G-20 की अध्यक्षता का कार्यभार भारत को दिये जाने के आलोक में, वैश्विक स्तर पर दक्षिणी क्षेत्र के नेतृत्वकर्त्ता के रूप में भारत की भूमिका पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
दृष्टिकोण:
- जी-20 के बारे में संक्षेप में बताते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- चर्चा कीजिये कि किस प्रकार G-20 की अध्यक्षता भारत को वैश्विक दक्षिण के नेतृत्वकर्ता के रूप में चिह्नित करेगी।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
- जी-20 का गठन 1999 के दशक के अंत के वित्तीय संकट की पृष्ठभूमि में किया गया था। यह समूह (19 देशों और यूरोपीय संघ) का एक गैर-संधि-आधारित संगठन है। इस वित्तीय संकट की पृष्ठभूमि में G-7 देशों द्वारा मंदी का समाधान करने के लिये कुछ प्रमुख देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों को आमंत्रित किया गया था।
- इस समूह का व्यापक उद्देश्य विश्व की आर्थिक और वित्तीय स्थिरता को मजबूत करना था।
मुख्य भाग:
- वर्ष 2023 के लिये जी-20 की अध्यक्षता भारत द्वारा की जाएगी और इसमें आधिकारिक प्रतीक के रुप में कमल को और थीम के रुप में " वन अर्थ,वन फैमिली,वन फ्यूचर” को निर्धारित किया गया है।
- वैश्विक दक्षिण (Global South) के नेतृत्वकर्ता के रूप भारत:
- हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत के पक्ष को प्रस्तुत करते हुए विदेश मंत्री ने टिप्पणी की कि "अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में होने वाले तीव्र परिवर्तन " से वैश्विक दक्षिण सबसे अधिक प्रभावित हुआ है।
- विकासशील देशों को प्रभावित करने वाले वैश्विक मुद्दों को उठाना: विकासशील देशों के प्रतिनिधित्व के रूप में भारत (विशेष रूप से पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए) ऋण, आर्थिक विकास, आतंकवाद एवं नकली मुद्रा के साथ खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा के गंभीर मुद्दों को हल करने के लिये अन्य जी-20 सदस्यों के साथ मिलकर कार्य करने का प्रयास करेगा।
- डिजिटल अवसंरचना पर ध्यान देना: विकासशील देशों में विद्यमान डिजिटल डिवाइड के संदर्भ में, इस समूह में भारत की अध्यक्षता से यह संकेत मिलता है कि यह इससे संबंधित तकनीक को अन्य देशों में स्थानांतरित करने में नेतृत्व कर सकता है क्योंकि इस समूह के देशों के पास विश्वस्तरीय डिजिटल अवसंरचना है।
- स्वयं को वैश्विक शांतिदूत के रूप में प्रस्तुत करना: इसके अलावा जी-20 की अध्यक्षता से भारत को विभिन्न वैश्विक मुद्दों जैसे रूस-यूक्रेन युद्ध एवं भारत-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते तनाव आदि के संदर्भ में शांतिदूत की भूमिका निभाने का अवसर मिल सकता है।
- वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता में कमी के साथ अमेरिका और यूरोप जैसी प्रमुख शक्तियों द्वारा यूक्रेन का और चीन द्वारा रूस का गुप्त समर्थन करने के कारण छद्म युद्ध जैसी परिस्थितियाँ देखने को मिलती रहती हैं। इस संदर्भ में भारत ने अलग-थलग रहने के साथ सबके साथ अच्छे संबंध बनाए रखते हुए विकासात्मक दृष्टिकोण का प्रतिमान स्थापित किया है। भारत में यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की विश्वसनीय क्षमता है।
निष्कर्ष:
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित होने और विश्व भर में आवश्यक वस्तुओं के संकट के संदर्भ में भारत, खाद्य सुरक्षा, डिजिटलीकरण और स्वास्थ्य देखभाल आदि जैसे मुद्दों पर ध्यान देने के साथ वैश्विक दक्षिण के नेतृत्वकर्ता के रूप में अपनी स्थिति को प्रभावी बना सकता है।