प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना सरकारी वितरण प्रणाली में सुधार की दिशा में एक अच्छा कदम है। चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
दृष्टिकोण:
- प्रत्यक्ष लाभ अंतरण का संक्षेप में वर्णन करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- चर्चा कीजिये कि किस प्रकार प्रत्यक्ष लाभ अंतरण से सरकारी वितरण प्रणाली में सुधार हो रहा है।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
- लोगों को दिए जाने वाले अनुदान की राशि को सरकारी विभागों में देने की बजाय सीधे लाभार्थी के खाते में अंतरित करने की प्रक्रिया को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण कहते हैं।
- सरकार की वितरण प्रणाली में सुधार लाने और धन और सूचनाओं के प्रवाह को तेज एवं सुरक्षित करने के साथ धोखाधड़ी को कम करके कल्याणकारी योजनाओं को प्रभावकारी बनाने हेतु 1 जनवरी 2013 को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण को शुरु किया गया था।
मुख्य भाग:
- DBT से वितरण प्रणाली में होने वाला सुधार:
- DBT के लाभ:
- सेवाओं के कवरेज का विस्तार: एक मिशन-मोड दृष्टिकोण के रुप में इससे सभी परिवारों के लिये बैंक खाते खोलने, सभी के लिये आधार का विस्तार करने और बैंकिंग तथा दूरसंचार सेवाओं के कवरेज को बढ़ाने का प्रयास किया गया है।
- तत्काल और आसान मनी ट्रांसफर: सरकार से लोगों के बैंक खातों में तत्काल धन हस्तांतरण हेतु इससे भुगतान सुलभ हुआ।
- इस दृष्टिकोण से न केवल सभी ग्रामीण और शहरी परिवारों को सीधे अपने बैंक खातों में सब्सिडी प्राप्त करने के लिये विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत विशिष्ट रूप से जोड़ने की अनुमति मिली बल्कि आसानी से धन भी हस्तांतरित किया गया।
- वित्तीय सहायता: ग्रामीण भारत में DBT से सरकार द्वारा लघु किसानों को प्रभावी ढंग से और पारदर्शी रूप से वित्तीय सहायता प्रदान करने में सहायता मिली है।
- वित्त का हस्तांतरण और सामाजिक सुरक्षा: शहरी भारत में, PM आवास योजना और LPG पहल योजना के तहत पात्र लाभार्थियों को धन हस्तांतरित करने के लिये DBT का सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है। विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाएँँ और राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिये DBT का उपयोग किया जाता है।
- नए अवसरों का द्वार: मैला ढोने वालों के पुनर्वास के लिये स्वरोज़गार योजना (Self Employment Scheme for Rehabilitation of Manual Scavengers- SRMS) जैसे पुनर्वास कार्यक्रमों के तहत DBT से नए अवसर सृजित हुए हैं जो समाज के सभी वर्गों की सामाजिक गतिशीलता को सक्षम बनाता है।
- DBT पर आधारित कुछ योजनाएँ:
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, पीएम किसान, स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण, अटल पेंशन योजना, राष्ट्रीय आयुष (AYUSH) मिशन।
- DBT से संबंधित चुनौतियाँ:
- डीबीटी के बारे में जागरूकता का अभाव: डीबीटी के लाभार्थियों को यह नहीं पता होता है कि जब उनका भुगतान अस्वीकृत हो जाता है तो क्या करना चाहिए, अक्सर गलत खाता संख्या और बैंक खातों के साथ गलत आधार मैपिंग जैसे तकनीकी कारणों से यह लाभ से बंचित रह जाते हैं।
- इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि कामगारों/लाभार्थियों से लेन-देन के उनके पसंदीदा तरीके के बारे में शायद ही कभी सलाह ली जाती है।
- भ्रष्टाचार: डिजिटल बहिष्करण और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण प्रणाली से लाभार्थियों के परिचित न होने के कारण भ्रष्टाचार के नए तरीकों ने जन्म लिया है।
- झारखंड में बड़े पैमाने पर हुए छात्रवृत्ति घोटाले में इसके प्रमाण देखे गए थे जहाँ बिचौलियों, सरकारी अधिकारियों, बैंकिंग सेवा प्रदाताओं और अन्य लोगों के गठजोड़ से कई गरीब छात्रों को छात्रवृत्ति से वंचित कर दिया गया था।
- अपर्याप्त ग्रामीण बैंकिंग: भारत में प्रति 1 लाख वयस्कों पर मात्र 14.6 बैंक शाखाएँ हैं और ग्रामीण भारत में यह स्थिति और भी खराब है।
- इसके अतिरिक्त ग्रामीण बैंकों में पहले से ही कर्मचारियों की संख्या कम है और बैंक शाखाओं की संख्या कम होने के कारण भी इन पर अधिक दबाव होता है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक शाखाओं की दूरी अधिक होने के कारण इन तक पहुँचने के लिये श्रमिकों को मज़दूरी का नुकसान उठाना पड़ता है। साथ ही लोगों को भुगतान/सब्सिडी प्राप्त करने हेतु बैंक तक पहुँचने के लिये परिवहन पर पैसा खर्च करना होता है।
निष्कर्ष:
DBT से सरकारी प्रणाली में दक्षता, प्रभावशीलता, पारदर्शिता और जवाबदेहिता आती है और शासन में नागरिकों के विश्वास को बढ़ावा मिलता है। इसमें आधुनिक तकनीक और आईटी उपकरण के उपयोग से ‘मैक्सिमम गवर्नेंस मिनिमम गवर्नमेंट’ के सपने को साकार किया जा सकेगा।