भारतीय संदर्भ में GMT से उन निकायों में समानता आएगी जो भारत में कार्यरत तो हैं लेकिन भारत में मुख्यालय न होने के कारण ये किसी भी प्रकार का कोई कर नहीं चुका रहे हैं।
- निवेश के आकर्षित होने की संभावना: भारत को 15 प्रतिशत की वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर दर समझौते को अपनाने से लाभ होने की संभावना है क्योंकि भारत की प्रभावी घरेलू कर दर 15 प्रतिशत की न्यूनतम सीमा से अधिक है और इस तरह भारत की ओर अधिक निवेश आकर्षित होगा।
- लाभ की स्थिति: अंतर्राष्ट्रीय प्रतिमानों पर आधारित समान कर दरों के कारण भारत लाभप्रद स्थिति में होगा।
- चुनौती: हालांँकि 15% की GMT दर से भारत में मौजूदा निवेश प्रभावित नहीं होगा जिससे अधिक SEZs स्थापित करना या कंपनियों को भारत में निवेश करने हेतु प्रोत्साहन देना एक चुनौतीपूर्ण कार्य बना रहेगा।
निष्कर्ष:
G7 देशों की यह पहल उन विभिन्न चुनौतियों का समाधान करने हेतु एक स्वागत योग्य कदम है जिनका वर्तमान में कई देश सामना कर रहे हैं। G7 द्वारा निर्धारित न्यूनतम स्लैब पर वैश्विक कॉर्पोरेट कर लगाने से विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर प्रमुख प्रभाव पड़ेगा।