प्रश्न. सिंधु घाटी सभ्यता की शहरी योजना और संस्कृति किस हद तक वर्तमान शहरीकरण के लिये इनपुट प्रदान करती है? चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- अपने उत्तर की शुरुआत सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में संक्षिप्त परिचय देकर कीजिये।
- सिन्धु घाटी सभ्यता की विशेषताओं की विवेचना कीजिये।
- वर्तमान समय में सिंधु घाटी योजना और संस्कृति के विभिन्न प्रभावों की चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
यह सभ्यता लगभग 2500 ईस्वी पूर्व दक्षिण एशिया के पश्चिमी भाग मैं फैली हुई थी,जो कि वर्तमान में पाकिस्तान तथा पश्चिमी भारत के नाम से जाना जाता है।
सिंधु घाटी सभ्यता मिस्र,मेसोपोटामिया,भारत और चीन की चार सबसे बड़ी प्राचीन नगरीय सभ्यताओं से भी अधिक उन्नत थी। 1920 में, भारतीय पुरातत्त्व विभाग द्वारा किये गए सिंधु घाटी के उत्खनन से प्राप्त अवशेषों से हड़प्पा तथा मोहनजोदडो जैसे दो प्राचीन नगरों की खोज हुई। भारतीय पुरातत्त्व विभाग के तत्कालीन डायरेक्टर जनरल जॉन मार्शल ने सन 1924 में सिंधु घाटी में एक नई सभ्यता की खोज की घोषणा की।
प्रारूप:
सिन्धु सभ्यता की मुख्य विशेषताएँ हैं:
- इसमें शहरी नियोजन की अच्छी तरह से उन्नत प्रणाली है।
- इसमें गढ़ या एक्रोपोलिस शामिल है, जिस पर संभवतः शासक वर्ग के सदस्यों का कब्जा था।
- प्रत्येक शहर में गढ़ के नीचे एक निचला शहर था जिसमें ईंट के घर थे, जिनमें आम लोग रहते थे।
- शहरों में घरों की व्यवस्था के बारे में उल्लेखनीय बात यह है यहाँ ग्रिड प्रणाली का पालन किया गया।
- हड़प्पा के नगरों में अन्न भंडार एक महत्वपूर्ण भाग थे।
- हड़प्पा के नगरों में पकी हुई ईंटों का प्रयोग।
- मोहनजोदड़ो की जल निकासी व्यवस्था बहुत प्रभावशाली थी।
- लगभग सभी शहरों में हर बड़े या छोटे घर का अपना आंगन और स्नानघर होता था।
- सड़कें चौड़ी थीं और 90 डिग्री पर एक दूसरे को काटती थीं, जिससे ग्रिड योजना आधुनिक समाज का एक सामान्य तत्व बन गई।
वर्तमान समय में सिंधु घाटी सभ्यता का प्रभाव:
- आधुनिक शहर, चंडीगढ़: आयताकार और ग्रिड प्रणाली के आधार पर बने होने के कारण इस आधुनिक शहर में सुलभ यातायात के साथ कम फुटप्रिंट देखने को मिलता है। निजी आवासों और सार्वजनिक स्थानों के बीच की दूरी को भी काफी हद तक सिंधु घाटी सभ्यता के समान निर्धारित किया गया था।
- आधुनिक समय में ऊपरी और निचले शहर: सिंधु घाटी सभ्यता का आधुनिक महानगरीय क्षेत्रों के विभाजन पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव प्रतीत होता है। उस समय शहर को अभिजात वर्ग, आम लोगों, बड़े स्नानागार आदि के लिये विभाजित किया गया था। ये निर्विवाद रूप से वर्तमान में शहरी क्षेत्र , उपनगरीय समुदायों, सरकारी बिल्डिंग और अन्य संरचनाओं के लिये प्रेरणा के रूप में कार्य करते हैं।
- भंडारण क्षमता: आधुनिक भंडारण केंद्रों की योजना को उस समय के व्यापारिक ज़िलों, अन्नागारों से प्रेरित माना जाता हैै।
- अपवाह प्रणाली : सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान बनाए गए शहरों में परिष्कृत अपवाह प्रणाली मौजूद थी। कई सिंधु घाटी स्थलों में एक,दो या अधिक कमरे वाले घर थे जो आपस में संलग्न होने के साथ उत्कृष्ट जल निकासी व्यवस्था से सुसज्जित थे। इसके अतिरिक्त रसोई और स्नानघर के अपशिष्ट जल को गली की नालियों तक पहुँचाने के लिये प्रणाली मौजूद थी।
- इस प्रकार की अपवाह प्रणाली को हम आधुनिक शहरों में देख सकते हैं जिसमें घरों का गंदा पानी बंद नालों के माध्यम से शहरों के बाहर ले जाया जाता है।
- संस्कृति और धर्म: सिंधु घाटी सभ्यता की धार्मिक पूजा पद्धति आधुनिक समय में भी प्रचलित हैं। उदाहरण के लिये, सिंधु घाटी सभ्यता के पशुपति भगवान को अभी भी शिव के रूप में पूजा जाता है और इसके अलावा, वर्तमान में भारत और अन्य पड़ोसी देशों में पेड़, सांप और लैंगिक प्रतीक चिन्हों की पूजा प्रचलित है।
निष्कर्ष:
आधुनिक समय के शहरी नियोजन की अनेक विशेषताएँ, सिंधु घाटी सभ्यता से संबंधित हैं। उस समय का नगर नियोजन नए तरीकों के उपयोग के साथ भविष्योनमुखी था।