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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रस्तावित डिजिटल व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा विधेयक, 2022 के प्रावधानों पर प्रकाश डालिये। चर्चा कीजिये कि क्या यह नागरिकों के निजता के अधिकार की रक्षा करता है? (250 शब्द)

    22 Nov, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    दृष्टिकोण:

    • डिजिटल व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा विधेयक, 2022 के बारे में संक्षेप में बताइए।
    • डिजिटल व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा विधेयक, 2022 की मुख्य विशेषताओं पर चर्चा कीजिये।
    • चर्चा कीजिये कि क्या यह नागरिकों के निजता के अधिकार की रक्षा करने में प्रभावी है या नहीं।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    हाल ही में केंद्र सरकार ने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2022 के रुप में संशोधित व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक प्रस्तुत किया है।

    मुख्य भाग:

    • डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2022 की मुख्य विशेषताएँ:
      • डेटा प्रिंसिपल और डेटा न्यासी (Data Fiduciary):
        • डेटा प्रिंसिपल उस व्यक्ति को संदर्भित करता है जिसका डेटा एकत्र किया जा रहा है।
        • डेटा न्यासी एक ऐसी संस्था या इकाई (व्यक्ति, कंपनी, फर्म, राज्य आदि) है, जो "किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत डेटा प्रसंस्करण के उद्देश्य और माध्यम" का निर्धारण करती है।
      • व्यक्तियों के अधिकार:
        • सूचना तक पहुँच:
          • यह विधेयक सुनिश्चित करता है कि व्यक्तियों को भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में निर्दिष्ट भाषाओं में "बुनियादी जानकारी तक पहुँच" प्राप्त होनी चाहिये।
        • सहमति का अधिकार:
          • व्यक्तियों के डेटा को संसाधित करने से पहले उनकी सहमति लेना आवश्यक होता है।
          • व्यक्तियों को डेटा फिड्यूशरी से सहमति वापस लेने का भी अधिकार है।
        • नष्ट करने का अधिकार:
          • डेटा देने वाले के पास डेटा फिड्यूशरी द्वारा एकत्र किये गए डेटा को मिटाने और सुधार की मांग करने का अधिकार होगा।
        • अधिकार हस्तांतरित करने के रुप में किसी व्यक्ति को नामांकित करने का अधिकार:
          • डेटा देने वाले को किसी ऐसे व्यक्ति को नामांकित करने का भी अधिकार होगा जो इसकी मृत्यु या अक्षमता की स्थिति में इन अधिकारों का प्रयोग करेगा।
      • डेटा संरक्षण बोर्ड:
        • इसमें विधेयक का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये डेटा संरक्षण बोर्ड के गठन का भी प्रस्ताव है।
        • डेटा फिड्यूशरी से असंतोषजनक प्रतिक्रिया के मामले में उपभोक्ता, डेटा संरक्षण बोर्ड में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
      • सीमा पार डेटा स्थानांतरण:
        • यह विधेयक प्रभावी डेटा सुरक्षा परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए डेटा के सीमा पार भंडारण एवं "कुछ अधिसूचित देशों और क्षेत्रों" में स्थानांतरित करने की अनुमति देता है। सरकार यहाँ से भारतीयों के डेटा को प्राप्त कर सकती है।
      • उपरोक्त विशेषताओं जैसे सूचना तक पहुँच, सहमति का अधिकार, डेटा को नष्ट करने का अधिकार और नामांकित करने का अधिकार आदि से नागरिकों की गोपनीयता सुनिश्चित होती है और इसका महत्त्व इस प्रकार है:
      • नागरिकों की निजता की सुरक्षा में महत्त्व:
        • इस विधेयक में डेटा देने वाले की पोस्टमॉर्टम प्राईवेसी (सहमति वापस लेने) के अधिकार को मान्यता दी गई है। यह प्रावधान व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक (PDP) विधेयक, 2019 में नहीं था लेकिन संयुक्त संसदीय समिति (JPC) द्वारा इसकी सिफारिश की गई थी।
          • इस विधेयक में व्यक्तियों को प्रदान किये गए विभिन्न अधिकार जैसे डेटा को संसाधित करने से पहले सहमति लेना, डेटा फ़िड्यूशरी द्वारा एकत्र किये गए डेटा को मिटाने और उसमें सुधार की मांग करने का अधिकार और विधेयक के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिये डेटा संरक्षण बोर्ड की स्थापना का प्रावधान आदि के.एस. पुट्टास्वामी मामला के अनुरूप हैं, जिसमें सर्वसम्मति से यह माना गया था कि भारतीयों के लिये निजता का अधिकार एक संवैधानिक अधिकार है जो अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का एक अभिन्न अंग है।

    निष्कर्ष:

    प्रस्तावित विधेयक सरल और लचीला होने के साथ प्रभावी कानून का एक अच्छा उदाहरण है जिसमें निजता के वैश्विक प्रतिमानों को शामिल कर सभी हितधारकों के हितों को सुनिश्चित करने पर बल दिया गया है।

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