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प्रश्न :
प्र. "पाल साम्राज्य भारत में बौद्ध धर्म और बौद्ध कला के अंतिम महान चरण का साक्षी रहा"। कथन के आलोक में पालकालीन कला की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिये। (250 शब्द)
21 Nov, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
दृष्टिकोण:
- पाल वंश का संक्षिप्त परिचय देते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- चर्चा कीजिये कि किस प्रकार पाल शासन बौद्ध धर्म का अंतिम महान चरण था।
- पाल कला की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- "पाल" एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ "रक्षक" होता है। इसे सम्राटों के नाम के साथ जोड़ा गया था जिससे इस साम्राज्य को "पाल" नाम दिया गया।
- पाल साम्राज्य की स्थापना गोपाल ने संभवत: 750 ई. में की थी।
- पाल वंश ने 8वीं से 12वीं शताब्दी तक भारत के पूर्वी भाग पर शासन किया।
मुख्य भाग:
- पाल कला, जिसे पाल-सेन कला या पूर्वी भारतीय कला भी कहा जाता है, वर्तमान के भारत के बिहार और पश्चिम बंगाल राज्य के साथ बांग्लादेश में विकसित हुई कलात्मक शैली है।
- पाल काल बौद्ध धर्म का अंतिम महान चरण था:
- नालंदा और विक्रमशिला जैसे विभिन्न मठ बौद्ध शिक्षा और कला के महान केंद्र थे। यहाँ पर बौद्ध विषयों से संबंधित कई पांडुलिपियों को तैयार करने के साथ ताड़ के पत्तों पर वज्रयान बौद्ध देवताओं को चित्रित किया गया था।
- पाल शासकों ने बौद्ध धर्म को अपने राज्य धर्म के रूप में संरक्षण दिया और उनके काल के मंदिरों में बौद्ध स्तूप (अंड शैली) जैसी छतें होती थीं जिन्हें बंगला छत कहा जाता है।
- उन्होंने गौंड के शासक, शशांक द्वारा नष्ट किये गए बौद्ध स्थानों का कायाकल्प किया और बौद्ध धर्म के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा दिया।
- इसके अलावा, पाल वंश भारत में ऐसा प्रमुख अंतिम वंश था जिसके तहत बौद्ध धर्म को राज्य का समर्थन प्राप्त था।
- पाल वंश के पतन के साथ ही भारत में बौद्ध धर्म का भी तेजी से पतन हुआ।
- पाल कला की मुख्य विशेषताएँ:
- पाल वंश की कला और स्थापत्य के विकास से " पाल मूर्तिकला शैली" का विकास हुआ।
- उस समय की कला और स्थापत्य में बंगाली समाज के कई क्षेत्रीय पहलू देखे जा सकते हैं।
- पाल वंश की कला और स्थापत्य में टेराकोटा, मूर्तिकला और चित्रकला को महत्व दिया गया था।
- पहाड़पुर में धर्मपाल द्वारा बनवाया गया सोमपुर महाविहार, पाल वंश के बेहतरीन स्थापत्य में से एक है।
- महान मठ (जिसे सोमपुर महाविहार के नाम से भी जाना जाता है), 12वीं शताब्दी तक एक प्रसिद्ध बौद्धिक केंद्र था।
- विक्रमशिला विहार, ओदंतपुरी विहार और जगद्दल विहार जैसे प्रमुख स्थापत्य पाल शासन से संबंधित हैं।
- इस अवधि के दौरान उत्तम नक्काशी के साथ कांस्य मूर्ति निर्माण को बढ़ावा मिला।
- इस दौरान स्थापत्य के उन्नत होने के क्रम में विभिन्न बौद्ध विहारों का उदय हुआ।
- टेराकोटा पट्टिकाओं का अनुप्रयोग इनकी कलात्मक प्रतिभा का एक अन्य उदाहरण है।
- इन पट्टिकाओं का उपयोग दीवार की सतह की सजावट के रूप में किया जाता था और इसे बंगाल के कलाकारों की प्रतिभा के रूप में पहचाना जाता है।
निष्कर्ष:
पाल वंश ने विभिन्न दक्षिण एशियाई देशों में बौद्ध मठों के प्रसार के साथ विचारों के मुक्त आदान-प्रदान का मार्ग प्रशस्त किया ।
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