भारत-आसियान संबंधों को बाधित करने वाली विभिन्न भू-राजनीतिक चुनौतियाँ विद्यमान हैं। चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- आसियान का संक्षिप्त परिचय देकर अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- भारत-आसियान संबंधों के सामने आने वाली विभिन्न भू-राजनीतिक चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
- भारत-आसियान संबंधों को बढ़ाने के लिये कुछ उपाय सुझाइए।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
- 10 देशों के समूह आसियान को दक्षिण पूर्व एशिया के सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है। इसमें इंडोनेशिया, थाईलैंड, वियतनाम, लाओस, ब्रुनेई, फिलीपींस, सिंगापुर, कंबोडिया, मलेशिया और म्याँमार शामिल हैं।
- आसियान देश भारत-प्रशांत के रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण क्षेत्र पर स्थित हैं जो आसियान को क्षेत्रीय और वैश्विक दोनों शक्तियों के लिये एक केंद्र बिंदु बनाता है।
- मुख्य भाग:
- भारत-आसियान सहयोग के सामने भू-राजनीतिक चुनौतियाँ:
- प्रादेशिक विवाद: आसियान सदस्य देश लंबे समय से इच्छुक शक्तियों के साथ क्षेत्रीय विवादों में उलझे हुए हैं। उदाहरण के लिये दक्षिण चीन सागर के क्षेत्रों के लिये चीन का दावा ब्रुनेई दारुशेलम, मलेशिया, फिलीपींस और वियतनाम के प्रतिस्पर्द्धा दावों के साथ अधिव्याप्त है।
- हिंद-प्रशांत प्रतिद्वंद्विता: लंबे समय से चीन को प्राथमिक आर्थिक भागीदार और प्राथमिक सुरक्षा गारंटर के रूप में अमेरिका आसियान संतुलन के केंद्र में रहा है।
- लेकिन वर्तमान में वह संतुलन टूट रहा है तथा रूस-यूक्रेन युद्ध ने इस तनाव को और भी बढ़ा दिया है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में प्रमुख शक्तियों की प्रतिद्वंद्विता के तेज़ होने से उस अंतर्निहित स्थिरता को खतरा पहुँच रहा है, जिस पर क्षेत्रीय विकास और समृद्धि टिकी हुई है।
- अस्थिर भू-अर्थशास्त्र: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भू-राजनीतिक तनाव भू-आर्थिक परिणाम उत्पन्न कर रहा है जहाँ व्यापार एवं प्रौद्योगिकीय सहयोग के साथ-साथ आपूर्ति शृंखला प्रत्यास्थता के मुद्दे चरम पर हैं।
- यह परिदृश्य ऐसे समय बन रहा है जब आसियान इन चुनौतियों के प्रबंधन के संबंध में एक आंतरिक रूप से विभाजित संगठन बना हुआ है।
- भारत और आसियान देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के उपाय:
- एक्ट ईस्ट पॉलिसी: एक्ट ईस्ट पॉलिसी आसियान देशों, आर्थिक एकीकरण, पूर्वी एशियाई देशों तथा सुरक्षा सहयोग पर केंद्रित है।
- इसमें कनेक्टिविटी, वाणिज्य, संस्कृति, रक्षा एवं द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं बहुपक्षीय स्तरों पर लोगों से लोगों के बीच संपर्क के क्षेत्र में दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ गहन व निरंतर जुड़ाव शामिल है।
- भारत के प्रधानमंत्री ने एक्ट ईस्ट पॉलिसी के ‘4C' पर प्रकाश डाला है।
- संस्कृति (Culture)
- वाणिज्य (Commerce)
- कनेक्टिविटी (Connectivity)
- क्षमता निर्माण (Capacity building)
- कनेक्टिविटी बढ़ाने हेतु पहल:
- भारत और बांग्लादेश के बीच अगरतला-अखौरा रेल लिंक।
- बांग्लादेश के माध्यम से इंटरमोडल परिवहन लिंकेज और अंतर्देशीय जलमार्ग।
- कलादान मल्टीमॉडल ट्रांज़िट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट और पूर्वोत्तर को म्यांमार और थाईलैंड से जोड़ने वाली त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना।
- अन्य पहल:
- महामारी के दौरान आसियान देशों को दवाओं/चिकित्सा आपूर्ति के रूप में सहायता प्रदान की गई।
- आसियान देशों के प्रतिभागियों के लिये आईआईटी में 1000 पीएचडी फेलोशिप के प्रस्तावों के साथ छात्रवृत्ति की पेशकश की गई है।
- भारत शिक्षा, जल संसाधन, स्वास्थ्य आदि के क्षेत्रों में जमीनी स्तर के समुदायों को विकास संबंधी सहायता प्रदान करने हेतु कंबोडिया, लाओस, म्याँमार और वियतनाम में त्वरित प्रभाव परियोजनाओं को भी लागू कर रहा है।।
- त्वरित प्रभाव परियोजनाएँ (QIPs) छोटे पैमाने और कम लागत वाली परियोजनाएँ हैं जो एक छोटी समय सीमा के भीतर नियोजित और कार्यान्वित की जाती हैं।
निष्कर्ष:
इस क्षेत्र में अपने स्थायित्त्व को बढ़ाने के लिये भारत को आसियान क्षेत्र के साथ व्यापार और संपर्क बढ़ाने की आवश्यकता है, लेकिन आसियान के भीतर समान विचारधारा वाले सह-भागीदारों के साथ मज़बूत द्विपक्षीय साझेदारी विकसित करने के लिये भारत द्वारा एक ठोस प्रयास किया जाना चाहिये। यह ‘मिनी लेटरल’ का युग है तथा भारत को दक्षिण पूर्व एशिया में भी अपना विस्तार करने में संकोच नहीं करना चाहिये क्योंकि आसियान निकट भविष्य के लिये अपने आंतरिक सामंजस्य के साथ संघर्ष करना जारी रखेगा।