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प्रश्न :
पश्चिमी विक्षोभ से आप क्या समझते हैं? भारत की जलवायु को प्रभावित करने में इसकी भूमिका की चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
26 Dec, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलउत्तर :
दृष्टिकोण:
- पश्चिमी विक्षोभ को संक्षेप में समझाते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- पश्चिमी विक्षोभ की क्रियाविधि पर चर्चा कीजिये।
- भारत में जलवायु को प्रभावित करने में इसकी भूमिका की चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- पश्चिमी विक्षोभ सर्दियों के महीनों की मौसम संबंधी घटनाएँ हैं जो भूमध्यसागरीय क्षेत्र की ओर से होने वाले वायु के पश्चिमी प्रवाह से संबंधित है।
- इसमें ‘विक्षोभ’ शब्द का तात्पर्य मौसम की अनियमितता और पश्चिमी से तात्पर्य उस दिशा से है जिसमें यह भारत के संदर्भ में उत्पन्न होते हैं।
- इसके कारण भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भागों में सर्दियों में वर्षा होती है।
- ये ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से होते हुए भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवेश करते हैं।
मुख्य भाग:
- क्रियाविधि:
- उत्पत्ति: सर्दियों के दौरान, यूक्रेन के आसपास के क्षेत्रों में उच्च वायुदाब प्रणाली विकसित होती है जिसके कारण ध्रुवीय क्षेत्रों की ठंडी हवा निचले/समशीतोष्ण अक्षांशों के पास अपेक्षाकृत गर्म और नम हवा से टकराती है।
- यह गर्म वायुराशियाँ आमतौर पर पछुआ हवाओं का भाग होती हैं जिनमें बहुत अधिक नमी होती है। जब अलग-अलग तापमान वाली दो वायुराशियाँ मिलती हैं तब वाताग्र का विकास होता है।
- पूर्व दिशा में भारत की ओर प्रवाह: वाताग्र बनने से बादल बनते हैं जिससे इन क्षेत्रों में भारी वर्षा होती है। इससे ऊपरी वायुमंडल में समशीतोष्ण चक्रवातों का निर्माण होता है।
- इतनी ऊँचाई पर ये चक्रवात उपोष्णकटिबंधीय पश्चिमी जेट स्ट्रीम के संपर्क में आते हैं जिसके कारण इनका प्रवाह पूर्व की ओर होता है।
- यह चक्रवात कैस्पियन सागर और फारस की खाड़ी से नमी ग्रहण करते हैं। यह मुख्य रूप से जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान राज्यों से होते हुए भारत में प्रवेश करता है।
- उत्पत्ति: सर्दियों के दौरान, यूक्रेन के आसपास के क्षेत्रों में उच्च वायुदाब प्रणाली विकसित होती है जिसके कारण ध्रुवीय क्षेत्रों की ठंडी हवा निचले/समशीतोष्ण अक्षांशों के पास अपेक्षाकृत गर्म और नम हवा से टकराती है।
- पश्चिमी विक्षोभ (WD) का प्रभाव:
- भारतीय जलवायु पर:
- पश्चिमी विक्षोभ उत्तरी भारत में वर्षा, हिमपात और कोहरे से संबंधित होता है। इसके कारण पाकिस्तान और उत्तरी भारत में वर्षा एवं हिमपात की घटनाएँ होती हैं।
- WD भूमध्य सागर और/या अटलांटिक महासागर से आर्द्रता ग्रहण करता है।
- WD के कारण शीत ऋतु में मानसून पूर्व वर्षा होती है और यह उत्तरी उपमहाद्वीप में रबी फसलों के विकास के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- WD हमेशा अच्छे मौसम का परिचायक नहीं होता है। कभी-कभी यह बाढ़, फ्लैश फ्लड, भूस्खलन, धूल भरी आँधी, ओलावृष्टि और शीत लहर जैसी चरम मौसमी घटनाओं का कारण बन सकते हैं जिससे जन-धन की हानि होती है।
- मानसून के दौरान, पश्चिमी विक्षोभ कभी-कभी घने बादल और भारी वर्षा का कारण बन सकता है।
- कमज़ोर पश्चिमी विक्षोभ पूरे उत्तर भारत में फसल उत्पादन में कमी और जल की समस्याओं का कारण बनता है।
- मज़बूत पश्चिमी विक्षोभ किसानों और सरकारों को जल की कमी से जुड़ी कई समस्याओं के निदान में सहायक हो सकता है।
- कृषि:
- सर्दियों के मौसम में औसतन 4-5 पश्चिमी विक्षोभ का निर्माण होता है और प्रत्येक पश्चिमी विक्षोभ में वर्षा का वितरण अलग-अलग होता है।
- सर्दियों के मौसम में वर्षा का कृषि में (विशेष रूप से गेहूँ जैसी रबी फसलों के लिये) बहुत महत्त्व होता है।
- पश्चिमी विक्षोभ से होने वाली वर्षा का प्रत्यक्ष प्रभाव हरियाणा और पंजाब जैसे गेहूँ उत्पादक राज्यों की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।
- आपदा का संभावित जोखिम:
- पश्चिमी विक्षोभ के कारण हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण कभी-कभी उत्तर भारतीय राज्यों जैसे हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश और राजस्थान में फसलों को नुकसान भी होता है।
- इस तूफान के कारण तड़ित/बिजली गिरने से काफी क्षति होती है। हाल ही में राजस्थान में पश्चिमी विक्षोभ के कारण बिजली गिरने से जन-धन की हानि हुई थी।
- वर्ष 2010 में लेह में बादल फटना, वर्ष 2014 में कश्मीर में बाढ़ आना और यहाँ तक कि वर्ष 2013 में उत्तराखंड में आई बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का कारण पश्चिमी विक्षोभ था।
- इन आपदाओं के कारण व्यापक स्तर पर जन-धन का नुकसान हुआ था।
- भारतीय जलवायु पर:
निष्कर्ष:
पश्चिमी विक्षोभ एक जटिल मौसमी घटना है और इसका भारत की जलवायु एवं कृषि पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह भारत में हर साल होने वाली कई प्राकृतिक आपदाओं का कारण भी बनता है, जिससे जन-धन का काफी नुकसान होता है।
इस प्रकार पश्चिमी विक्षोभ का और अधिक विस्तार से अध्ययन करने की आवश्यकता है। उष्णकटिबंधीय चक्रवातों या मानसून की तरह ही पश्चिमी विक्षोभ की बेहतर निगरानी आवश्यक है ताकि इससे होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।
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