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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न: विश्व स्तर पर चाय का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक होने के बावजूद, भारत में चाय उद्योग के समक्ष चुनौतियाँ विद्यमान हैं। चाय उद्योग के विकास को बढ़ावा देने के लिये कुछ सरकारी पहलों पर प्रकाश डालिये। (250 शब्द)

    16 Nov, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने की दृष्टिकोण:

    • भारत में चाय क्षेत्र की स्थिति का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • भारत में चाय क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
    • चाय उद्योग को बढ़ावा देने के लिये सरकार की कुछ पहलों पर चर्चा कीजिये।
    • उपर्युक्त निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    • भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चाय उत्पादक है। इसके अलावा भारत का उत्तरी भाग 2021-22 में देश के वार्षिक चाय उत्पादन का लगभग 83% के साथ सबसे बड़ा उत्पादक है, जिसमें अधिकांश उत्पादन असम में होता है तथा उसके बाद पश्चिम बंगाल का स्थान है।
    • भारत का दक्षिणी भाग देश के कुल उत्पादन का लगभग 17% उत्पादन करता है, जिसमें प्रमुख उत्पादक राज्य तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक हैं।

    प्रारूप:

    • भारत दुनिया का शीर्ष चाय खपत करने वाला देश होने के बावजूद दुनिया के शीर्ष 5 चाय निर्यातकों में से एक है, जो कुल निर्यात का लगभग 10% निर्यात करता है, देश में उत्पादन धीमा हो रहा है और विभिन्न चुनौतियों के कारण पूरी क्षमता का अनुकूलन करने में असमर्थ है।

    चुनौतियाँ:

    • चाय की कीमतों में गिरावट : विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में हाल के दिनों में चाय की नीलामी की कीमत में गिरावट आई है। साथ ही मूल्य मार्जिन बढ़ाने के लिये भारत में उत्पादित चाय की गुणवत्ता में सुधार करने हेतु कोई उचित कदम नहीं उठाए गए क्योंकि मुनाफे का उपयोग अक्सर किसी और चीज के लिये किया जाता था, न कि चाय बागानों के लिये।
    • कम उत्पादन: चाय उद्योग वित्तीय समस्याओं, बिजली की समस्याओं, श्रमिक मुद्दे, खराब श्रम योजनाओं, अपर्याप्त संचार प्रणाली, प्रदूषण शुल्क में वृद्धि, परिवहन के लिये कम सब्सिडी आदि जैसी कई समस्याओं का सामना कर रहा है। इस तरह की स्थिति ने उत्तर पूर्व भारत में चाय उद्योग को निराशाजनक स्थिति में डाल दिया है, जिसके परिणामस्वरूप चाय और चाय की पत्तियों का उत्पादन कम हो गया है।
    • जलवायु की स्थिति: यदि कम या भारी वर्षा के कारण चाय बागानों के लिये जलवायु परिस्थितियाँ प्रतिकूल हैं, तो चाय के उत्पादन और चाय उद्योग के मज़दूरों के जीवन को प्रभावित करने वाली गंभीर समस्याएँ पैदा होती हैं।
    • कीट समस्या: बैक्टीरियल ब्लैक स्पॉट एक ऐसा रोग है जो चाय की पत्तियों को खराब कर देता है। पूर्वोत्तर चाय बागानों में एक बग द्वारा फैलने वाली इस तरह की बीमारी का खतरा है और यह एक ऐसा मुद्दा है जो चाय उद्योग को प्रभावित करता है।
    • मज़दूरों की कम मज़दूरी: चूँकि अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में चाय की कीमत बहुत कम है और पीक सीजन में अस्थायी मज़दूरों का उपयोग किया जाता है, आमतौर पर चाय उद्योग के मज़दूरों के लिये भुगतान की जाने वाली मज़दूरी बहुत कम होती है।
    • गुणवत्ता में गिरावट: चूँकि महत्त्व केवल उत्पादन में वृद्धि के लिये दिया जाता है, न कि गुणवत्ता में सुधार के लिये इसलिये अपने बेहतर स्वाद के लिये जानी जाने वाली भारतीय चाय में अगर गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया तो यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना बाज़ार खो सकती है।

    सरकार की पहल:

    • भारतीय मूल की पैकेज़्ड चाय को बढ़ावा:
      • यह योजना संवर्द्धनात्मक अभियानों में लागत प्रतिपूर्ति का 25% तक, अंतर्राष्ट्रीय विभागीय स्टोर, उत्पाद साहित्य और वेबसाइट विकास में प्रदर्शन, तथा निरीक्षण शुल्क की प्रतिपूर्ति में 25% तक सहायता प्रदान करती है।
    • घरेलू निर्यातकों के लिये सब्सिडी:
      • चाय बोर्ड घरेलू निर्यातकों को अंतर्राष्ट्रीय मेलों और प्रदर्शनियों में भाग लेने के लिये सब्सिडी भी प्रदान करता है।
    • चाय विकास और संवर्द्धन योजना:
      • यह योजना 2021-26 की अवधि के लिये भारतीय चाय बोर्ड द्वारा नवंबर 2021 में शुरू की गई थी।
      • इस योजना का उद्देश्य भारत में उत्पादन की उत्पादकता और गुणवत्ता को बढ़ाना है।

    निष्कर्ष:

    • भारत चाय का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक होने के नाते इसके पास चाय उद्योग को विकसित करने के कई अवसर है क्योंकि यह उत्तर पूर्वी राज्यों में बड़ी संख्या में लोगों को रोज़गार प्रदान कर रहा है। जैसा कि वर्ष 2017 में चाय का वैश्विक उत्पादन केन्या और अन्य देशों के सामने आने वाली समस्याओं के कारण कम हो गया, जो दुनिया में चाय के प्रमुख आपूर्तिकर्त्ता भी हैं।
    • भारत के पास अब विश्व बाज़ार में प्रवेश करने का सबसे अच्छा अवसर है। हाल ही में भारत के चाय उत्पादन में पिछले वर्षों की तुलना में वृद्धि हुई है। नीति निर्माताओं को इस उद्योग को बनाए रखने के लिये रणनीति बनानी होगी।

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