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प्रश्न :
"भ्रष्टाचार लोक सेवक के चरित्र के नैतिक पतन के साथ-साथ सरकारी प्रणालियों और प्रक्रियाओं की त्रुटियों को भी संदर्भित करता है"। परीक्षण कीजिये। (150 शब्द)
01 Dec, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
दृष्टिकोण:
- भ्रष्टाचार को संक्षेप में बताते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- नैतिक पतन के कारण होने वाले भ्रष्टाचार के कारणों की चर्चा कीजिये।
- सरकारी प्रणाली में मौजूद कमियों के कारण होने वाले भ्रष्टाचार पर चर्चा कीजिये।
- लोक सेवा में भ्रष्टाचार को कम करने के लिये कुछ उपाय सुझाते हुए निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- भ्रष्टाचार से आशय निजी लाभ के लिये सार्वजनिक पद का दुरूपयोग करना है या दूसरे शब्दों में कहें तो किसी पदाधिकारी द्वारा अपने व्यक्तिगत लाभ के लिये अपने पद, रैंक या स्थिति का दुरूपयोग करना भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है।
- इस परिभाषा के आधार पर भ्रष्ट आचरण के उदाहरणों में निम्नलिखित शामिल होंगे: रिश्वतखोरी, जबरन वसूली, धोखाधड़ी, भाई-भतीजावाद, सार्वजनिक संपत्तियों का दुरूपयोग या इनका निजी उपयोग।
मुख्य भाग:
- सार्वजनिक सेवा में नैतिक पतन की वजह से होने वाले भ्रष्टाचार के कारण:
- सत्यनिष्ठा का अभाव: कुछ मामलों में भ्रष्ट आचरण, लोक सेवक द्वारा प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्राप्त करने या अनुचित व्यक्तिगत लाभ प्राप्त करने के लिये स्वैच्छिक रुप से किया जा सकता है।
- लालच: बहुत से लोक सेवक धन के अधिक लालच के कारण भ्रष्टाचार करते हैं।
- निजी क्षेत्र की तुलना में कम वेतन: निजी क्षेत्र की तुलना में सिविल सेवकों का कम वेतन होना भी भ्रष्टाचार का एक कारण हो सकता है।
- कम वेतन होने के कारण कुछ कर्मचारी रिश्वत का सहारा ले सकते हैं।
- शासन प्रणाली में व्याप्त कमियों के कारण होने वाला भ्रष्टाचार:
- भ्रष्टाचार को गंभीरता से न लेना: कुछ अपराध इस गलत धारणा में किये जाते हैं कि भ्रष्टाचार करना आपराधिक कृत्य नहीं है।
- सिविल सेवा का राजनीतिकरण: जब सिविल सेवक राजनीति से प्रेरित होकर या उसके दवाब में अपने पद का दुरूपयोग करते हैं तो इससे उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलता है।
- सार्वजनिक जीवन पर भ्रष्टाचार का प्रभाव:
- सेवाओं में गुणवत्ता की कमी: भ्रष्टाचार वाली व्यवस्था में सेवा की गुणवत्ता खराब हो जाती है।
- इसके कारण गुणवत्तापूर्ण सेवा हेतु लोगों को भुगतान करना पड़ सकता है। इसे नगर पालिका, विद्युत्, राहत कोष के वितरण आदि जैसे कई क्षेत्रों में देखा जाता है।
- उचित न्याय का अभाव: न्यायिक प्रणाली में भ्रष्टाचार होने से उचित न्याय नहीं मिल पाता है। जिससे अपराध के शिकार लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
- सेवाओं में गुणवत्ता की कमी: भ्रष्टाचार वाली व्यवस्था में सेवा की गुणवत्ता खराब हो जाती है।
निष्कर्ष:
- लोक सेवा में भ्रष्टाचार को कम करने के लिये व्यापक उपाय करने की आवश्यकता है जैसे:
- सिविल सेवा बोर्ड: सिविल सेवा बोर्ड की स्थापना करके सरकार अत्यधिक राजनीतिक हस्तक्षेप पर अंकुश लगा सकती है।
- अनुशासनात्मक प्रक्रिया को सरल बनाना: अनुशासनात्मक प्रक्रिया को सरल बनाकर और विभागों के अंदर निवारक सतर्कता को मजबूत करके यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि भ्रष्ट सिविल सेवक संवेदनशील पदों पर आसीन न हों।
- मूल्य-आधारित प्रशिक्षण पर जोर देना: सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा सुनिश्चित करने के लिये सभी सिविल सेवकों के मूल्य-आधारित प्रशिक्षण पर बल देना महत्त्वपूर्ण है।
- सभी प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में व्यावसायिक नैतिकता को एक अभिन्न अंग बनाना चाहिये और द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC) की सिफारिशों के आधार पर सिविल सेवकों के लिये एक व्यापक आचार संहिता होना काफी महत्त्वपूर्ण है।
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