“स्टारलिंक इंटरनेट कनेक्टिविटी को बदल देगा”। रिमोट कनेक्टिविटी लाने में परियोजना की उपयोगिता पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
दृष्टिकोण:
- स्टारलिंक परियोजना का वर्णन करते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- रिमोट क्षेत्रों में कनेक्टिविटी में मदद करने के लिए स्टारलिंक की उपयोगिता पर चर्चा कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
|
परिचय:
- यह स्पेसएक्स की परियोजना है जिसमें परिक्रमा करने वाले अंतरिक्ष उपग्रह के समूह द्वारा ब्रॉडबैंड नेटवर्क बनाने का लक्ष्य है जो अंततः हजारों की संख्या में हो सकते हैं।
- स्टारलिंक उपग्रह द्वारा कक्षा में गतिशीलता व ऊँचाई बनाए रखने और मिशन के अंत में अंतरिक्षयान को वापस वायुमंडल में लाने हेतु आवेग उत्पन्न करने के लिये बिजली और क्रिप्टन गैस का उपयोग किया जाता है।
- लगभग 36,000 किमी दूर स्थित स्थिर कक्षा उपग्रहों की तुलना में, स्टारलिंक को पृथ्वी से लगभग 500 किमी-2000 किमी की ऊँचाई पर निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO) में भेजा जाएगा ।
मुख्य भाग:
- स्टारलिंक परियोजना की उपयोगिता:
- विलंबता (Latency) कम होना: विलंबता या डेटा भेजने और प्राप्त करने के लिये आवश्यक समय का निर्धारण इनकी निकटता पर निर्भर होता है।
- चूँकि LEO उपग्रह पृथ्वी की कक्षा के समीप परिक्रमा करते हैं इसीलिये यह पारंपरिक स्थिर-उपग्रह प्रणालियों की तुलना में मज़बूत सिग्नल और तीव्र गति प्रदान करने में सक्षम हैं।
- इसके अतिरिक्त इनमें मौजूदा ग्राउंड-आधारित नेटवर्क से अधिक प्रतिद्वंद्वी होने की क्षमता होती है क्योंकि ये सिग्नल फाइबर-ऑप्टिक केबल की तुलना में अंतरिक्ष के माध्यम से तीव्र गति प्रदान करते हैं।
- कवरेज़: एक भूस्थैतिक उपग्रह के सिग्नल पृथ्वी के लगभग एक तिहाई हिस्से को कवर कर सकते हैं - और तीन से चार उपग्रह पूरी पृथ्वी को कवर करने के लिए पर्याप्त होंगे।
- सुलभ कनेक्टिविटी: चूंकि यह उपग्रह स्थिर दिखाई देते हैं इसलिए इनसे लिंक करना आसान होता है।
- उपग्रह आधारित ब्रॉडबैंड से संबंधित समस्या:
- अंतरिक्ष मलबे में वृद्धि: अंतरिक्ष मलबे में वृद्धि और टक्कर के बढ़ते जोखिम के कारण, इंटरनेट उपग्रहों के ये समूह अन्य अंतरिक्ष वस्तुओं का निरीक्षण करना और उनके संकेतों को अलग करना असंभव बना देंगे।
- खराब मौसम की समस्या: उपग्रह इंटरनेट सिग्नल, मौसम की स्थिति से प्रभावित होते हैं। तूफ़ान, बारिश, और तेज़ हवाओं के कारण सिग्नल कमज़ोर हो सकते हैं और इससे इंटरनेट सेवा बाधित हो सकती है।
निष्कर्ष:
स्टारलिंक परियोजना विश्व के दूरदराज क्षेत्रों में उपग्रह आधारित इंटरनेट उपलब्ध कराने में क्रांतिकारी साबित होगी जिससे डिजिटल असमानता में कमी आएगी।