खाड़ी क्षेत्र का भारत के लिये आर्थिक, सामरिक और सांस्कृतिक महत्त्व है। चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
दृष्टिकोण:
- खाड़ी क्षेत्र का संक्षेप में वर्णन करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- भारत के लिये खाड़ी क्षेत्र के बहुआयामी महत्व की चर्चा कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
खाड़ी क्षेत्र में ऐसे देश शामिल हैं जो फारस की खाड़ी के साथ सीमा साझा करते हैं। इनमें बहरीन, कुवैत, इराक, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं।
मुख्य भाग:
- भारत के लिये खाड़ी क्षेत्र का महत्व:
- संभावित व्यापार और निवेश अवसर:
- भारत के खाड़ी देशों के साथ पारंपरिक और मैत्रीपूर्ण संबंध होने के कारण व्यापार, निवेश, ऊर्जा और श्रमशक्ति आदि के क्षेत्र में सहयोग की प्रबल संभावनाएँ हैं।
- इसके अलावा खाड़ी देशों में निवेश के क्षेत्र में दोनों ही पक्षों के लिये लाभप्रद स्थितियाँ हैं इनके बीच FII और FDI के माध्यम से पहले ही इस दिशा में पहल शुरू हो चुकी हैं।
- भारतीय डायस्पोरा का प्रभाव:
- इस क्षेत्र में लगभग 5.5 मिलियन भारतीय रहते हैं जो भारत और इन देशों के आर्थिक विकास में योगदान दे रहे हैं।
- ऊर्जा सुरक्षा:
- भारत के कच्चे तेल के आयात का लगभग 40% खाड़ी देशों से आता है। खाड़ी क्षेत्र भारत की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास की गति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- भारतीय निर्यात के लिये संभावित बाजार:
- खाड़ी देश विशेष रूप से परियोजना सेवाओं के निर्यात सहित भारत की निर्मित वस्तुओं और सेवाओं के लिये एक उत्कृष्ट बाजार उपलब्ध कराते हैं।
- रक्षा सहयोग:
- खाड़ी देशों के साथ भारत के पारंपरिक संबंधों से वर्तमान में रक्षा सहयोग को मज़बूती मिलने के साथ खाड़ी क्षेत्र की स्थिरता में भारत की हिस्सेदारी प्रबल हुई है।
- इसमें खाड़ी देशों के साथ आतंकवाद, मनी लॉन्ड्रिंग, साइबर सुरक्षा, संगठित अपराध, मानव तस्करी और एंटी-पायरेसी जैसे मुद्दों पर 'रणनीतिक साझेदारी' शामिल है।
- सभी खाड़ी देश भारतीय नौसेना द्वारा परिकल्पित हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (IONS) के सदस्य हैं।
- इसके अलावा भारत का सबसे उल्लेखनीय (लेकिन समान रूप से कम महत्वपूर्ण) रक्षा सहयोग ओमान के साथ रहा है। भारत ने सोमालिया के तट पर समुद्री डकैती रोधी गश्त में अपनी भागीदारी के माध्यम से खाड़ी के समुद्री मार्गों की स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ाने में भी सक्रिय भूमिका निभाई है।
निष्कर्ष:
नवीकरणीय ऊर्जा, जल संरक्षण, खाद्य सुरक्षा, डिजिटल प्रौद्योगिकी और कौशल विकास जैसे विविध क्षेत्रों में संबंधों को विकसित करने के लिये संस्थागत रुप से एकीकृत और सामंजस्यपूर्ण दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।