रूस-यूक्रेन युद्ध जारी रहने, उपभोक्ता मांग में गिरावट और धीमी आर्थिक संवृद्धि जैसे विभिन्न कारणों से विश्व भर में बड़ी-टेक कंपनियों द्वारा कर्मचारियों की छंटनी की प्रवृत्ति बनी हुई है। इस वैश्विक स्थिति के आलोक में एक भारतीय एड-टेक कंपनी भी है जो मांग और पूंजी में होने वाली इस चुनौती से पीड़ित है। मंदी के इस कठिन दौर से निपटने के लिये इस कंपनी को भी कुछ उपाय करने की आवश्यकता है।
मनीष इस कंपनी में मानव संसाधन (HR) प्रमुख के रूप में कार्यरत है और उस पर कर्मचारियों की बड़े पैमाने पर छंटनी करने का निवेशकों का दबाव बना हुआ है।
इसके अलावा उसे प्रबंधन द्वारा भी सूचित किया गया है कि कंपनी के अस्तित्व को बनाए रखने के लिये कर्मचारियों की छंटनी आवश्यक है और उसे जल्द से जल्द इस निर्णय के बारे में कर्मचारियों को सूचित करने का निर्देश दिया गया।
प्रश्न. नैतिक द्वंदों को ध्यान में रखते हुए बताइए कि इस परिदृश्य में मनीष को क्या करना चाहिये?
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- मामले में शामिल नैतिक मुद्दे की व्याख्या करते हुए अपने उत्तर को संक्षेप में प्रस्तुत कीजिये।
- मामले में शामिल विभिन्न हितधारकों और नैतिक दुविधाओं पर चर्चा कीजिये।
- मनीष की कार्यप्रणाली पर चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय
उपरोक्त मामला एक एड-टेक कंपनी की धीमी वृद्धि, मांग की कमी आदि जैसे विभिन्न कारणों से आर्थिक अनिश्चितता से संबंधित है और वरिष्ठ मानव संसाधन (HR) प्रमुख मनीष के समक्ष यह नैतिक दुविधा है कि कर्मचारियों के एक बड़े हिस्से को निकाला जाए या नहीं।
मुख्य भाग
- शामिल नैतिक मुद्दे:
- कर्मचारियों के प्रति मनीष की सहानुभूति।
- नियम पुस्तिका का पालन करने के लिये व्यावसायिक ज़िम्मेदारी।
- संकटमय प्रबंधन।
- कॉर्पोरेट गवर्नेंस।
- मामले में शामिल हितधारक इस प्रकार हैं:
- एड-टेक कंपनी के निवेशक।
- एड-टेक कंपनी का प्रबंधन।
- मनीष एचआर हेड के रूप में।
- जिन कर्मचारियों को निकाला जा सकता है।
- निकाले गए कर्मचारियों का परिवार।
- नैतिक दुविधाएँ शामिल हैं:
- व्यक्तिगत मूल्य v/s व्यावसायिक मूल्य: जैसा कि वरिष्ठ मानव संसाधन प्रमुख मनीष के विचार कंपनी के प्रबंधन के खिलाफ हैं, लेकिन उनके व्यक्तिगत मूल्यों का मूल्यांकन कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति के अनुसार किया जाना चाहिये।
- वफादार कर्मचारी बनाम कंपनी: क्योंकि वफादार कर्मचारी कंपनी में विश्वास खो देंगे और इससे कंपनी को दीर्घकालिक नुकसान होगा।
- असंतोष कर्मचारी बनाम उन्हें बनाए रखना: कंपनी के वरिष्ठ प्रबंधन को इस दुविधा का सामना करना पड़ेगा कि कर्मचारी के प्रति करुणा के नैतिक मूल्यों के बावजूद कर्मचारियों को बनाए रखा जाए या बर्खास्त किया जाए।
- कार्यवाहियाँ:
- मेरा पहला कदम प्रबंधन का पालन करना तथा कर्मचारियों के एक बड़े हिस्से को बर्खास्त करना होगा, लेकिन यह निर्णय अन्य कर्मचारियों के बीच असंतोष पैदा कर सकता है।
- प्रमुख (मानव संसाधन) मनीष को कर्मचारी की वित्तीय स्थिति के बारे में पता होगा और उनमें से कई कर्मचारियों की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं होगी, ऐसे में बर्खास्त कर्मचारियों नकारात्मक रूप से प्रभावित होंगे ।
- इसके अलावा कर्मचारी को ऐसे समय में बर्खास्त करना जब वे वित्तीय संकट से गुजर रहे हों तथा बाज़ार में आर्थिक मंदी के कारण उनके लिये कहीं और नौकरी ढूंढना मुश्किल जाएग, यह अनैतिक है।
- अगर कंपनी छंटनी के साथ आगे बढ़ती है, तो छंटनी से पहले एकमुश्त मुआवज़े के साथ दो महीने की नोटिस अवधि होनी चाहिये।
- मेरा दूसरा कदम यह होगा कि आर्थिक मंदी कम होने तक उच्च अधिकारियों के वेतन में कटौती की जाए।
- कर्मचारियों को फिर से कौशल प्रदान करने या उन्हें बर्खास्त करने की बजाय उनके कौशल के अनुसार समायोजित करने के लिये विभिन्न प्रयास किये जाने चाहिये, यह प्रक्रिया निचले अधिकारियों को संगठन के वित्त पर बोझ डाले बिना अपनी नौकरी बनाए रखने में मदद करेगी।
- तीसरा कदम सभी कर्मचारियों को बनाए रखना होगा, क्योंकि प्रसिद्ध उद्यमी अशनीर ग्रोवर ने हाल ही में कहा था कि आर्थिक मंदी के दौरान कर्मचारियों को निकालना कभी भी समाधान नहीं है, बल्कि मंदी के कम होने तक उनके वेतन में 10-30% की कटौती की जानी चाहिये, क्योंकि ये लोग बहुत समय से कार्य कर रहे थे और छंटनी करके कंपनी अपने कुशल कार्यबल को खो सकती है, जिससे कंपनी के लिये आगे अच्छी प्रतिभा को आकर्षित करना मुश्किल हो सकता है।
- इससे कर्मचारियों को अपने कौशल को उन्नत करने का अवसर मिलेगा और उन्हें रोज़गार के अन्य विकल्पों का पता लगाने के लिये उचित समय भी मिलेगा।
निष्कर्ष
समृद्ध लोगों की तुलना में कठिन समय में सहानुभूतिशील पूंजीवाद महत्त्वपूर्ण है। अतः अपने कर्मचारी को निकालने के बजाय, मनीष प्रबंधन के साथ अपनी कार्रवाई के बारे में चर्चा कर सकता है और उन्हें फिर से कुशल बनाकर, मंदी के कम होने तक उनके वेतन में कटौती करके दूसरे और तीसरे दोनों कार्यवाहियों के संयोजन का पालन करने के लिये मनाने की कोशिश कर सकता है, जो कर्मचारियों को बनाए रखेगा और इस कठिन समय में कंपनी के खर्च को भी कम करेगा।