एक महिला और उसका पुरुष साथी लिव-इन रिलेशनशिप में साथ रह रहे थे। शादी का झांसा देकर कुछ वर्षों तक पुरुष साथी ने महिला को शारीरिक और मानसिक रुप से प्रताड़ित किया। कुछ समय तक यह रिश्ता चलने के बाद एक दिन पुलिस को एक नदी के पास एक शव के साथ एक बैग मिला। प्रारंभिक छानबीन के बाद पुलिस को पता चला कि उस महिला के लिव-इन पार्टनर ने उसकी हत्या कर दी थी। इससे पहले उस महिला के परिवार ने उसके लिव-इन रिलेशनशिप का विरोध किया था और इस घटना के बाद राज्य में लिव-इन रिलेशनशिप के खिलाफ भारी विरोध होने लगा और जो लोग अपने लिव इन पार्टनर के साथ रह रहे थे, उन्हें विभिन्न समूहों द्वारा धमकी दी जाने लगी। इसके बाद विभिन्न धार्मिक समूहों एवं अन्य समूहों ने एक साथ आकर राज्य सरकार से पूरे राज्य में लिव-इन-रिलेशनशिप पर प्रतिबंध लगाने के लिये एक कानून लाने की मांग की और दावा किया कि लिव-इन रिलेशनशिप भारतीय संस्कृति के खिलाफ है।
अपने क्षेत्र के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के रूप में आप इस स्थिति को कैसे संभालेंगे और इस मुद्दे को हल करने के लिये आप क्या कदम उठाएंगे ?
उत्तर :
दृष्टिकोण:
- इस मामले में शामिल नैतिक मुद्दे की व्याख्या करते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- इस मामले में शामिल विभिन्न हितधारकों के साथ नैतिक द्वंद के बारे में चर्चा कीजिये।
- इस समस्या को हल करने के लिए संभावित विकल्पों का सुझाव दीजिये।
- अंत में इस द्वंद को हल करने का तर्कसंगत विकल्प बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।
|
परिचय:
उपर्युक्त मामले में लिव-इन रिलेशनशिप का मुद्दा शामिल है क्योंकि इसमें एक महिला की उसके लिव-इन पार्टनर द्वारा हत्या कर दी गई है। इसी कारण से लिव-इन रिलेशनशिप पर रोक लगाने की मांग को लेकर क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इस आलोक में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के रुप में मेरे लिये इस स्थिति को संभालना आवश्यक हो जाता है।
मुख्य भाग:
- इसमें शामिल नैतिक मुद्दे:
- लिव-इन पार्टनर के प्रति वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की सहानुभूति।
- नियमों का पालन करने का पदीय कर्त्तव्य।
- वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की संवैधानिक नैतिकता।
- निष्पक्षता (भेदभाव रहित)
- संकट प्रबंधन।
- इस मामले में शामिल विभिन्न हितधारक:
- पुरुष लिव-इन-पार्टनर
- महिला लिव-इन-पार्टनर
- वरिष्ठ पुलिस अधिकारी
- दोनों लिव-इन पार्टनर के माता-पिता
- समाज।
- इस मामले में शामिल नैतिक द्वंद :
- विधि का शासन बनाम समाज की परंपरा: इस मामले में विधि के शासन के तहत लिव-इन रिलेशनशिप की अनुमति है लेकिन समाज की परंपरा लिव-इन रिलेशनशिप के खिलाफ है।
- व्यक्तिगत मूल्य बनाम व्यावसायिक मूल्य: वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के रूप में मेरे मन में अपराधी के खिलाफ नकारात्मक विचार हो सकते हैं लेकिन विधि के शासन को बनाए रखने के लिए मैं पेशेवर मूल्यों पर अपने व्यक्तिगत मूल्यों को हावी नहीं होने दूँगा।
- इस स्थिति में मेरी कार्रवाई का क्रम निम्नलिखित होगा:
- मैं प्रारंभिक जांच रिपोर्ट की जाँच करके यह सुनिश्चित करूँगा कि यह जाँच स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से की गई थी या नहीं और इस मामले में शामिल संवेदनशीलता को देखते हुए इसमें महिला पुलिस अधिकारियों को भी शामिल करूँगा।
- इसके साथ-साथ मैं पीड़ित परिवार को भावनात्मक समर्थन देने के साथ कानूनी मार्गदर्शन प्रदान करूँगा।
- इसके बाद मैं प्रदर्शनकारियों को यह समझाकर शांत करने की कोशिश करूँगा कि पुलिस इस मामले की जाँच कर रही है और पुलिस कानून का पालन करेगी।
- फिर भी यदि प्रदर्शनकारी नहीं माने और उन्होंने अपना विरोध जारी रखा, तो मैं कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस बल का प्रयोग करूँगा क्योंकि प्रदर्शनकारी नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचा सकते हैं और उसके बाद मैं विभिन्न समूहों के नेताओं के साथ बातचीत शुरू करूँगा जैसे कि नागरिक समाज, धार्मिक नेता, गैर सरकारी संगठन। इसके साथ ही इनके विरोध को शांत करने के लिये मैं आश्वासन दूँगा की इसमें कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किया जाएगा और न्याय दिया जाएगा।
- इसके बाद मैं संवेदनशील लिव-इन जोड़ों को पुलिस सुरक्षा प्रदान करूँगा, क्योंकि उन्हें विभिन्न सामाजिक-धार्मिक समूहों से खतरा है।
- जैसा कि प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि लिव-इन रिलेशनशिप पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए ऐसे में मैं उन्हें समझाऊँगा कि कानून के अनुसार, 'एक साथ रहना कोई अपराध नहीं है बल्कि यह जीवन के अधिकार का हिस्सा है'।
- इसके अलावा मैं उन्हें यह समझाने की कोशिश करूँगा कि लिव-इन रिलेशनशिप की अवधारणा पर प्रतिबंध लगाना मेरे हाथ में नहीं है। यह सरकार पर निर्भर है कि वह इस पर फैसला करे। इसलिये मैं उन्हें जनहित याचिका (PIL) दाखिल करने या लिव-इन रिलेशनशिप के खिलाफ आवाज उठाने के लिए कोई अन्य शांतिपूर्ण तरीका अपनाने का सुझाव दूँगा।
निष्कर्ष:
लिव-इन रिलेशनशिप का वर्तमान में विश्व की कई पारंपरिक संस्कृतियों द्वारा विरोध किया जाता है। लेकिन यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि सामाजिक दबाव और प्रतिबंध की मांग का इस्तेमाल कभी भी भावनात्मक संबंधों को दबाने के लिए नहीं किया जा सकता है और यह भी उल्लेखनीय है कि व्यक्तिगत निर्णयों की अवहेलना भी नहीं की जा सकती है। इसके साथ-साथ ऐसे रिश्ते में रहने वाले लोगों को एक दूसरे के प्रति जिम्मेदारी निभानी चाहिये। लिव-इन रिलेशनशिप को पूरी तरह से खारिज करने के बजाय, उन लोगों के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिये जो पहले से ही एक साथ रह रहे हैं ताकि वे अपना रिश्ता अंततः एक स्वस्थ और सामाजिक रूप से अधिक स्थायी रिश्ते में बदल सकें।