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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    आपका मित्र ऋत्विक एक ऐसे गाँव से है जिसके आस-पास के इलाके विगत वर्ष के मानसून के दौरान बाढ़ के कारण जलमग्न हो गए थे। इससे सरकार ने प्रभावित लोगों को घरेलू सामान खरीदने के लिये नकद राशि, फसल को दोबारा उत्पादित करने के लिये बीज और खड़ी फसल के नुकसान की भरपाई के लिये धन देकर सहायता प्रदान की। ऋत्विक का घर ऊँचे स्थान पर होने के कारण उसका कोई व्यक्तिगत नुकसान नहीं हुआ था। सौभाग्य से उसकी कृषि भूमि भी बाढ़ वाली नदी से अपेक्षाकृत दूर होने के कारण बाढ़ के नुकसान से बच गई। आमतौर पर सरकारी तंत्र ऐसी स्थिति में प्रत्येक व्यक्ति के हुए नुकसान का पूरी तरह से आकलन करने में असमर्थ होता है। इसके परिणामस्वरूप लोग अनावश्यक और काल्पनिक दावे करके लाभ प्राप्त करने हेतु प्रयासरत रहते हैं। इस क्रम में ऋत्विक ने लाभ प्राप्त करने हेतु गाँव के अन्य लोगों की तरह गलत जानकारी प्रस्तुत की हैं।

    ऋत्विक के एक करीबी दोस्त के रूप में, उसके इस कृत्य के बारे में आप क्या सोचते हैं? क्या यह सही कार्य है? ऋत्विक के आचरण पर आपकी उचित प्रतिक्रिया क्या होगी?

    23 Dec, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    उत्तर :

    दृष्टिकोण:

    • इस मामले में शामिल नैतिक मुद्दे की व्याख्या करते हुए अपने उत्तर को संक्षेप में प्रस्तुत कीजिये।
    • इसमें शामिल विभिन्न हितधारकों के बारे में चर्चा कीजिये।
    • उपरोक्त मामले के संबंध में अपनी कार्रवाई के बारे में चर्चा कीजिये।
    • तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    उपर्युक्त मामले में गाँव के निवासी ऋत्विक द्वारा बाढ़ आने से अपनी फसल का नुकसान न होने पर भी सरकारी सहायता स्वीकार करना शामिल है।

    मुख्य भाग:

    • इसमें शामिल नैतिक मुद्दे:
      • ईमानदारी: इसे वित्तीय मामलों में सच्चाई के रुप में समझा जा सकता है।
      • सत्यनिष्ठा: इसका तात्पर्य आंतरिक नैतिक विश्वासों के अनुसार नैतिक कार्य को प्राथमिकता देना है।
      • लालच: इसका तात्पर्य आवश्यकता से अधिक रखने की इच्छा है इसमें शक्ति और भौतिक संपत्ति शामिल हो सकती है।
      • अन्याय: इसके तहत अन्यायपूर्ण और अनुचित कृत्य शामिल होते हैं।
    • इस मामले में शामिल हितधारक:
      • सरकारी सहायता के लाभार्थी के रूप में ऋत्विक।
      • मैं स्वयं,ऋत्विक के दोस्त के रूप में।
      • सरकारी एजेंसियाँ
      • समाज

    कार्रवाई का क्रम :

    • ऋत्विक के समक्ष उपलब्ध विकल्प:
      • दूसरों का अनुसरण करते हुए काल्पनिक दावे करे। क्योंकि यह सुनिश्चित करना सरकारी एजेंसियों का काम है कि झूठे दावों पर विचार न किया जाए।
        • जाने या अनजाने में ऋत्विक यह गलत धारणा रख सकता है कि इस संदर्भ में उसकी नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती है क्योंकि सरकारी अधिकारियों से अपेक्षा की जाती है कि वे इससे संबंधित विवरण सत्यापित करें और सत्यापन के बाद ही भुगतान का आदेश पारित करें। यदि अधिकारियों ने अपना काम ध्यान से नहीं किया है, तो वे जिम्मेदार हैं न कि स्वयं ऋत्विक। लेकिन यह विकल्प चुनना सही नहीं है।
      • जब हर कोई सरकार को धोखा दे रहा है, तो ऐसे में ऋत्विक अकेला कुछ नहीं कर सकता है और उसे भीड़ का अनुसरण करना चाहिये।
        • ऋत्विक अपने अनुचित आचरण को इस आधार पर सही नहीं ठहरा सकता है कि उसके गाँव में समान स्थिति वाले हर किसी ने ऐसा ही किया है।
        • यह दूसरों की नकल करने का आचरण है - चाहे वह आचरण अपने आप में सही हो या गलत।
        • लोकलुभावनवाद, सामाजिक विपथन का कारण बनता है और यह हमारे देश में सामान्य हो गया है जैसे- हर कोई सरकारी योजनाओं का लाभ लेना चाहता है, चाहे उसके लिये पात्रता की शर्तें लागू हों या नहीं।
        • कन्फ्यूशियस ने इसका बहुत अच्छी तरह से वर्णन किया है कि "यदि मैं दो अन्य पुरुषों के साथ चल रहा हूँ, तो उनमें से प्रत्येक मेरे शिक्षक की तरह होता है। मैं एक की अच्छी बातों को चुनूँगा और उनका अनुसरण करूँगा और दूसरे की बुरी बातों के आधार पर अपने अंदर सुधार करूँगा।
      • यह सरकार की भी समस्या है क्योंकि जब भी प्राकृतिक आपदाएँ आती हैं तो लोकप्रियता हासिल करने के लिये सरकार अधिक से अधिक राहत प्रदान करती है, जबकि उसे राहत को सीमित रखना चाहिये।
        • वस्तुतः सरकारें उदार पैमाने पर राहत प्रदान करती हैं, ऐसी राहत के दुरुपयोग के लिये कोई तर्क नहीं है।
      • ऋत्विक के मित्र के रूप में मैं उसे बताऊँगा कि जिस तरह से उसने अपनी फसल की अच्छी स्थिति होने के बावजूद राहत प्राप्त करने का विकल्प चुना है, वह गलत है और कोशिश करूँगा कि उपर्युक्त विकल्पों का प्रयोग ऋत्विक द्वारा नहीं किया जाना चाहिये, क्योंकि ये सही नहीं हैं। इसलिये मैं उसको सुझाव दूँगा कि उसे केवल वास्तविक दावे करने चाहिए, ताकि जरूरतमंदों को इसका लाभ मिल सके।
      • ऋत्विक को केवल वास्तविक दावे करने चाहिये:
        • यह विकल्प सही है। दरअसल, नैतिक उत्तरदायित्व की प्रेरणा व्यक्ति के अंदर से उत्पन्न होती है। विवेक, नैतिक मूल्यों का स्रोत है। प्रत्येक व्यक्ति की अंतरात्मा, उसे निर्देश देती है कि क्या सही है और क्या गलत है। नैतिकता की कसौटी पर खरा नहीं उतरने वाला कार्य गलत होता है।
          • इस मामले में ऋत्विक या और लोग लाभ के हकदार तभी हैं यदि उन्हें बाढ़ के कारण विशिष्ट नुकसान हुआ हो। यदि फसल नष्ट हो गई है तो फसल हानि के लिये दावा किया जाना नैतिक रूप से सही है। यदि कोई नुकसान नहीं हुआ है तो कोई भी दावा करना नैतिक नहीं है। सरकार झूठे दावे को मंजूरी देती है या नहीं,इस आधार पर झूठे दावे करना प्रासंगिक नहीं है।
          • इसी प्रकार की गहन संवेदनशीलता के संदर्भ में महान दार्शनिक इमैनुएल कांट ने लिखा था कि "दो चीजें मुझे सबसे ज्यादा अचंभित करती हैं- मेरे ऊपर तारों वाला आकाश और मेरे अंदर का नैतिक कानून"। किसी व्यक्ति को अंतरात्मा के निर्देशों के प्रति संवेदनशील रहना चाहिये।

    निष्कर्ष:

    गलत दावा न करने के साथ नैतिक विकल्प चुनना ही उपर्युक्त मामले का सबसे अच्छा विकल्प है, क्योंकि इससे समाज के बीच ऋत्विक के नैतिक प्रतिमानों को मजबूती मिलेगी।

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