अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में मलक्का जलडमरूमध्य के महत्त्व की चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- मलक्का जलडमरूमध्य की स्थिति का संक्षेप में वर्णन करते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में मलक्का जलडमरूमध्य के महत्त्व पर चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय
- मलक्का जलडमरूमध्य दक्षिण पूर्व एशिया में पानी का एक संकीर्ण खंड है जो 550 मील लंबा है और इंडोनेशियाई द्वीप सुमात्रा के पूर्वी तट और मलय प्रायद्वीप के पश्चिमी तट के बीच स्थित है।
- यह अपने दक्षिण-पूर्व छोर पर सिंगापुर के जलडमरूमध्य से जुड़ा हुआ है। मलक्का जलडमरूमध्य कीप के आकार का 800 किमी लंबा चैनल है जो हिंद महासागर को दक्षिण चीन सागर से जोड़ता है। यह जलडमरूमध्य अपने सबसे संकीर्ण फिलिप्स पॉइंट पर 3 किमी से कम चौड़ा है।
मुख्य भाग
- मलक्का जलडमरूमध्य वैश्विक व्यापार के परिवहन तथा कुछ अन्य रणनीतिक और व्यावसायिक कारणों से महत्त्वपूर्ण है।
- सामरिक महत्त्व:
- मध्य-पूर्व और पूर्वी एशिया के बीच सबसे छोटा समुद्री मार्ग, एशिया, मध्य-पूर्व एवं यूरोप के मध्य परिवहन के समय तथा लागत को कम करने में मदद करता है।
- इस गलियारे के माध्यम से, विश्व के समुद्री व्यापार के लगभग 60% का पारगमन होता है और यह दो मुख्य एशियाई उपभोक्ताओं पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना एवं जापान के लिये तेल आपूर्ति का मुख्य स्रोत है।
- अंडमान और निकोबार कमान (ANC) की स्थापना वर्ष 2001 में दक्षिण-पूर्व एशिया एवं मलक्का जलडमरूमध्य में भारत के रणनीतिक हितों की रक्षा के लिये द्वीपों में सैन्य संपत्तियों की तेज़ी से तैनाती को बढ़ाकर की गई थी।
- आर्थिक रूप से व्यवहार्य:
- यह हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के बीच सबसे छोटा समुद्री मार्ग है, जो निकटतम वैकल्पिक समुद्र-आधारित मार्ग से एक तिहाई छोटा है।
- यह भारत को ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा का प्रवेश द्वार भी प्रदान करता है।
- कूटनीतिक महत्त्व:
- मलक्का जलडमरूमध्य भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के लिये अत्याधिक महत्त्वपूर्ण है।
- चुनौतियाँ:
- चीन की उपस्थिति:
- हिंद महासागर क्षेत्र में मुख्य रूप से मलक्का जलडमरूमध्य से चीनी नौसेना की उपस्थिति लगातार बढ़ रहा है.
- जलवायु परिवर्तन:
- जलवायु परिवर्तन में वृद्धि से विभिन्न द्वीपों के समुद्रीय जल स्तर में वृद्धि हुई है।
निष्कर्ष
भारतीय विदेश नीति के मुख्य लक्ष्यों की प्राप्ति कई कारकों पर निर्भर करेगी। मुख्य रूप से द्वीपसमूह पर अवसंरचनात्मक सुविधाओं के विस्तार को पूरा करना तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के अधीनस्थ इकाइयों को मात्रात्मक रूप से मज़बूत करना है। यह विशेष रूप से मलक्का जलडमरूमध्य के प्रमुख जलमार्गों के आसपास भारत को क्षेत्रीय जल पर पहले से कहीं अधिक अपनी उपस्थिति बनाए रखने और गश्ती मिशन को तेज़ी लाने की अनुमति प्रदान करेगा।