सिविल सेवकों हेतु नैतिक विचारों पर किन्हीं दो आधुनिक लोक प्रशासक विचारकों के दृष्टिकोण की संक्षेप में रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये। (150 शब्द )
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- नैतिक विचारों का संक्षेप में परिचय देते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- नैतिक विचारों पर डेविड के हार्ट और जॉन रोहर के विचारों पर चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय
'नैतिकता' स्वीकृत विश्वासों, लोकाचारों और मूल्यों की एक प्रणाली है, जो मानव व्यवहार को प्रभावित करती है। विशेष रूप से यह नैतिकता पर आधारित एक प्रणाली है। अतः नैतिकता इस बात का अध्ययन है कि नैतिक रूप से क्या सही है और क्या नहीं। 17वीं शताब्दी की शुरुआत से नैतिकता को “नैतिकता के विज्ञान” अर्थात् आचरण के नियम, मानव कर्त्तव्य का विज्ञान के रूप में स्वीकार किया गया है। इसलिये आम बोलचाल में नीतिशास्त्र को नैतिक सिद्धांतों के रूप में माना जाता है जो किसी व्यक्ति या समूह के व्यवहार को नियंत्रित करता है। इसमें अच्छे का विज्ञान और सही की प्रकृति दोनों शामिल हैं।
मुख्य भाग
- नैतिक विचारों पर डेविड के. हार्ट का दृष्टिकोण:
- उन्होंने 'उदार नौकरशाह' और 'नैतिक आदर्श' का विचार प्रतिपादित किया। उनके अनुसार नैतिक आदर्श वह है जो आदर्श नैतिकता के मॉडल के रूप में कार्य करता है।
- वह सार्वजनिक प्रशासन को व्यावसायिक उद्यम से अलग करता है। व्यवसाय प्रबंधकों की तुलना में लोक सेवक, उच्च उद्देश्य के लिये प्रयास करते हैं।
- वह लोक प्रशासन को एक नैतिक प्रयास के रूप में वर्णित करता है और इसे व्यावसायिक उद्यम से अलग करता है और लोक सेवक को व्यवसाय प्रबंधकों की तुलना में विभिन्न व्यक्तिगत लक्षणों और उच्च नैतिक गुणों को अपनाने का सुझाव देता है।
- अतः लोक सेवकों को एक अद्वितीय नैतिक चरित्र और कुछ नैतिक कर्तव्यों के प्रति प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है।
- नैतिक गुणों की सूची जिसका हार्ट ने उल्लेख किया है, में शामिल हैं:
- श्रेष्ठ विवेक,
- नैतिक साहस,
- मानव प्रेम,
- आम लोगों पर भरोसा,
- नैतिक सुधार की दिशा में निरंतर प्रयास,
- नैतिक आदर्शों पर जॉन रोहर का दृष्टिकोण:
- उन्होंने सुझाव दिया कि लोक सेवकों को संवैधानिक सिद्धांतों के आधार पर अपने निर्णय लेने चाहिये। उन्हें संविधान के सिद्धांतों को आत्मसात करना चाहिये जो किसी भी राज्य का कानून है।
- उन्होंने स्वतंत्रता, समानता और संपत्ति को तीन मुख्य मूल्यों के रूप में चिंहित किया।
- रोहर इस संदर्भ में चार बातें कहते हैं:
- सार्वजनिक अधिकारी संविधान की रक्षा के लिये पद की शपथ लेते हैं और इससे बंधे होते हैं।
- संविधान को किसी भी राज्य का संस्थापक सिद्धांत माना जा सकता है।
- संविधान किसी भी मौजूदा, अस्थायी सरकार की स्थापना से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण है।
- प्रशासकों को संविधान के प्रति वफादार रहना चाहिये न कि किसी मौजूदा सरकार के प्रति।
- आमतौर पर संविधान के इर्द-गिर्द एक आम सहमति मौजूद है। संविधान एक प्रकार की सार्वभौमिक नैतिक व्यवस्था के रूप में खड़ा है। लोक सेवकों को राजनीतिक आकाओं की तुलना में संविधान से नैतिक मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहिये।
निष्कर्ष
एक आदर्श लोक सेवक को स्वेच्छा से और अपनी इच्छा से कार्य करना चाहिये तथा प्रशासन में उसके कार्य उच्च स्तर के नियमों या अनिवार्यता का परिणाम नहीं होना चाहिये।