अर्थव्यवस्था में मंदी के समाधान हेतु भारत को अपनी संवृद्धि-केंद्रित नीतियों को जन-केंद्रित नीतियों में बदलने की आवश्यकता है। चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
दृष्टिकोण:
- संवृद्धि केंद्रित नीतियों की कमियों को संक्षेप में समझाते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- जन केंद्रित सुधारों की आवश्यकता पर चर्चा कीजिये।
- आर्थिक मंदी को रोकने के लिये आवश्यक कुछ उपायों पर चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
- नीति आयोग का अनुमान है कि वर्ष 2030 तक भारत की ताजे जल की आवश्यकता इसकी उपलब्धता से दोगुनी हो जाएगी। एक तरफ शहर अधिक प्रदूषित हो रहे हैं और बाढ़ से जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। दूसरी ओर शहरी बुनियादी ढाँचे के निर्माण के लिये पेड़ों को काटा जा रहा है। इसके साथ ही शेयर बाजारों में विदेशी और घरेलू निवेशकों को आकर्षित करने के लिये विनियमों में बदलाव किया जाता रहता है।
- इसके अलावा भारत की जटिल, सामाजिक-आर्थिक पर्यावरण प्रणाली और भी अधिक तनाव की स्थिति में है। ऐसे में देश को एक साथ कई मोर्चों पर सुधार करना होगा।
मुख्य भाग:
- जन केंद्रित आर्थिक नीति की आवश्यकता:
- अगले साल तक भारत की आबादी चीन से अधिक हो जाएगी। ऐसे में हमें राजकोषीय या मौद्रिक नीति के बजाय मानव पूँजी और औपचारिक नौकरियों की दिशा में अपनी रणनीति को मजबूत करना चाहिये।
- इसके अलावा भारत, मानव विकास (शिक्षा और स्वास्थ्य) सूचकांक में आर्थिक रुप से कमजोर अपने पड़ोसियों से भी निम्न स्थिति में है।
- यह विश्व की सबसे अधिक जल संकट वाली बड़ी अर्थव्यवस्था है और भारत के शहर भी काफी प्रदूषित हैं।
- भारत की आर्थिक संवृद्धि युवाओं की बढ़ती आबादी के लिये पर्याप्त नौकरियाँ सृजित नहीं कर पा रही है: भारत के विकास की रोजगार लोच विश्व में सबसे खराब है।
- इस क्रम में मानव-केंद्रित और पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील प्रतिमान अपनाना आवश्यक है।
- इसलिये सबसे निचले पायदान पर रहने वालों के विकास को अधिक प्रोत्साहन दिया जाना चाहिये। मानव-केंद्रित विकास प्रतिमान के आधार पर सबसे गरीब नागरिकों के दृष्टिकोण से आदर्श नीति की कल्पना की जानी चाहिये।
आर्थिक मंदी को रोकने के लिये आवश्यकता जन केंद्रित उपाय:
- प्रगति की दिशा में मानव-केंद्रित और पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील प्रतिमान के लिये क्षेत्र-विशिष्ट नीतियों को लाने की आवश्यकता है।
- भारत की नीतियों के माध्यम से बाजार की जरूरतों के लिये स्थानीय रूप से अधिक उत्पादन करके बेहतर आय के साथ अधिक रोजगार सृजित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये। निम्न स्तर के लोग कमाएंगे और अधिक बचत करेंगे तो देश की बाजार क्षमता का विकास होगा।
- व्यक्तिगत प्रयोज्य आय में वृद्धि करना:
- सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता और पहुँच में सुधार करके और लागत को कम करके व्यक्तिगत प्रयोज्य आय में वृद्धि करने और नागरिकों के 'जीवनयापन को सुलभ” बनाने की आवश्यकता है।
- श्रम गहन क्षेत्रों पर ध्यान देना: विनिर्माण क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर में सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। आने वाले दशक में विनिर्माण उत्पादकता में काफी वृद्धि की संभावना है। इसके अलावा विनिर्माण क्षेत्र में सकल घरेलू उत्पाद में योगदान देने के साथ-साथ रोजगार सृजित करने की भी क्षमता है।
- कृषि: भारत में मुख्य रूप से पशुधन और मत्स्य पालन, दालों, मसालों, फलों और सब्जियों, बागवानी, और डेयरी सहित उच्च मूल्य वाले कृषि निर्यात की क्षमता है।
- संभावित सुधारों के अंतर्गत बाधा मुक्त अंतर्राज्यीय व्यापार सुनिश्चित करने के लिये कृषि उपज विपणन समिति अधिनियम में बदलाव और कृषि वस्तुओं की आपूर्ति और वितरण को विनियमित करने के लिये आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन शामिल करना शामिल है।
- भारत के पास उच्च मूल्य वाले कृषि पारिस्थितिकी तंत्र के साथ घरेलू और विश्व के स्तर पर स्वास्थ्य सेवा और उच्च मूल्य वाले पर्यटन को विकसित करने का अवसर है।
- स्वास्थ्य सेवा: गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच बढ़ाने और चिकित्सा पर्यटन को आकर्षित करने की भारत की क्षमता के लिये सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा बड़े पैमाने पर खर्च और निवेश करने की आवश्यकता होगी।
- भारत वर्तमान में स्वास्थ्य पर सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 3.5% खर्च करता है लेकिन इसे बढ़ाकर दोगुना करने की आवश्यकता है। टेलीमेडिसिन सहित नए व्यापार मॉडल को सक्षम करके भारत स्वास्थ्य सेवा उत्पादकता भी बढ़ा सकता है।
- उदहारण:
- दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) द्वारा 'केरल मॉडल' 'गुजरात मॉडल' से प्रेरित 'आम आदमी मॉडल' को लागू किया गया है।
- केरल मॉडल:
- स्थानीय सहभागी शासन, केरल मॉडल की विशिष्टता रही है। यह राज्य शिक्षा, स्वास्थ्य और महिलाओं के समावेशी विकास के अपने मानव विकास संकेतकों में चीन की बराबरी करते हुए देश के बाकी हिस्सों से काफी अच्छी स्थिति में है।
- आम आदमी मॉडल:
- दिल्ली की आप सरकार ने सरकार के जन-केंद्रित मॉडल को अपनाया है। इसने माता-पिता की भागीदारी के साथ स्कूल प्रबंधन समितियों की स्थापना की है। इसके साथ ही शिक्षक प्रशिक्षण बजट में पाँच गुना वृद्धि हुई है।
- दिल्ली के सरकारी स्कूलों का प्रदर्शन न केवल राष्ट्रीय औसत से अच्छा है बल्कि अब यह दिल्ली के निजी स्कूलों के प्रदर्शन से भी अच्छा है। सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय भी दोगुने से अधिक हो गया है। इस क्रम में सुलभ और सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिये गरीब कॉलोनियों में 'मोहल्ला क्लीनिक' स्थापित किये गए हैं।
निष्कर्ष:
इसके अलावा उच्च-गुणवत्ता वाले शहरी वातावरण, स्वच्छ हवा और जल, अधिक सुविधा-आधारित सेवाएँ और नवाचार आधारित अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजित करने के व्यापक अवसर मौजूद हैं। इसलिये भारत को जन केंद्रित विकास सुनिश्चित करने के क्रम में व्यवहारिक योजना लाने की आवश्यकता है।