महात्मा गांधी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस से कौन-से नैतिक सबक सीखे जा सकते हैं? विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
दृष्टिकोण:
- नैतिकता को संक्षेप में बताते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- गांधी जी और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नैतिक मूल्यों की चर्चा कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
- नैतिकता (Morality) शब्द 'मोस (mos)' धातु से बना है जिसका अर्थ ‘रीति-रिवाज’ होता है। नैतिकता का आशय सही और गलत व्यवहार के सिद्धांतों से है। मूल्यवान शिक्षा को बढ़ावा देने में नैतिकता के उदाहरण महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
मुख्य भाग:
- महात्मा गांधी की नैतिक शिक्षा:
- महात्मा गांधी को सार्वभौमिक रूप से नैतिकता और नैतिक जीवन के एक अनुकरणीय मॉडल के रूप में स्वीकार किया जाता है जिनमें व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन, सिद्धांतों और व्यवहार, भौतिक और शाश्वत पहलुओं का दुर्लभ मिश्रण देखने को मिलता है। यह नैतिक और आध्यात्मिक स्थिति के माध्यम से 'सत्य’ के उच्च प्रतिमानों की ओर बढ़ते हुए जीवन का पर्याय हैं।
- वह सत्य और अहिंसा के धर्म पर स्थापित आचरण में विश्वास करते थे। उन्होंने नस्लीय भेदभाव, औपनिवेशिक शासन, आर्थिक और सामाजिक शोषण और नैतिक पतन के खिलाफ अहिंसक संघर्षों का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया।
- गांधीवादी नेतृत्व के बुनियादी नैतिक सिद्धांतों की रूपरेखा,व्यवहारिक आचरण के विभिन्न पहलुओं से संबंधित है:
- सत्य
- अहिंसा
- साधन और साध्य की पवित्रता
- अधिकार पर कर्तव्य की प्रधानता
- कर्मों का उचित निर्वहन
- सच्चा धर्म (सार्वभौमिकता और भाईचारा)
- अपरिग्रह (स्वैच्छिक गरीबी)
- यज्ञ (बलिदान और सेवा)
- सत्याग्रह या अहिंसक संघर्ष का संकल्प।
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस की नैतिक शिक्षा:
- बलिदान: वह सुख और सुविधा का जीवन त्यागकर राष्ट्र की सेवा में समर्पित हो गए और ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता पाने के लिये पूरी तरह से जुट गए।
- आत्मविश्वास: नेताजी को स्वतंत्रता आंदोलन के क्रम में अनेक कानूनी कार्रवाई, गिरफ्तारियाँ और यहाँ तक कि निर्वासन का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के अन्य सदस्यों से विरोधाभाष के बाबजूद नेताजी को स्वराज के अपने विचार पर अटूट विश्वास था और इसके लिये वे अपने जीवन का बलिदान करने को तैयार थे।
निष्कर्ष:
महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस दोनों ही ऐसे महान व्यक्तित्व थे जिनके जीवन के आदर्शों और विचारों से बहुत कुछ सीखने के साथ इन्हें आत्मसात कर जीवन को मूल्यवान बनाया जा सकता है।