प्रश्न. ‘वित्तीय समावेशन’ भारत की अर्थव्यवस्था के सबसे महत्त्वपूर्ण स्तंभों में से एक है। इससे संबंधित चुनौतियों पर चर्चा करते हुए भारत में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने हेतु कुछ सुझाव दीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- वित्तीय समावेशन की संक्षिप्त व्याख्या करते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- भारत में वित्तीय समावेशन के महत्त्व पर चर्चा कीजिये।
- वित्तीय समावेशन से संबंधित विभिन्न चुनौतियों पर प्रकाश डालिये।
- भारत में वित्तीय समावेशन को बढ़ाने के लिये कुछ उपाय सुझाते हुए अपने उत्तर का समाप्त कीजिये।
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परिचय
वित्तीय समावेशन, व्यापक रूप से उचित लागत पर वित्तीय सेवाओं की एक विस्तृत शृंखला तक सार्वभौमिक पहुँच को संदर्भित करता है। इनमें न केवल बैंकिंग उत्पाद बल्कि अन्य वित्तीय सेवाएँ जैसे बीमा और इक्विटी उत्पाद भी शामिल हैं।
मुख्य भाग
- वित्तीय समावेशन का महत्त्व:
- बचत को प्रोत्साहित करना: वित्तीय समावेशन ग्रामीण आबादी के बड़े हिस्से के बीच बचत की संस्कृति को विकसित कर वित्तीय प्रणाली को व्यापक बनाता है, साथ ही आर्थिक विकास की प्रक्रिया में अपनी भूमिका निभाता है। इसके अलावा कम आय वाले समूहों को औपचारिक बैंकिंग क्षेत्र की परिधि में लाकर वित्तीय समावेशन अत्यावश्यक परिस्थितियों में उनके वित्तीय धन और अन्य संसाधनों की रक्षा करता है।
- वित्तीय समावेशन औपचारिक ऋण तक पहुँच को आसाना बनाता है तथा सूदखोर साहूकारों द्वारा कमज़ोर वर्गों के शोषण को कम करता है।
- आर्थिक उत्पादन को बढ़ावा देने में गुणक प्रभाव: इस बात के प्रमाण में वृद्धि हो रही हैैं कि वित्तीय समावेशन का समग्र आर्थिक उत्पादन को बढ़ाने, राष्ट्रीय स्तर पर गरीबी और आय असमानता को कम करने में गुणक प्रभाव कैसे पड़ता है।
- लैंगिक समानता को बढ़ावा: महिलाओं का वित्तीय समावेशन लैंगिक समानता और महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण के लिये विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है। अपने वित्तीय जीवन पर अधिक नियंत्रण के साथ, महिलाएँ खुद को और अपने परिवार को गरीबी से बाहर निकलने, उनके गरीबी स्तर के ज़ोखिम को कम करने, अनौपचारिक क्षेत्र से उनके शोषण को समाप्त करने तथा औसत दर्जे की एवं आर्थिक गतिविधियों में पूरी तरह से संलग्न होने की उनकी क्षमता में वृद्धि करने में मदद कर सकती हैं।
- वित्तीय समावेशन से संबंधित चुनौतियाँ:
- बैंक खातों में गैर-सार्वभौमिक पहुँच
- बैंक खाते सभी वित्तीय सेवाओं के लिये एक प्रवेश द्वार हैं। लेकिन विश्व बैंक की एक रिपोर्ट (2021) के अनुसार, भारत में लगभग 190 मिलियन वयस्कों के पास बैंक खाता नहीं है, जिससे भारत, चीन के बाद गैर बैंकिंग आबादी के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है।
- डिजिटल डिवाइड
- डिजिटल प्रौद्योगिकी को अपनाने में सबसे आम बाधाएँ जो वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दे सकती हैं:
- उपयुक्त वित्तीय उत्पादों की अनुपलब्धता
- डिजिटल सेवाओं का उपयोग करने के लिये हितधारकों के बीच कौशल की कमी
- ढाँचागत मुद्दे
- कम आय वाले उपभोक्ता जो डिजिटल सेवाओं तक पहुँचने के लिये आवश्यक तकनीक का खर्च उठाने में सक्षम नहीं हैं।
- अनौपचारिक और नकद आधारित अर्थव्यवस्था:
- भारत एक नकदी आधारित अर्थव्यवस्था है, जो डिजिटल भुगतान अपनाने की दिशा में एक चुनौती है।
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, भारत में लगभग 81% व्यक्ति अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं।
- लेनदेन के लिये नकदी आधारित अर्थव्यवस्था पर उच्च निर्भरता के साथ एक विशाल अनौपचारिक क्षेत्र का संयोजन डिजिटल वित्तीय समावेशन के लिये एक बाधा बन गया है।
- वित्तीय समावेशन में लैंगिक अंतराल:
- ग्लोबल फाइंडेक्स रिपोर्ट-2017 के अनुसार, भारत में 15 वर्ष से अधिक आयु के 83% पुरुषों के अपेक्षा 77% महिलाओं ने ही किसी वित्तीय संस्थान में खाते का संचालन किया।
- इस अंतराल के लिये सामाजिक-आर्थिक कारक उत्तरदायी है, जिसमें मोबाइल हैंडसेट की उपलब्धता और इंटरनेट डेटा की सुविधा महिलाओं की तुलना में पुरुषों के बीच अधिक है।
निष्कर्ष
- डिजिटल कवरेज का विस्तार करना: वित्तीय सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुँच प्रदान करने के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिये वित्तीय सेवाओं के निर्बाध वितरण हेतु सभी वित्तीय सेवा आउटलेट्स /टच पॉइंट्स को एक मज़बूत और कुशल डिजिटल नेटवर्क बुनियादी ढाँचा प्रदान करना आवश्यक है।
- सहकारी बैंकों और अन्य विशिष्ट बैंकों (पेमेंट बैंक, लघु वित्त बैंक) के साथ-साथ अन्य गैर-बैंक संस्थाओं जैसे कि उर्वरक की दुकानों, स्थानीय सरकारी निकायों / पंचायतों के कार्यालय आदि के लिये डिजिटल वित्तीय बुनियादी ढाँचे का विस्तार करने की भी सिफारिश की गई है। ग्राहकों को दी जाने वाली सेवाओं में दक्षता और पारदर्शिता को बढ़ावा देना।
- बैंकिंग कवरेज में वृद्धि: प्रत्येक गाँव तक बैंकिंग पहुँच प्रदान करने के लिये अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों/ भुगतान बैंकों/ लघु वित्त बैंकों के बैंकिंग आउटलेट्स की पहुँच में वृद्धि करना।
- फिन-टेक स्पेस का उपयोग करना: वित्तीय सेवा प्रदाताओं की पहुँच को मज़बूत करने के लिये अभिनव दृष्टिकोण अपनाने हेतु प्रोत्साहित करने के लिये फिन-टेक स्पेस के उपयोग से लाभ अर्जित करना।
- वित्तीय सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुँच: बैंक शाखाओं, माइक्रो एटीएम, प्वाइंट ऑफ सेल (PoS) टर्मिनलों और स्थिर कनेक्टिविटी आदि की बेहतर नेटवर्किंग के माध्यम से देश में डिजिटल बुनियादी ढाँचे का विस्तार करने की आवश्यकता है।