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प्रश्न :
"विशेष रूप से बच्चे, कोविड-19 से नकारात्मक रूप से प्रभावित हुए थे"। इस कथन के आलोक में बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और मानसिक एवं शारीरिक कल्याण के विशेष संदर्भ में इन पर कोविड-19 महामारी के प्रभावों की चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
19 Dec, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाजउत्तर :
दृष्टिकोण:
- बच्चों पर कोविड-19 के प्रभाव का संक्षेप में वर्णन करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- बच्चों पर महामारी के विभिन्न प्रभावों पर चर्चा कीजिये।
- बच्चों के समग्र स्वास्थ्य देखभाल के लिये आवश्यक कारकों पर चर्चा कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
कोविड-19 (विनाशकारी महामारी) ने विश्व स्तर पर लोगों को प्रभावित किया है। विभिन्न समूह इस वायरस से भिन्न तरीके से प्रभावित हुए हैं लेकिन इसका सबसे ज्यादा नकारात्मक प्रभाव बच्चों पर देखा गया है।
मुख्य भाग:
- बच्चों पर महामारी का प्रभाव:
- शिक्षा: सभी उम्र और सभी देशों के बच्चे और किशोर इस महामारी के परिणामों से गंभीर रूप से पीड़ित हुए हैं। कोविड-19 का इनके स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है और कुछ के लिये यह प्रभाव दीर्घकालिक रहेगा।
- उदाहरण के लिये, कोविड-19 के कारण शिक्षा प्रणाली में सबसे अधिक व्यवधान देखा गया है, जिसके कारण 190 से अधिक देशों में लगभग 1.6 बिलियन छात्र प्रभावित हुए हैं।
- स्वास्थ्य: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के पल्स सर्वेक्षण के अनुसार, कोविड-19 महामारी शुरू होने के बाद से 90% देशों में आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं में व्यवधान उत्पन्न हुआ है।
- इसके अनुसार बच्चों के लिये आवश्यक सेवाएँ व्यापक स्तर पर वाधित हुई हैं जैसे, नियमित टीकाकरण - जिसमें 70% आउटरीच सेवाएँ और 61% सुविधा-आधारित सेवाएँ प्रभावित हुई हैं।
- कुपोषण: आज भी अधिक संवेदनशील बच्चे महामारी से आहार की बिगड़ती गुणवत्ता और और इसके नियंत्रण उपायों के प्रभाव के कारण कुपोषित हो रहे हैं।
- इसके अलावा कोविड-19 के प्रसार को कम करने के प्रयासों से खाद्य प्रणाली बाधित होने के साथ स्वास्थ्य और पोषण सेवाएँ प्रभावित हो रही हैं साथ ही आजीविका और खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ रही हैं।
- मानसिक स्वास्थय : कोविड-19 के कारण बच्चों द्वारा डर, निराशा, उदासी, चिंता, क्रोध आदि जैसी नकारात्मक भावनाओं का अनुभव किया जाना असामान्य नहीं है।
- घर में ही रहने की गतिहीन और तनावपूर्ण जीवन शैली बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिये अतिरिक्त चुनौतियाँ पैदा करती है।
- ऐसे में कुछ बच्चों में गंभीर चिंता, अवसाद और आत्महत्या की प्रवृत्ति विकसित होने का अधिक खतरा होता है। पहले से मौजूद कोई भी मानसिक स्वास्थ्य समस्या, पिछले दर्दनाक अनुभव या दुर्व्यवहार, पारिवारिक अस्थिरता, या किसी प्रियजन को खोने से बच्चे गंभीर मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो सकते हैं।
- हिंसा के संपर्क में आना: लॉकडाउन ने बच्चों को कई तरह के जोखिमों में डाल दिया था। घर में आर्थिक अनिश्चितता, नौकरी छूटना या आजीविका में व्यवधान और सामाजिक अलगाव जैसे कारकों से होने वाले तनाव के परिणामस्वरूप बच्चों पर नकारात्मक असर पड़ा।
- शिक्षा: सभी उम्र और सभी देशों के बच्चे और किशोर इस महामारी के परिणामों से गंभीर रूप से पीड़ित हुए हैं। कोविड-19 का इनके स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है और कुछ के लिये यह प्रभाव दीर्घकालिक रहेगा।
- बच्चों के समग्र कल्याण हेतु निम्नलिखित कारकों को ध्यान में रखने की आवश्यकता है:
- सरकारी शिक्षा को बेहतर बनाने के साथ सभी बाधाओं को दूर करके इसे और अधिक सुलभ बनाना आवश्यक है।
- सरकार को डिजिटल अंतराल को कम करने की आवश्यकता है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर छात्र अपने उन साथियों से पिछड़ गए जिनकी डिजिटल उपकरण और इंटरनेट तक बेहतर पहुँच है।
- इसके अलावा, समाज के वंचित तबके के परिवारों को पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने की आवश्यकता है ताकि कठिन समय में उनके समग्र कल्याण का ध्यान रखा जा सके।
- सरकार को ज़रूरतमंद बच्चों को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक लाभ प्रदान करने के लिये विभिन्न बाल संरक्षण योजनाओं में निवेश करने की आवश्यकता है।
- सरकार द्वारा की गई पहल:
- विशेष प्रशिक्षण केन्द्रों में शिक्षा के माध्यम से पुनर्वास किया जाना।
- चाइल्डलाइन 1098 जैसी चाइल्ड हेल्पलाइन की शुरुआत करना। जिससे आवश्यकता पड़ने पर बच्चों के लिये मुफ्त, आपातकालीन फोन सेवा प्रदान की जाती है और इसे चाइल्डलाइन फाउंडेशन द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
निष्कर्ष:
वर्तमानकालीन संकट के संदर्भ में मानसिक स्वास्थ्य सहायता सेवाओं तक बच्चों और किशोरों की पहुँच में सुधार करने की आवश्यकता है। इस क्रम में मनोचिकित्सकों, मनोवैज्ञानिकों, बाल रोग विशेषज्ञों और सामुदायिक स्वयंसेवकों के प्रत्यक्ष और डिजिटल सहयोगी नेटवर्क से प्रेरित व्यवहारिक अभिनव बाल और किशोर मानसिक स्वास्थ्य नीतियों की आवश्यकता है।
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