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प्रश्न :
भारत और इज़राइल के बीच मौजूद सद्भावना (goodwill) के बावजूद, भारत द्वारा फिलिस्तीन के लिये महत्त्वपूर्ण योगदान दिया गया है। चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
20 Dec, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंधउत्तर :
दृष्टिकोण:
- हाल के भारत-इस्राइल सहयोग का संक्षेप में वर्णन करते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- भारत द्वारा फिलिस्तीन हेतु दिये गए योगदान की चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
फिलिस्तीन का समर्थन करना भारत की विदेश नीति का एक अभिन्न अंग है। इज़राइल के साथ मजबूत संबंध होने के बावजूद, भारत ने हमेशा विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर फिलिस्तीन के समर्थन के क्रम में सक्रिय भूमिका निभाई है।
मुख्य भाग:
हाल के वर्षों में भारत और इज़राइल के बीच संबंध काफी मजबूत हुए हैं जैसे:
- भारत-इज़राइल संबंध:
- आर्थिक: इज़राइल, एशिया में भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
- रक्षा: भारत इज़राइल से सैन्य उपकरणों का सबसे बड़ा खरीदार है। उदाहरण के लिये, फाल्कन अवॉक्स (PHALCON AWACS), सर्चर-II (प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली) आदि।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी: इनकी 8वीं शासी निकाय बैठक में भारत-इज़राइल औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास और तकनीकी नवाचार निधि (IF) की स्थापना की गई।
- इसके अलावा इज़राइल भी अक्षय ऊर्जा को प्रोत्साहन देने हेतु भारत के नेतृत्व वाले अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल हो गया है।
- भारत फिलिस्तीन संबंध:
- इतिहास: भारत वर्ष 1988 में फिलिस्तीन को मान्यता देने वाले शुरूआती देशों में से एक था।
- यूनेस्को के पूर्ण सदस्य के रुप में फिलिस्तीन की स्वीकृति के पक्ष में भी भारत ने मतदान किया था।
- व्यापार: भारत-फिलिस्तीन द्विपक्षीय व्यापार लगभग 40 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक का है।
- भारतीय सहायता: भारत ने शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला अधिकारिता और क्षमता निर्माण में फिलिस्तीन के लिये 42.1 मिलियन अमेरिकी डॉलर की परियोजना सहायता भी प्रदान की है।
- शिक्षा: द्विपक्षीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फिलिस्तीन के लिये मजबूत राजनीतिक समर्थन के अलावा, भारत फिलीस्तीनी लोगों दी जाने वाली आर्थिक सहायता के विभिन्न रूपों का भी विस्तार कर रहा है। भारत सरकार ने गाजा शहर में अल अजहर विश्वविद्यालय में जवाहरलाल नेहरू पुस्तकालय और गाजा पट्टी में दीर अल बलाह में फिलिस्तीन तकनीकी कॉलेज में महात्मा गांधी पुस्तकालय-सह-छात्र गतिविधि केंद्र के निर्माण में सहायता प्रदान की है।
- वित्तीय: अब तक भारत ने फिलिस्तीन को 30 मिलियन अमेरिकी डॉलर का बजटीय समर्थन प्रदान किया है।
- भारत ने इस क्रम में संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (UNRWA) द्वारा सामना किये जा रहे वित्तीय संकट की पृष्ठभूमि में इसके लिये अपने वार्षिक योगदान को 1.25 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर कर दिया है।
- कूटनीतिक: 1970 के दशक में भारत ने फिलिस्तीनी लोगों के एकमात्र और वैध प्रतिनिधि के रूप में फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (PLO) और उसके नेता यासिर अराफात का समर्थन किया था।
- इसके अलावा वर्ष 1975 में भारत फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (PLO) को फिलिस्तीनी लोगों के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में मान्यता देने वाला पहला गैर-अरब देश बन गया और इसे दिल्ली में एक कार्यालय खोलने के लिये भी आमंत्रित किया था।
- विश्व में सबसे लंबे समय तक चलने वाले संघर्ष पर भारत की नीति पहले चार दशकों के लिये स्पष्ट रूप से फिलिस्तीन समर्थक होने के साथ इजराइल के साथ तीन दशक पुराने मैत्रीपूर्ण संबंधों के संतुलन से प्रेरित रही है।
- हालांकि भारत, फिलिस्तीन के लोगों के साथ सहानुभूति रखता है लेकिन हाल के समय में इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष ने भारत को इजरायल-फिलिस्तीन से संबंधित अपनी विदेश नीति को पृथक करने के लिये मजबूर किया है जिससे भारत दोनों देशों के साथ व्यवहारिकता के आधार पर संबंध स्थापित कर रहा है।
- इतिहास: भारत वर्ष 1988 में फिलिस्तीन को मान्यता देने वाले शुरूआती देशों में से एक था।
निष्कर्ष:
बहुपक्षीय संगठनों में भारत को "मध्य पूर्व और पश्चिम एशिया में सुरक्षा और स्थिरता हासिल करने के लिये सभी संबंधित पक्षों के साथ सहयोग करने पर बल" देने की आवश्यकता है।
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